विधायिकाओं की बिगड़ती कार्यप्रणाली और अन्य मुद्दों पर बोले उपराष्ट्रपति नायडू

एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति

उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने विधायिकाओं की बिगड़ती कार्यप्रणाली को लेकर चिंता जताई और कहा कि इससे प्रतिनिधियों की विश्वसनीयता समाप्त हो रही है. नायडू ने कहा, “कार्यपालिका पर विधायकों की बढ़ती पकड़, सहूलियतों के लिए किसी का पक्ष लेना, आपराधिक रिकार्ड, निर्वाचित होने के बाद संपत्ति में वृद्धि, विधायिकाओं में बैनर और पोस्टर दिखाना, लगातार व्यवधान, उल्लंघन और चुनावी कदाचार निर्वाचित प्रतिनिधियों की विश्वसनीयता को समाप्त कर रहे हैं और संसदीय लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर रहे हैं.”

नायडू भारतीय संसदीय समूह द्वारा आयोजित ‘वी फॉर डेवलपमेंट’ शीर्षक पर आधारित पहली नेशनल लेजिस्लेटर्स कांफ्रेंस के समापन सत्र में बोल रहे थे.

उप राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि सभी राजनीतिक दलों और लोगों पर जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि सही चाल-चरित्र वाला व्यक्ति निर्वाचित हो.

उन्होंने कहा, “विधायिका कोई बैनर और पोस्टर दिखाने की जगह नहीं है. अगर विधायिका में विधायक प्रदर्शन और व्यवधान में शामिल होते हैं तो उन्हें विकास का एजेंट होने का दावा नहीं करना चाहिए.”

नायडू ने कहा, “इन समस्याओं को हल करने के कई प्रयास किए गए, ऐसे प्रयासों की और जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संसद केवल वही व्यक्ति जाए जिसका सही रिकार्ड हो.”

उन्होंने कहा कि संसद कोई लड़ाई का स्थल नहीं है और न ही ‘हम तुम्हें बाहर देख लेंगे’ जैसे धमकी भरे शब्द का प्रयोग करने की कोई जगह है.

नायडू ने कहा, “नारे लगाते हुए आपको (सांसदों को) बतौर प्रतिनिधि चुना गया है. लेकिन, नारे संसद के बाहर लगाए जाने चाहिए न की सदन के अंदर.”

राज्यसभा सभापति नायडू ने कहा कि लोकतंत्र एक ऐसा मंच है जहां लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए बातचीत कर समाधान निकाले जाते हैं. साथ ही उन्होंने निर्वाचित प्रतिनिधियों से टकराववादी दृष्टिकोण से निकलकर विधायिकाओं के कामकाज को प्रभावी व सक्षम बनाने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, “सत्ता और विपक्षी दल को जनहित में समायोजन की भावना से निर्देशित होना चाहिए.”

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