आम चुनाव : ममता ने सोनिया को दिया साथ आने का न्यौता, क्या होगा असर

आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने दमदार चुनौती पेश करने के लिए क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने की कवायद में जुटी ममता बनर्जी कांग्रेस के दरवाजे पर भी पहुंचीं. ममता ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी से भेंट की और भाजपा विरोधी फ्रंट में साथ देने का न्योता दिया. यह अलग बात है कि बाद में राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकारने के सवाल का जवाब नहीं दिया. जाहिर है कि ममता की कवायद तीसरे मोर्चे को तो रूप दे सकती है लेकिन संपूर्ण विपक्ष की गोलबंदी फिलहाल मुश्किल है.

लोकसभा चुनाव, भाजपा, ममता बनर्जी, कांग्रेस, टीएमसी

हुई आगामी आम चुनावों पर चर्चा

सोनिया से भेंट के बाद तृणमूल कांग्रेस (तृकां)की मुखिया ममता बनर्जी ने कहा, वे जब भी दिल्ली आती हैं, सोनिया से मिलती हैं. आज की भेंट में 2019 के लोकसभा चुनाव पर चर्चा हुई. दोनों नेता भाजपा को हराने की जरूरत पर एकमत थे.

ममता ने कहा, हम चाहते हैं कि भाजपा से वन-टू-वन मुकाबला हो. इसका फामरूला समझाते हुए बोलीं, जिस राज्य में भाजपा के खिलाफ जो पार्टी मजबूत हो, बाकी सभी पार्टी उसका सहयोग करे. जैसे उत्तर प्रदेश में माया-अखिलेश, बिहार में लालू-कांग्रेस.

सोनिया से मुलाकात में गंभीर दिखीं ममता

सोनिया से भेंट कर ममता ने जहां विपक्षी एकता के लिए प्रयासों की गंभीरता दिखाई, वहीं इससे विपक्ष की एकता की सबसे कमजोर कड़ी भी सामने आ गई. जब ममता बनर्जी से राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार करने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘आपकी बात नहीं बोलेंगे, अपनी बात बोलेंगे.’

जाहिर है नेतृत्व के सवाल पर विपक्षी एकता की पूरी कवायद धराशायी हो सकती है. कांग्रेस यदि राज्यों में क्षेत्रीय दलों के नेतृत्व को स्वीकार कर ले तो फिर उसके अपने लिए जगह कहां बचेगी. वैसे भी ममता का वन टू वन कांग्रेस के लिए फायदे से ज्यादा नुकसान का सवाल हो सकता है.

बागी नेताओं से भी मिलीं ममता

सोनिया से पहले ममता ने भाजपा के बागी नेताओं शत्रुघ्न सिन्हा, यशवंत सिन्हा से भी भेंट की. इन दोनों नेताओं ने भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की ममता की कोशिशों को सराहा.

ममता ने मंगलवार को एनसीपी, शिवसेना, टीआरएस, टीडीपी, आरजेडी और सपा के नेताओं से भेंट की थी.

दिल्ली के तीन दिनी दौरे पर आई ममता ने भाजपा के खिलाफ जमकर बयानबाजी की और मायावती की सराहना की. माया ने केंद्र सरकार पर राज्यों के साथ दोहरा व्यवहार करने का आरोप लगाया था.