ऐसे पढ़ेगा इंडिया तो कैसे बढ़ेगा इंडिया : मथुरा के प्राथमिक स्कूल बने खंडहर, पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट…

एनटी न्यूज़ डेस्क / मथुरा / शिव कुमार शर्मा

‘पढ़ेगा इंडिया-तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया’ यह नारा देश की सरकार का है लेकिन तस्वीरें इसके उलट कुछ और ही बयां कर रही है. क्या ऐसे पढ़ेगा इंडिया, क्या ऐसे आगे बढ़ेगा इंडिया, जहाँ स्कूलों में ना छत है, ना पीने के पानी की व्यवस्था है, ना ही टीचर पूरे आते हैं, ना ही कोई शौचालय है, ना कोई सिक्योरिटी है और ना ब्लैक बोर्ड है. पढ़िए और खुद देखिये ग्राउंड रिपोर्ट…

मथुरा के स्कूलों का हाल…

योगी सरकार प्रदेश में बेहतर शिक्षा देने की दिशा में बात कर रही है, लेकिन जमीन पर इनके दावे उल्टे नजर आ रहे है. तस्वीरें मथुरा के आजाद प्राइमरी स्कूल व नानक प्राइमरी स्कूल की है. जो मथुरा के कठौती कुआं पर है.

ये खुला असमान…

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बच्चों के लिए ड्रेस जूते व बेहतरीन शिक्षा की बात कर रहे हैं.  वही  मथुरा में दो प्राइमरी स्कूलों की हालत बद से बदतर है. जिनकी  छत टूटी हुई हैं.  स्कूल में बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है.  शौचालय भी नहीं है.  इस समय लगभग 80 से ज्यादा बच्चे  खुले में पढ़ने के लिए मजबूर हैं.

पहाड़े पढ़ते ही, ईट गिरती है…

इन प्राइमरी स्कूलों के कमरों के ऊपर से छत टूट चुकी है.  बच्चों के ऊपर दीवारों से ईंटे गिरती रहती हैं.  यह बच्चे बरसात हो या फिर चिल-चिलाती धूप खुले में पढ़ाई करते है. धूप आने पर बगल में पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर होते है.

आजाद और नानक प्राइमरी स्कूल…

आजाद प्राइमरी स्कूल और नानक प्राइमरी स्कूल  का हाल आप वीडियो में देख सकते है. इस बारे में क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि यह स्कूल लगभग 15 से 20 साल से ऐसी स्थिति में चल रहा है. कई सरकारें बदल गई लेकिन इस स्कूल का नसीब नहीं बदला.

स्कूल से सजी कई छात्रों की जिंदगी…

क्षेत्रीय लोगों की मानें तो इस स्कूल में पढ़े हुए लोग जज, एसपी,, आईएएस आईपीएस और वकील तक बने है. लेकिन आज की स्थिति को देखते हुए बच्चे ढंग से पढ़ नहीं पा रहे.

बहुत कष्ट है…

बच्चों से बात करने पर उनके बोल दिल को रुसुवा कर गए. छात्रों का कहना है  कि यह स्कूल बन जाए तो हम बहुत अच्छे से पढ़ सकेंगे, हमें बहुत गर्मी लगती है.

छोटे-छोटे मासूम बच्चों पर क्यों शासन-प्रशासन इतना कष्टदायक काम कर रहा है कि उनके भविष्य के लिए स्कूल की छत भी  नहीं बनवाई जा रही एक और जहां जिले के आला अधिकारी सभी अपने एसी ऑफिस में  बैठकर कार्य कर रहे हैं वहीं छोटे-छोटे बच्चे धूप में गर्मी में झुलसने के लिए मजबूर है.

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लिखित में दिए स्कूल की मरम्मत के लिए प्रार्थना पत्र…

दुर्दशा के बारे में कोई सुनने को तैयार नहीं है फिर आखिर कहें तो किससे ? यह एक बड़ा सवाल है. प्रधानाचार्य की माने तो उनका कहना है कि कई बार लिखित में अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती.

बीएसए नदारत…

इस बारे में जब भी बीएसए से बात करने हम उनके ऑफिस पहुंचे तो 9:30 बजे तक बीएसए अपनी सीट पर नहीं थे. उनके आते ही जब इस बारे में जब हमने उनसे बात की तो उनका कहना था कि मैं 9:10 में कार्यालय में बैठा हुआ था जबकि तस्वीरें कुछ और बता रही हैं.  9:20 में उनके कार्यालय की लगी हुई घड़ी बता रही है कि वह सीट पर नहीं थे. इस पर बीएसए का कहना है. कि आप इसे चला दीजिए इसका जवाब दे देंगे.  कैमरे में कैद तस्वीरों को भी झुठला रहे है.

ऊर्जा मंत्री सुधार करेंगे…

वहीं जब उनसे स्कूलों की दुर्दशा के बारे में बात की गई. तो उनका कहना है  कि बहुत जल्दी माननीय ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के इस दिशा में कदम उठाएंगे. और शायद दस दिन में प्रस्ताव भी आ जाएगा. प्रस्ताव आने के बाद ही कोई कार्रवाई हो पाएगी फिलहाल इसमें कुछ भी करने में असमर्थ है.

हमारे पास सत्य और तथ्य के साथ बहुत वीडियो  है, हालात बयां करने के लिए. अब देखना यह है कि प्रशासन अपनी झूठी जुमलेबाजी को सत्यता में कब बदलेगा और धरातल में कब उतारेगा.

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