न्यूज़ टैंक्स | लखनऊ
मथुरा । गांव रावल जिसे पुराने बरसाने के नाम से भी जाना जाता है.. यहाँ भी राधा रानी जी का जन्म उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया, परंतु अब की बार बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में प्रवेश निषेध रखा गया है, महाभिषेक आरती कि गई, रानी और भगवान श्रीकृष्ण की युगल छवि का अभिषेक किया गया, जिसमें सवा सौ किलो दूध, दही, घी, शहद, बुरा आदि से अभिषेक किया गया।
कुछ विद्वान मानते हैं कि राधा रानी जी की जन्म स्थली रावल को पुराना बरसाना कहा जाता है,यहां पर भी बड़ी धूमधाम से राधा अष्टमी का पर्व मनाया गया। वृषभान नंदनी भादो महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को अनुराधा नक्षत्र का मूल नक्षत्र में पैदा हुई थी। रावल गांव में बृजभान दुलारी राधा रानी के दर्शनों के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते थे, परंतु अबकी बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिर सेवायत और प्रशासन द्वारा अपील की गई थी कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए अपने ही घरों में रहे और श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में प्रवेश निषेध रखा गया है,
राधा रानी के मंदिर में सवा सौ किलो दूध दही मक्खन शहद बूरा आदि से कृष्ण राधा युगल छवि का अभिषेक किया गया, सुबह 5:30 बजे से महा अभिषेक किया गया, मंदिर पर सुबह 4:30 बजे मंगल आरती के बाद घड़ी घड़ियाल बजने लगे, जन्म के साथ राधा रानी के प्राकट्य दिव्या को चांदी की चौकी में विराजमान किया गया, मंदिर के सेवायत द्वारा वेद मंत्रों का उच्चारण करने लगे, और रानी और भगवान श्रीकृष्ण की युगल छवि का अभिषेक किया गया, जिसमें सवा सौ किलो दूध दही घी शहद बुरा आदि से अभिषेक किया गया, मंदिर के सेवा राहुल कला ने बताया कि बृजभान दुलारी राधा रानी का जन्म भादो महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को अनुराधा नक्षत्र का मूल नक्षत्र में पैदा हुई थी।
मूलो को शांत करने के लिए मंत्रों का उच्चारण कर 27 कुँए का जल लाया गया, जिससे राधा रानी को स्नान कराया गया, और मूल शांत कराई गई, जिसके बाद बृजभान दुलारी राधा रानी का सवा सौ किलो दूध दही घी शहद बुरा आदि से अभिषेक किया गया, बताया जाता है कि बृज की रानी राधा रानी ने 11 महीने तक अपनी आंखें नहीं खुली थी, राधा रानी को उनके माता-पिता नंद बाबा से मिलने के लिए गए थे, वही राधा जी चलने लगी घुटनों के बल और कान्हा के दर्शन करने के बाद ही अपनी आंखें खोली थी।