एनटी न्यूज़ डेस्क/ मुरादाबाद/ मोहम्मद सारिक सिद्दीकी
लखनऊ में यूपी इन्वेस्टर्स समिट-2018 चल रहा है। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, 19 केंद्रीय मंत्री सहित मुकेश अम्बानी, गौतम अडानी जैसे बड़े उद्योगपति इन्वेस्टर्स समिट में शामिल हो रहे हैं। लेकिन इस बीच उत्तर प्रदेश के जलनिगम मुरादबाद में हुए जलनिगम के बड़े घोटाले ने प्रदेश में योजनाओं की जमीनी हकीकत की पोल खोल दी है।
मुरादाबाद जल निगम में करोड़ो रूपये का घोटाला सामने निकल कर आया है. जल निगम घोटाले में मानी कंपनी “लार्सन एंड टर्बो” के अधिकारियों ने मिलकर इस पूरे घोटाले के खेल को अंजाम दिया है. शहर में सीवर लाइन बिछाने के नाम पर जल निगम के अधिकारियों ने करोड़ो रूपये की बंदरबाट कर घोटाला किया है.
जिसके बाद मुरादाबाद नगर निगम के मेयर विनोद अग्रवाल ने शासन और मुख्यमंत्री योगी से इस पूरे मामले की शिकायत की जिसके बाद डीएम ने जांच के लिए अधिकारियों की एक कमेटी बना दी है..
ये है मामला…
मुरादाबाद शहर में 279 करोड़ रुपए की लागत से सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा है. सीवर लाइन को जल निगम द्वारा बिछाया जा रहा है. 279 करोड़ रुपए के इस बड़े प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनो ने पैसा दिया है.
जल निगम द्वारा सीवर लाइन बिछाने का ठेका लार्सन एन्ड टर्बो कंपनी को दिया गया है. मुरादाबाद के मेयर अनुसार शहर के कई हिस्सों में सीवर लाइन ट्रचलेस विधी द्वारा डाली जानी थी.
ट्रांचलेस विधी सामान्य विधी से कई गुना महंगी है. जिसमे सड़क को बिना तोड़े ज़मीन के नीचे नीचे खोदा जाता है. लेकिन जल निगम के अधिकारियों ने अपनी जेबें भरने के लिए पूरे शहर में सड़कों को ऊपर से खोद दिया.
विनोद अग्रवाल (मेयर मुरादाबाद) के अनुसार….
जल निगम के अधिकारियों और लार्सन एन्ड टर्बो के साथ मिलकर किये गए इस खेल की शिकायत शासन और मुख्यमंत्री से की गई. जिसके बाद डीएम ने पूरे मामले की जांच के लिए अधिकारियों की एक कमेटी बना दी है. उधर मेयर ने साफ कर दिया है की घोटालेबाज अधिकारियों को किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जाएगा.
राजीव शर्मा (चीफ इंजीनीयर जल निगम) के अनुसार..
मेयर विनोद अग्रवाल द्वारा मुख्यमंत्री को शिकायत के बाद जल निगम के अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. ट्रेंचलेस विधि से काम ना कराने को लेकर जल निगम के अधिकारी सड़को का कम चौड़ा होना बता रहे है. साथ ही उनका यह भी कहना है की इससे मकानों को भी खतरा हो सकता है.
हालाकी लार्सन एन्ड टर्बो से अनुबंध में वो इस विधी से काम करने की बात स्वीकार कर रहे है. लेकिन ट्रेंचलेस तकनीक काफी महंगी होने के कारण कंपनी के हाथ खड़े करने की बात भी जल निगम के अधिकारी कर रहे है.
ऐसे में यहाँ बड़ा सवाल यही है की जब टेंडर ट्रेंचलेस तकनीक का हुआ और पैसा भी उसका दिया जा रहा है तो सड़को की खुदाई सामान्य तकनीक से क्यो की जा रही है. साथ ही ट्रेंचलेस तकनीक और सामान्य तकनीक के बीच का जो पैसा है वो किस किस की जेबो में जा रहा है.
बहरहाल 279 करोड़ रुपए के इस बड़े प्रोजेक्ट में घोटाले की जांच शुरू हो चुकी है. यहाँ देखने वाली बात यही होगी की घोटाले की जांच निष्पक्ष होगी या फिर जांच में भी घोटाला कर दिया जाएगा.