प्रकृति हमारा पोषण करती है उसे जीवित रखना हमारा कर्तव्य- मोहन भागवत

न्यूज़ टैंक्स | लखनऊ

हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन एवं पर्यावरण गतिविधि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आज पर्यावरण, वन एवं सम्पूर्ण जीव सृष्टि के संरक्षण के लिए आज देशभर में “प्रकृति वंदन” कार्यक्रम आयोजित किया गया इस कार्यक्रम का उद्देश्य मनुष्य को अपनी परम्पराओं की ओर लौटना है। कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक रविशंकर ने सम्बोधित किया। इस कार्यक्रम का सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से लाइव प्रसारण भी किया गया। “प्रकृति वंदन” कार्यक्रम की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सराहना की है।

लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट पर आयोजित किया गया कार्यक्रम 

प्रकृति से हम हैं, हमसे प्रकृति नहीं है इसी आधार पर आज सुबह 10 बजे से 11 बजे तक देश के 500 से अधिक केंद्रों और विश्व के 25 से अधिक देशों में लोगों ने प्रकृति की प्रार्थना की। इसी क्रम में लखनऊ के एस. आर. ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट और हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन एवं पर्यावरण गतिविधि ने सम्मलित रूप से यह कार्यक्रम लखनऊ स्थिति गोमती रिविर फ्रंट पर आयोजित किया। इस मौके पर पौधों की पूजा की गई। कार्यक्रम में उपस्थिति एस.आर. ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के चैयरमेन पवन सिंह चौहन और संस्था के सदस्यों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पेड़-पौधों का वंदन किया गया। इस अवसर पर पेड़-पौधों के साथ प्रकृति के लिए बलिदान करने वालों को भी याद किया किया। साथ ही वृक्षारोपण भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान एस.आर. ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के चैयरमेन पवन सिंह चौहन ने बताया कि “प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना हमारी भारतीय संस्कृति-परंपरा का अभिन्न और अनूठा हिस्सा है”।

हमें प्रकृति को जीतना नहीं, उसे जीवित रखते हुए पोषण पाना है- मोहन भागवत

 इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने प्रकृति के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और प्रकृति संरक्षण की अपील भी की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “हमें प्रकृति को जीतना नहीं है। उसे जीवित रखना है और उससे पोषण पाते रहना है।“ उन्होनें कहा है कि “प्रकृति का उपभोग करने की मनुष्य की प्रकृति के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। इसलिए प्रकृति के संरक्षण की जरूरत है”।

पीएम मोदी ने की कार्यक्रम की सराहना

प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा था कि “पर्यावरण संरक्षण हमारी संस्कृति का आधारभूत मूल्य है, ऐसे में वे 130 करोड़ भारतीयों के प्रयासों की सराहना करते हैं। उन्होंने जनता के बीच जागरूकता लाने के लिए एचएसएस संस्थान की पहल की सराहना और जैविक विविधता की रक्षा के लिए किए जा रहे निरंतर प्रयासों के लिए प्रसन्नता प्रकट की थी।

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