सेना प्रमुख के एक बयान पर मचा सियासी घमासान, पढ़िए- किसने, क्या बोला

एनटी न्यूज़ डेस्क/ बयानबाजी

भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत के बयान पर बहुत बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया है. सेना प्रमुख ने अपने बयान में कहा कि असम में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) का पूर्वोत्तर राज्यों में तेजी से बढ़ना एक तरह से खतरे का संकेत है. सेना प्रमुख से इसी बयान से राजनीतिक गलियारों में तहलका मचा हुआ है.

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किसने क्या कहा इस बयान पर…?

एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने सेना प्रमुख के बयान पर पलटवार करते हुए कहा- पार्टी बढ़ रही है तो सेना प्रमुख को चिंता क्यों हो रही है?

अजमल ने अपना एक बयान जारी करते हुए कहा कि सेना प्रमुख बिपिन रावत ने एक राजनीतिक बयान दिया है, जो चौंकाने वाला है.

उन्होंने सेना प्रमुख की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सेना प्रमुख को चिंता क्यों है कि बीजेपी की तुलना में लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित एक राजनीतिक पार्टी तेजी से बढ़ रही है?

उन्होंने कहा कि बड़ी राजनीतिक पार्टियों के गलत रवैए की वजह से एआईयूडीएफ और आम आदमी पार्टी ‘आप’ जैसी वैकल्पिक पार्टियां तेजी से आगे बढ़ी हैं.

उन्होंने कहा कि इस तरह का बयान देकर सेना प्रमुख क्या खुद को राजनीति में शामिल नहीं कर रहे हैं? जो कि संवैधानिक रूप से गलत है.

इस बयान पर ओवैसी ने भी उठाए सवाल

बता दें कि सेना प्रमुख के बयान पर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं. ओवैसी के अलावा कई राजनीतिक पार्टियों ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है.

ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि सेना प्रमुख बिपिन रावत को राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, किसी राजनीतिक पार्टी के उदय पर बयान देना उनका काम नहीं है.

उन्होंने अपने ट्विट में कहा कि लोकतंत्र और संविधान इस बात की इजाजत देता है कि सेना हमेशा एक निर्वाचित नेतृत्व के तहत काम करेगी.

कांग्रेस-एनसीपी ने भी की निंदा

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कांग्रेस नेता मीम अफजल ने आर्मी चीफ के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आर्मी के अफसर को राजनीतिक बयानबाजी नहीं करनी चाहिए, जनरल रावत को ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए.

वहीं, इस मामले में एनसीपी नेता माजिद मेनन ने कहा कि ये राजनीतिक मामला है. इसपर नेताओं को ही बयानबाजी करनी चाहिए, आर्मी चीफ को ये सब शोभा नहीं देता है.

भाजपा नेता शायना एनसी ने सेना प्रमुख के बयान को डिफेंड करते हुए कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठ देश में बड़ा मुद्दा है, उसपर विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय नज़र बनाए हुए है.

क्या बोले थे आर्मी चीफ रावत?

सेना प्रमुख बिपिन रावत ने एक बुधवार को सेमिनार में कहा था कि जितनी तेजी से देश में बीजेपी का विस्तार नहीं हुआ उतनी तेजी से असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ बढ़ी है.

असल में सेना प्रमुख बिपिन रावत उस समय इलाके में होने वाली बांग्लादेशी घुसपैठ और जनसांख्यिकी परिवर्तन को समझाने के लिए उदाहरण दे रहे थे.

उन्होंने कहा कि घुसपैठ होने का एक बड़ा कारण जमीन पर कब्जा जमाना भी है.

सेमिनार में बोलते हुए सेना प्रमुख ने यहां पर बांग्लादेशी लोगों द्वारा घुसपैठ के बारे में कहा कि उत्तर-पूर्व में बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ के पीछे हमारे पश्चिमी पड़ोसी की छद्म नीति ज़िम्मेदार है.

जनरल रावत ने कहा है कि इस काम में हमारे पश्चिमी पड़ोसी को उत्तरी पड़ोसी का साथ मिल रहा है.

उन्होंने कहा है कि उत्तर पूर्व की समस्याओं का समाधान वहां के लोगों को देश की मुख्यधारा में लाकर विकास करने से मुमकिन है.

नौसेना प्रमुख ने चीन पर उठाए सवाल

पूर्वोत्तर से देश के संपर्क मार्ग यानी सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आरके धवन ने कहा कि चीन से मतभेदों के बावजूद अनेक दशकों से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शान्ति बरकरार रही है.

इसके साथ एडमिरल आरके धवन ने कहा कि हालांकि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा सीमा का अतिक्रमण करने की बढ़ती घटनाएं और डोकलाम में हालिया गतिरोध चीन की बढ़ती मुखरता का प्रतीक है, क्योंकि वह आर्थिक और सैन्य मोर्चों पर प्रगति कर रहा है.

उन्होंने सेमीनार में कहा कि यह घटनाएं सिलीगुड़ी कॉरिडोर की संवेदनशीलता की ओर इशारा करती हैं. सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन-नेक वह संकीर्ण भूभाग है जो पूर्वोत्तर के राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है.

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