लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति अनुभाग के निर्देशानुसार आज़ादी कि 75वीं वर्षगाँठ के अवसर पर “आज़ादी का अमृत महोत्सव” से संदर्भित भारतीय भाषा, संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ एवं अंतर्राष्ट्रीय छात्र सहायता प्रकोष्ठ, डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्व विद्यालय विश्वविद्यालय, लखनऊ के संयुक्त तत्त्वावधान में “देश भक्ति के रंग, अमृत महोत्सव के संग” थीम पर आधारित “गीत, संगीत, संस्कृति विमर्श” विषयक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 09 अगस्त, 2021 को सायंकाल 5 बजे विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो सुबीर कुमार भटनागर के संरक्षण में किया गया।
कुलपति प्रोफेसर भटनागर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के अंतर्गत हम भारतीय भाषा संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ, एवं अंतर्राष्ट्रीय छात्र सहायता प्रकोष्ठ के माध्यम से भारतीय/ क्षेत्रीय संस्कृति और कला की पहचान कर, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार के महोत्सव, कार्यक्रमों द्वारा भारत की समृद्ध भाषाओं और देशभक्ति संस्कृति की शार्य गाथा, विवेचना करते है, अपने पाठ्यक्रमों में इसे देखते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षा डॉ अलका सिंह ने मंगलाचरण और मां सरस्वती का आव्हान करते हुए विविधता में एकता लिए भारत की समृद्ध भाषाओं में से एक अवधि भाषा के परिप्रेक्ष्य में नाटककार एवं प्रोफेसर रविन्द्र प्रताप सिंह के नाटक की चर्चा की। डॉ रविन्द्र प्रताप सिंह द्वारा लिखित नाटक “चैन कहां अब नैन हमारे” वीरांगना उदा देवी को समर्पित, उनकी शौर्य गाथा है। डॉ अलका सिंह ने नाटक से ” निम्न ऊंच का भेद नहीं। मज़हब पंथों के पेंच नहीं” पंक्तियों को लेकर विकास की सृजनमयी धरती भारत मां वंदन किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं कलाकार डॉ. दुर्गेश कुमार उपाध्याय थे जो वर्तमान में मनोविज्ञान विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में शिक्षक हैं l
डॉ. उपाध्याय ने अपने वक्तव्य में नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का सन्दर्भ लेते हुए भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्र चेतना के संवर्धन और विकास में देव भाषा संस्कृत, राज भाषा हिंदी और अपनी मातृ भाषा भोजपुरी के महती भूमिका के ऐतिहासिक एवं वर्तमान पक्ष पर प्रकाश डाला l डॉ. उपाध्याय ने बताया कि देववाणी संस्कृत वास्तव में भारतीय संस्कृति एवं परंपरा की वाहिका रही है l संस्कृत, हिंदी एवं भोजपुरी लोक भाषाओं में रचित गीतों, कविताओं आदि में देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां भी दीं l
संस्कृत में रचनाओं “वंदेमातरम्” एवं “जयतु जननी जन्म भूमिः पुण्यभुवनं भारतं”; भोजपुरी की रचनाओं “अरे रामा फहरे तिरंगा गगनवां, हिया हुलासाला ए हरी” एवं “धरती कै सरग सुघर भूमि भारत कै”; तथा हिंदी भाषा में रचनाओं “ए मेरे वतन के लोगों, ज़रा आंख में भर लो पानी” एवं “ए मेरे प्यारे वतन” आदि की प्रस्तुतियों के माध्यम से श्रोताओं के अंतर्मन में संगीत से राष्ट्र भक्ति तथा राष्ट्र भक्ति से राष्ट्र निर्माण की संभावना का संचार कर दिया l समिति सदस्य डॉ प्रसेनजीत कुंडू ने बंगाली भाषा की मिठास और मित्रता पर चर्चा करते हुए बांगला गायन किया। वहीं डॉ विपुल विनोद एवं डॉ मलय पांडे ने राष्ट्र भाषा हिंदी और देशप्रेम के बंधन पर विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के होस्ट डॉ अमनदीप सिंह ने पंजाबी भास्याचार और संस्कृति पर चर्चा करते हुए सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में विश्व विद्यालय परिवार के कुलपति, कुलसचिव, श्री अनिल मिश्रा, डॉ ए पी सिंह, डॉ अपर्णा सिंह, डॉ ए के तिवारी, समेत अन्य शिक्षक, छात्र, अधिकारी , अन्य विद्वानों एवं आम जन की सहभागिता रही। कार्यक्रम की तकनीकी सुरक्षा व्यवस्था की कड़ी श्री अभिनव शर्मा जी की रही।