एनटी न्यूज़ डेस्क / मथुरा / बादल शर्मा
जिस घर में बुजुर्गों का सम्मान नहीं उस घर में बरकत नहीं होती, अगर यह कहावत सच है तो उत्तर प्रदेश में खुशहाली के तमाम सरकारी दावे खोखले हैं. प्रदेश की सरकारी मशीनरी बुजुर्गों के साथ बेहद निष्ठुर और अमर्यादित व्यवहार कर रही है. गुरुवार की दोपहर को मथुरा के विकास भवन (राजीव भवन) का नजारा देख कर हर किसी की आंखें नम हो गर्इं. बस नहीं पिघले तो सरकारी कर्मचारी और अधिकारी.
चार दिन से भूखी वृद्ध…
बड़ी संख्या में बुजुर्ग अपनी पेंशन सम्बन्धी फरियाद लेकर विकास भवन स्थित समाज कल्याण अधिकारी के दफ्तर पहुंचे थे. इनमें वृंदावन के देवी आटस गांव की 82 वर्षीय वृद्धा भी शामिल थी. वृद्धा ने बताया कि चार दिन से उसने खाना नहीं खाया है. दूसरा कोई सहारा नहीं है. ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी सुन नहीं रहे हैं.
कई महीने से इनके चक्कर काट रही हूं. किसी ने बताया तो वह मथुरा आई लेकिन यहां भी किसी ने उसकी फरियाद नहीं सुनी है. वृद्धा ने बताया कि उससे कह दिया गया है कि दो चार महीने में पेंशन मिल जाएगी.
राजीव भवन पर अपनी पीड़ा बाताते बताते वृद्धा की आंखों से आंसू निकल आये. मौके पर मौजूद लोगों की आंखे भी नम हो गर्इं. दूसरे बुजुर्गों की भी यही स्थिति थी. किसी को छह महीने से तो किसी को आठ महीने से पेंशन नहीं मिली है.
संसाधनों की कमी का हवाला…
जिला समाज कल्याण अधिकारी डा.करुणेश त्रिपाठी ने संसाधनों की कमी का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिये. उन्होंने कहा कि 11 कर्मचारियों का काम एक व्यक्ति कर रहा है ऐसे में ज्यादा बेहतर की उम्मीद नहीं की जा सकती है. इस मामले में जब हमने जिला कल्याण अधिकारी से कैमरे के सामने बोलने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया.
उपरोक्त बातों से यह भी जाहिर होता है कि विभागों में विभिन्न पद खाली है. इसके बावजूद सरकार इन पदों पर भर्ती ना कर बेरोजगारी के दायरे को बढ़ा रही है.
बीजेपी सरकार के नुमाइंदे किसानों की जमीनें कब्जा रहे हैं : पं. शेखर दीक्षित