एनटी न्यूज़डेस्क/श्रवण शर्मा/लखनऊ
एक जांबाज अफसर की कहानी जिसका संघर्ष जिसकी तपस्या युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं। हम आपको बताने जा रहे हैं मयंक तिवारी (डिप्टी एसपी ) की सफलता की कहानी। जिसने अपनी जिंदगी के हर पल को शान के साथ हरफनमौला अंदाज में जिया। पर अपने सपनों को अपनी रूह में इस कदर बसाया की सोते जागते उसे पूरा करने की जद्दोहद्द में मेहनत की पराकाष्ठा पर अपनी जवानी का हर दिन झोंक दिया। जो सफलता की एक एक सीढ़ियाँ चढ़ता गया पर कभी ना आँखों में उसके गुमान दिखा। जिसका नतीजा यह रहा की आज भी उसके गांव के बच्चे, बूढ़े, जवान उसमें अपने शहर की शान देखते हैं। हर कोई उसके जैसा बनना चाहता है। हर कोई उसके पदचिन्हों पर चलना चाहता है।
एनटी न्यूज से हुई विशेष बात में मयंक ने अपनी सफलता के हर मीठे अनुभव साझा किए। उनसे उनकी सफलता के कड़ुए अनुभव पर सवाल करने पर उन्होने कहा उन्हें अपने जीवन का कोई ऐसा बुरा अनुभव याद नहीं जो उनकी सफलता में कभी रोड़े बने हों। मयंक ने कहा “सफलता पाने वालों में ऐसा जुनून होता है की बाधाएँ अपने आप खूबसूरत रास्तों में तब्दील हो जाती हैं। इसलिए कभी किसी मोड़ पर मुश्किल आए तो उसे हंस कर काट देना तभी वो कडुआ अनुभव आपको प्रेरित करेगा। हताशा मन में जब आए तो उससे घबराना मत जिंदगी रंगमंच है यही उसकी खूबसूरती है। जो जीवन जीने का परमसुख हमें देती है।“
“सुनिए मयंक तिवारी की जुबानी उनकी सफलता की कहानी”
IAS/PCS नाम सुनते ही मन में तरंगे हिलोरे मारने लगती हैं। नीली बत्ती की चमक, ठाठ बाठ किसको रोमांचित नहीं करते। कुछ ऐसी ही मेरी कहानी है लेकिन हाँ थोड़ा Twist है उसमें। चलिए मैं अपना सांछिप्त परिचय देता हूँ। Ias/PCS नाम सुनते ही मन में तरंगे हिलोरे मारने लगती हैं। नीली बत्ती की चमक, ठाठ-बाठ किसको रोमांचित नहीं करते। कुछ ऐसी ही मेरी कहानी है लेकिन हाँ थोड़ा Twist है उसमें।
बात है २०१४ की मैं tcs में कार्यरत था, चकाचौंध की ज़िंदगी, अच्छा पैकिज , विदेश जाने का चान्स और क्या चाहिए था ज़िंदगी में। लेकिन मेरी माता जी की तबियत अचानक से बिगड़ने लगी तो सोचा सरकारी नौकरी की जाए इसी बहाने परिवार के पास रहेंगे, तो फिर क्या था जुट गए उल्टा पैर, उड़ेल दी जान, ५ महीने की कड़ी मेहनत के बाद मेरा ४ अलग अलग बैंक में ऑफ़िसर पद पर चयन हुआ। घर , रिश्तेदार और गाँव का हीरो था मैं। मन खूब गदगद था। माता पिता की आँखों में चमक देखी थी मैंने। बैंक को ही आख़िरी मंज़िल मान कर मन लगाकर रायबरेली में काम करने लगा मैं, क़िस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।
एक तो मेरी माता जी का सपना था बच्चा PCS / IAS बने मेरा, इसी बीच मेरे एक मित्र sdm बन गये, एक अजीब कश्मकश में था, क्या मैं नहीं कर सकता?? क्या मेरी capabilities इतनी ही हैं। आख़िरकार ताबूत में कील तब गड़ी जब मुझे मेरे कार्यस्थल में अकारण परेसान करने की कोशिश कुछ लोगों की द्वारा की गयी । इससे मैं डिगा नहीं, गया पुस्तक भंडार और ख़रीद लाया अपनी ज़िंदगी की कुछ सुनहरी स्मृतियाँ ,, हाँ हाँ सही समझे आप ghatnachakrA, वाणी और कुछ authentic किताबें।
समस्या बड़ी आयी क्यूँकि मै ठहरा यूपी बोर्ड का अंग्रेज़ी मीडीयम लड़का और किताबें थीं हिंदी में,, ख़ैर बहाने बहुत होते हैं, लेकिन जहां चाह है वहीं राह है, मैंने गूगल translator का इस्तेमाल किया और चीज़ों को समझा। मैंने तैयारी एप्रिल २०१७ से शुरू की , हालाँकि समय काम था किंतु दिल में ज्वालामुखी ने लक्ष्य से कभी भटकने नहीं दिया। ऑफ़िस से ९ बजे रात में आता १०-३ , ५ घंटे पढ़ाई करता फिर सुबह ७ बजे उठकर ऑफ़िस की लिए तैयार होता। समय काम था किंतु जज़्बा शबाब पर था।
बस ज़िद थी करना है तो करना है, चाहे जो क़ीमत देनी पड़े। कुछ क़ीमतें जो मैंने चुकाईं जैसे मेरा ४ घंटे सोने के कारण स्वस्थ्य गड़बड़ हुआ , ऑपरेशन हुआ, घरवालों से रिश्ते ख़राब हुए थे,दोस्त छूटे, बाहर जाना छूटा था, ऑफ़िस में प्रॉब्लम हुई। लेकिन कहते हैं ना, अंत भला तो सब भला। इसीलिए अगर आप सीरीयस है तो लक्ष्य निर्धारित करिए, पागल हो जाइए उसके लिए। रात , दिन सपने में goal का ही सपना देखो, पतंगे की तरह खुद को जलाओ, एक दिन दुनिया सलाम ठोकेगी।
हर बेहतरीन काम के पीछे मुसकिलें आना लाज़मी है, किंतु हमारा attitude ही आगे की मंज़िल तय करता है। लगे रहिए, हम आप जैसे ही तो करते हैं, do believe in urself, just follow persistency, preservancy to hit ur goal। । U can ask questions from me। . I will post my story, motivational story Nd imp tips for you guys.
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