एनटी न्यूज डेस्क/कानपुर देहात/ अमित पांडेय
उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गाँव हैं, जहाँ रंगों का त्यौहार ‘होली’ नहीं मनाया जाता है। जब पूरे देश में रंग-बिरंगे गुलाल के साथ होली की रौनक लोगों के सिर चढ़कर बोलती है, तब इस गाँव में सन्नाटा पसर जाता है। ये अजीब तो है ही लेकिन हकीकत में सच्चाई भी यही है।
ये गाँव उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में पड़ता है। गाँव का नाम रामनगर है और यह जिले के झींझक ब्लाक क्षेत्र में स्थित है। आपको बता दें कि इस गांव में कई वर्षों से न तो घरों में रंग खेले गए हैं और ना ही होली पर पकवान बनते हैं।
सुनने में ये थोड़ा सा अजीब जरूर लगेगा लेकिन सच यही है। इस बारे में जानकारी के लिए न्यूजटैंक्स डॉट कॉम संवाददाता रामनगर पहुंचे। संवाददाता ने घरों में जाकर देखा तो घरों पर ही नहीं छत पर भी सन्नाटा पसरा था।
क्या कहते हैं ग्रामीण
इस बारे ग्रामीणों का कहना है कि पूर्वजों के के हिसाब से होलिका दहन का जो उद्देश्य है, वह गलत है। जिसके कारण ग्रामीण ना होली जलाते हैं और ना ही खेलते हैं। उन्हीं पूर्वजों की मान्यता को आज भी ग्रामीण पालन कर रहे हैं और होली का त्यौहार नहीं मनाते।
महिलायें नहीं बनाती पकवान
इस बारे में गाँव की महिलाओं से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि होली के त्यौहार पर वह घरों में पकवान नहीं बनाती है। पूर्वजों की तरह वह भी उस मान्यता को अपनाते हुए चली आ रही हैं।
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अजीब सी उलझन है
जहां एक और पूरे देश में होली का खुमार चढ़ा है, वहीं दूसरी तरफ इस गांव में सन्नाटा पसरा होगा। बच्चे, बूढ़े जवान सभी शांत नजर आ रहे हैं। गांव में मातम सा छाया हुआ है। त्यौहारों के इस मौसम पर छतों-गलियों में सन्नाटा देख एक अजीब सी उलझन महसूस होती है।