एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति
जनता की भारी-भरकम उम्मीदों पर स्वर होकर सत्ता में आई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवाई वाली भाजपा सरकार को चार साल होने पूरे होने वाले हैं. इस बीच सरकार ने आने वाले आम चुनावों के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. मगर इसी के साथ यह अंतिम साल मोदी सरकार के लिए कुछ बड़ी मुसीबतें खड़ी कर रहा है. मोदी सरकार के लिए धीरे-धीरे विपक्षी और साथी दल मुसीबत का सबब बनते जा रहे हैं.
इस कड़ी में सबसे आगे है, आंध्र प्रदेश से मोदी सरकार का साथ दे रही तेलगु देशम पार्टी यानी टीडीपी. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू की अगवाई वाली यह आज यानी शुक्रवार को मोदी सरकार संसद में अविश्वास प्रस्ताव ला रही है और इस पार्टी ने भाजपा गठबंधन से अपना सालों पुराना नाता तोड़ लिया है.
इसकी मुख्य वजह है, आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा ना मिलना. इसी के कारण टीडीपी ने यह बड़ा फैसला लिया है.
मंत्रियों ने पहले ही दे दिया था इस्तीफा
राज्य को विशेष दर्जा न मिलने के मुद्दे को लेकर पहले ही टीडीपी कोटे के मंत्रियों ने केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया था. वहीं, बीजेपी कोटे के मंत्रियों ने राज्य सरकार से अपना इस्तीफा दे दिया था.
चंद्रबाबू नायडू ने गुरुवार शाम को अपने सांसदों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की थी. कुछ देर में चंद्रबाबू नायडू बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को ई-मेल और फैक्स के जरिए इस बात की आधिकारिक जानकारी देंगे.
निर्णय लेनी वाली कमेटी के साथ की बैठक
टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने इस मुद्दे को लेकर पार्टी की सबसे बड़ी निर्णय लेने वाली कमेटी पोलित ब्यूरो के साथ बैठक की. नायडू ने एनडीए से अलग होने का फैसला इसी बैठक में लिया.
टीडीपी का आरोप है कि बीजेपी ने आंध्र प्रदेश के साथ सही तरीके से बर्ताव नहीं किया. इसी बैठक में पार्टी ने फैसला किया है कि वह लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगी.
अविश्वास प्रस्ताव पर क्या कहती है टीडीपी
टीडीपी का कहना है कि गुरुवार को वाईएसआर कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव ला रही है, लेकिन सोमवार को हम करीब 54 सांसदों का समर्थन हासिल करेंगे.
पार्टी का कहना है कि अगर शुक्रवार को प्रस्ताव पेश नहीं हो पाता है, तो सोमवार को लाएंगे. टीडीपी ने बीजेपी को ब्रेक जनता प्रोमिस पार्टी बताया है.
विपक्षी पार्टियों से बात कर रही है टीडीपी
अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन के लिए टीडीपी कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों से भी बात कर रही है. इसके अलावा टीडीपी एनडीए में शामिल दलों से भी उनके समर्थन की अपील कर रही है.
चंद्रबाबू नायडू खुद इस बारे अन्य पार्टियों के नेताओं से बात कर रहे हैं. पहले टीडीपी के सांसद सदन में सभी पार्टियों के नेताओं से बात करेंगे, जिसके बाद नायडू पार्टी नेताओं से समर्थन की अपील करेंगे.
आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी. वाईएसआर पार्टी के 6 सांसदों ने शुक्रवार के लिए लोकसभा महासचिव को प्रस्ताव का नोटिस दिया है.
मतलब साफ है कि अब टीडीपी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर सकती है.
टीडीपी का पूरा समर्थन
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग टीडीपी लगातार कर रही है. टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन करने का ऐलान किया है.
विधानसभा में नायडू ने कहा कि अगर जरुरत पड़ी टीडीपी केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी. जगन मोहन रेड्डी ने भी नायडू को पत्र लिखकर समर्थन देने की अपील की है. इसके अलावा टीआरएस भी राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रही है.
विपक्ष का समर्थन जुटाने की अपील
जगन मोहन रेड्डी की पार्टी इसके लिए अन्य विपक्षी दलों से समर्थन भी जुटा रही है. पार्टी के सांसद जगन की ओर से लिखे गए एक पत्र को संसद के भीतर विपक्षी सांसदों के बीच बांट रहे हैं और उनसे इस प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील कर रहे हैं.
सदन में इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है.
क्या है अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया ?
नियमों के मुताबिक, सबसे पहले लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन वाईएसआर कांग्रेस के किसी सांसद को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने को कहेंगी.
इसके बाद करीब 50 सांसदों को इसका समर्थन करने के लिए खड़ा होना होगा, तभी इसके आगे की प्रक्रिया शुरू होगी.
लेकिन इसमें भी एक पेंच है, ये प्रस्ताव तभी पेश हो सकता है कि जब सदन ऑर्डर में हो, अगर कोई सांसद इस दौरान हंगामा कर रहा हो तो प्रस्ताव पेश करने में मुश्किल हो सकती है.
अभी क्या है लोकसभा में स्थिति?
- भारतीय जनता पार्टी – 272 + 1 (स्पीकर)
- कांग्रेस – 48
- एआईएडीएमके – 37
- तृणमूल कांग्रेस – 34
- बीजेदी – 20
- शिवसेना – 18
- टीडीपी – 16
- टीआरएस – 11
- सीपीआई (एम) – 9
- वाईएसआर कांग्रेस – 9
- समाजवादी पार्टी – 7
- इनके अलावा 26 अन्य पार्टियों के 58 सांसद
- 5 सीटें अभी भी खाली हैं.