एनटी न्यूज़ डेस्क/ अमेठी/ आदित्य शुक्ला
उत्तर प्रदेश में जहाँ एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बड़ी तेजी से कानून व्यवस्था सुधारने के लिए प्रयासरत है. वहीं, उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारी पीड़ित से मिलने और उनकी समस्याए सुनने के बजाय उनसे कतराते नजर आते है. इसके साथ ही पीड़ितों से उनका मामला सुलझाने के एवज में पैसे के मांग की भी बात सामने आई है.
क्या है पूरा मामला…
मामला अमेठी का है, जहाँ आए दिन विवादों के घेरे में रहने वाली अमेठी पुलिस का एक नया मामला सामने आया है. इस मामले में एक जमीनी रंजिश में ग्राम प्रधान की शह पर जिलाबदर बेटे ने अपने ही बड़े भाई और पिता को मार-मार कर लहूलुहान कर दिया.
पीड़ित जब मामले की शिकायत करने थाने पर पहुँचे तो बेशर्म बनी अमेठी पुलिस ने आरोपित व्यक्तियों पर कार्रवाई करने के बजाय पीड़ितों को ही लॉकअप में बंद कर दिया.
जब पुलिस का इतने से भी मन नहीं भरा तो योगी राज में अमेंठी पुलिस पीड़ितों से पैसे की मांग करने लगी. इसके साथ ही थाने में तीन दिन तक बंद रहने के बाद पुलिस ने पीड़ितों का ही 151 में चालान किया.
इसके बाद सभी जमानत पर रिहा हुए. वहीं, जमानत पर रिहा होने के बाद मामले की शिकायत करने पीड़ित एसपी आफिस पहुँचे लेकिन उन्हें यहाँ भी निराशा हाथ लगी और एसपी ने पीड़ितों से मिलना मुनासिब ही नहीं समझा.
कहाँ के रहने वाले हैं पीड़ित
अमेठी के शुकुल बाजार थाना क्षेत्र के महोना कस्बे के रहने वाले मुन्ना लाल यहीं पर अपना घर और दुकान बनवा रहे है.
इस मामले में देर रात मुन्ना लाल का छोटा बेटा शिवकुमार अपनी पत्नी के साथ लाठी डंडा लेकर पहुँचा और अपने बड़े भाई चंद्रपाल पर ताबड़तोड़ प्रहार करने लगा.
बेटे को पिटता देख पिता जब बचाने दौड़े तो उन्हें भी बेटे ने जमकर पीटा दिया. अगले दिन सुबह गंभीर रूप से घायल पीड़ित जब शिकायत करने पहुँचे तो बेशर्म अमेठी पुलिस ने दबंगो पर कार्यवाही करने के बजाय पीड़ितों को ही लॉकअप में बंद कर दिया.
तीन दिनों तक पीड़ितों को लॉकअप में बंद करने के बाद 151 में चालान जिसके बाद जमानत पर सभी रिहा हुए.
इसके बाद जब सभी शिकायत करने एसपी कार्यालय पहुँचे लेकिन एसपी ने किसी से मिलना मुनासिब नही समझा और उन्हें बैरंग भेज दिया.
क्या है पीड़ितों का कहना…?
पीड़ितों की मानें तो शिवकुमार दबंग ग्राम प्रधान की शह पर जबरन मकानों और दुकानों में कब्जा कर रखा है. वह कहते हैं कि जब हम लोगों ने विरोध किया तो सभी ने जमकर मारा पीटा.
इसके बाद जब हम लोग शिकायत करने पहुँचे तो पुलिस ने सभी को लॉकअप में बंद कर दिया वही थाने पर मौजूद एक सिपाही ने पैसे की मांग की और कहा ही एसपी साहब को 1 लाख रुपए महीना देना पड़ता है.
पीड़ित बताते हैं कि सिपाही ने कहा कि जब तक पैसा नहीं दोगे, तब तक किसी को छोड़ा नहीं जाएगा.
इसके साथ ही उन लोगों का कहना है कि प पुलिस ने पूरे मामले में एकतरफा कार्रवाई की और खुद हम पीड़ितों को बंद कर दिया जबकि हमला करने वाले लोग खुलेआम घूम रहे है.
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