‘बदनाम हुए तो क्या नाम न होगा’, कुछ इसी राह पर चलकर नरेश बने ‘भाजपाई’

एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति/ योगेन्द्र त्रिपाठी

भारतीय जनता पार्टी, यह विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है और देश के करीब 70 प्रतिशत भूभाग शासन कर रही है. भाजपा लगातार जनता कोई जमीन पर सन्देश दे रही है कि भारत को कांग्रेस, लेफ्ट मुक्त करना है लेकिन पार्टी खुद में लगातार विपक्ष युक्त होती जा रही है. इस तर्ज पर भाजपा ने कई के पाप धुलें हैं. अब नया नाम है नरेश अग्रवाल का, जो कल ही भाजपा में शामिल हुए हैं.

और यहाँ धुल जाते हैं पाप

ममता के दुलारे मुकुल रॉय, आजम खान के दुलारे वसीम रिज़वी और अब सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के दुलारे नरेश अग्रवाल को भाजपा में शामिल करना इस बात का प्रत्यक्ष उदहारण है.

खैर, आज जब नरेश अग्रवाल की बात निकली है तो इनके बारे में आपको कुछ पुरानी बातें जान लेनी चाहिए. इससे आपको देश की मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम को समझने में मदद मिलेगा साथ में ही आपको यह भी समझ आएगा कि आने वाले चुनावों में दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा किस तरह के लोगों के साथ जमीन पर उतरेगी.

कहानी अभी से शुरू करते हैं…?

वर्तमान में समजवादी पार्टी से राज्यसभा सदस्य अपने पुराने साथी और एक तरह से राजनीतिक संरक्षक मुलायम सिंह यादव का साथ छोड़ कर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नीतियों से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हो गये हैं.

आतंरिक कारण जो भी हों लेकिन कल भाजपा में शामिल होते वक्त जो उन्होंने कहा उससे साफ़ झलकता है कि वह सपा से महज इसलिए ही नाराज हैं क्योंकि इस बार उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं दिया गया.

इस दर्द को बयान करते हुए नव भाजपा नेता ने कहा कि एक नाचने-गाने और एक्ट करने वाली को सपा ने टिकट देकर उनका अपमान किया है.

यह बात उन्हें कितनी खली होगी कि उन्होंने इस बात का भी ख्याल नहीं रखा कि वह क्या बोल रहे हैं. खैर, संबित पात्रा ने तत्काल डैमेज कण्ट्रोल किया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

ये है शुरूआती जीवन…

वरिष्ठ राजनेता का पूरा नाम नरेश चन्द्र अग्रवाल है. ये हरदोई में पैदा हुए हैं और लखनऊ में पले-बढ़े. यहीं से यानी लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी और वकालत की पढ़ाई की.

नरेश को राजनीति में करीब 38 सालों का अनुभव है. इनके बारे में कहा जाता है कि ये हवा का रुख भांप लेते हैं और जिस तरफ हवा उस तरफ ये खुद.

इन्होंने अब तक चार राजनीतिक दलों का साथ दिया है या यूं कहें उन्होंने इन्हें टिकट दिया और ये जीते.

इसके अलावा वह एक बार खुद की भी पार्टी बना चुके हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में हरदोई से उतार सकती है.

कैसे शुरू हुई राजनीतिक यात्रा

अपने जिन्दगी के 67 साल देख चुके नरेश अग्रवाल पहली बार 1980 में हरदोई से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे.

सात बार विधायक चुने जा चुके नरेश सियासत की सौदेबाजी में कभी घाटे में न रहे.

साल 1997 में उन्होंने कांग्रेस के कई विधायकों को साथ लेकर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया और विश्वास मत हासिल करने में कल्याण सिंह का साथ दिया.

इस सहयोग के बदले वह कल्याण, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह सरकार में प्रदेश में ऊर्जा मंत्री रहे.

करीब आ गये मुलायम के…

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साल 2000 में यूपी में बीजेपी जहां ढलान पर थी और समाजवादी पार्टी (सपा) मजबूत होती दिख रही थी.

मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक कद बढ़ता देख नरेश अग्रवाल उनके साथ हो गए थे.

साल 2002 का चुनाव उन्होंने सपा के टिकट पर लड़ा और मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में परिवहन मंत्री भी बने.

फिर मुलायम सिंह से तोड़ा दिया नाता

साल 2007 में नरेश अग्रवाल हरदोई से सपा के टिकट पर विधायक बने, लेकिन राज्य में सरकार बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की बनी.

मौका देखते ही नरेश अग्रवाल ने मई 2008 में सपा से नाता तोड़कर मायावती के साथ हो लिए. बीएसपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिसके बाद वह 2012 में बेटे के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए.

सपा ने 2012 में उन्हें राज्यसभा भेजा और अक्टूबर में आगरा में हुए अधिवेशन में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया गया था.

ये है नरेश अग्रवाल के बयानों की फेहरिश

साल 2008 में बसपा में शामिल होते वक्त उन्होंने कहा कि अब पूरा राजनीतिक जीवन बहनजी को अर्पित कर रहा हूं. अपना बेटा उन्हें सौंप रहा हूं. मायावती भावी पीएम ही नहीं देश की कर्णधार हैं.

साल 2011 में सपा में शामिल होते वक्त उन्होंने कहा कि चार साल बाद खुद को राजनीतिक रूप से आजाद महसूस कर रहा हूं. जब तक मुलायम सिंह यादव को सीएम नहीं बना लेता, चैन से नहीं बैठूंगा.

साल 2018 बीजेपी में शामिल होते पीएम का गुणगान करते हुए नरेश अग्रवाल ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित हूं. सीएम योगी से भी प्रभावित हूं. सरकार जिस तरह से काम कर रही है, पीएम के नेतृत्व में उनके साथ होना चाहिए.

अब जरा भाजपा के खिलाफ बयानों की फेहरिश देख लें…

जाधव को कहा आतंकी

नरेश अग्रवाल ने पूर्व नेवी अधिकारी कुलभूषण जाधव को लेकर काफी उत्तेजक बयान दिया था.

नरेश ने कहा था, ‘अगर पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को अपने देश में आतंकवादी माना है, तो वो उस हिसाब से जाधव के साथ व्यवहार करेंगे. हमारे देश में भी आतंकवादियों के साथ ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए.’

अग्रवाल ने ये बयान जाधव के परिवार की उनसे मुलाकात के संदर्भ में दिया था. इस्लामाबाद में जाधव के परिवार के साथ पाकिस्तान ने बदसलूकी की थी.

पीएम मोदी पर की टिप्पणी

सपा में परिवारवाद के आरोपों का जवाब देते हुए नेता नरेश अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत टिप्पणी की थी.

उन्होंने मोदी के शादी न करने पर चुटकी लेते हुए कहा था, ‘उन्होंने शादी तो की नहीं, वह परिवार का मतलब कैसे जानेंगे. वह कैसे जानेंगे कि परिवार का आनंद क्या होता है.’

बलात्कार पर सोच कुछ इस प्रकार है

उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुए गैंगरेप पर भी नरेश अग्रवाल विवादित टिप्पणी कर चुके हैं.

नरेश से जब एक महिला को अगवा करके कथित रूप से गैंगरेप की घटना और प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब में कहा, ‘आप एक बछिया को भी जबरदस्ती घसीटकर नहीं ले जा सकते. ‘

इस कारण उस वक्त समाजवादी पार्टी को मीडिया के साथ-साथ विपक्ष की आलोचनाओं का सामना करता पड़ा था.

लड़कियों के कपड़ों पर उठाया सवाल

मुंबई में हुए गैंगरेप के बाद भी अग्रवाल ने महिलाओं को एक अनोखी सलाह दे डाली थी. उन्होंने कहा था कि रेप से बचने के लिए लड़कियों को अपने कपड़ों का ख्याल रखना चाहिए.

इसके पीछे नरेश अग्रवाल का तर्क था, ‘हमें सामाजिक सोच को बदलना पड़ेगा. टीवी की अश्लीलता, रहन-सहन और कपड़े पहनने के तौर-तरीकों पर भी ध्यान देना होगा.’

देवी-देवताओं पर की थी अपमानजनक टिप्पणी

नरेश अग्रवाल देवी देवताओं पर भी विवादित बयान दे चुके हैं.

उन्होंने राज्यसभा में बोलते हुए कहा था, ‘व्हिस्की में विष्णु बसें, रम में श्रीराम, जिन में माता जानकी और ठर्रे में हनुमान. सियावर रामचंद्र की जय’.

उनके इस बयान पर राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ था. अग्रवाल के घर पर कालिख पोती गई और उनके खिलाफ केस भी दर्ज हुआ था.

पीएम मोदी के लिए जातिसूचक शब्द

नरेश अग्रवाल ने लखनऊ में वैश्य समाज की एक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के लिए जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल करते हुए उन्हें वैश्य समाज का हिस्सा मानने से इनकार कर दिया था.

उस दौरान सभा में मौजूद लोगों ने ही अग्रवाल के इस बयान का काफी विरोध किया था.

‘भांड’ का चुके हैं सहवाग को

नरेश अग्रवाल ने भारत के विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और अन्य खिलाड़ी योगेश्वर दत्त, बबीता फोगट पर आपत्तिजनक टिप्पणियां भी की थीं.

उन्होंने कहा, ‘देश में चाटुकारिता करने वालों की कमी नहीं है. यह चाटुकार और भांड खड़े हो जाते हैं. यह कभी देशभक्त नहीं हो सकते हैं और कभी देश के पक्ष में नहीं बोल सकते. इन सब को हम को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए.’

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