एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति
राजनीतिक वर्चस्व की जंग में राज्यसभा चुनाव अब लोकसभा चुनाव से भी ज्यादा हाई वोल्टेज ड्रामे में तब्दील होते जा रहे हैं. गुजरात की तरह शुक्रवार को यूपी में भी मतगणना रोकनी पड़ी. चुनाव आयोग के हस्तक्षेप के बाद ही आगे बढ़ा जा सका.
संसद के उच्च सदन को संभ्रात व बुद्धिजीवियों के सदन का तमगा हासिल है, लेकिन अब राज्यसभा चुनाव सबसे ज्यादा जोड़ तोड़ व ताकत के प्रतीक बन गए हैं. दूसरे दलों में सेंध लगाकर अपनी क्षमता से अतिरिक्त उम्मीदवार को जिताने की होड़ बढ़ती जा रही है.
दसवीं सीट के लिए हुआ ताकत प्रदर्शन
यूपी में दसवीं सीट के चुनाव में किसी एक दल के पास पर्याप्त विधायक न होने से उसके लिए भी चुनावी जंग हुई. सत्तारूढ़ भाजपा ने सपा-बसपा की नई दोस्ती को चुनौती देते हुए अपना नौवां उम्मीदवार उतारकर चुनाव को गरमा दिया. लखनऊ में दिनभर जोड़-तोड़ चलती रही और परदे के पीछे समीकरण बनते-बिगड़ते रहे.
झारखंड, कर्नाटक व पश्चिम बंगाल में भी ऐसी ही स्थिति रही. आम तौर पर विभिन्न दल अपनी ताकत के हिसाब से ही उम्मीदवार उतारते हैं, लेकिन कुछ राज्यों में एक-दो सीट पर कोई एक दल या गठबंधन नहीं जीत सकता है. ऐसे में वहां पर जोड़ तोड़ शुरू होती है.
आधी रात तक गहमागहमी
गुजरात में कांग्रेस नेता अहमद पटेल के चुनाव को लेकर आधी रात तक गहमागहमी रही थी. चुनाव आयोग का दरवाजा तक खटखटाया गया. यूपी में भी एजेंट को मतपत्र न दिखाने का मामला उठा. आयोग के हस्तक्षेप पर मतगणना शुरू हो सकी.
पहले सिर्फ झारखंड की चर्चा
राज्यसभा चुनावों में पहले झारखंड चर्चा में रहता था. यहां से बड़े उद्योगपति चुनाव मैदान में उतरते और उन पर विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोप लगते रहे. लेकिन अब हर राज्य में राजनीतिक वर्चस्व की जंग देखने को मिलने लगी है.