Thursday , 25 April 2024

पांच भारतीय नाविक चीन के कब्जे में, परिवार ने लगाई मदद की गुहार

न्यूज़ टैंक्स/ रोहित रमवापूरी

मुंबई। नाविकों की लापरवाही और जहजारानी मंत्रालय की उदासीनता के चलते मर्चेंट नेवी में आये दिन कोई न कोई प्रकरण सामने आते रहता है. भारत और चीन से रिश्ते जगजाहिर हैं. अभी हाल में कुछ भारतीय नाविकों को चीन देश ने अपने कोस्ट गार्ड ( तट रक्षक बल ) के माध्यम से गिरफ्तार करके रखा है , और मिली जानकारी के अनुसार उनको प्रताड़ित किया जा रहा है । इस मामले की जब गहन पड़ताल की गई तो ऐसे अनेक त्रुटि पूर्ण तथ्य सामने आए , जिनसे ये सिद्ध होता है कि इस मामले में

1 ) डीजी शिपिंग
2 ) ई गवर्नेंस
3 ) संबधित आरपीएसल शिपिंग कंपनी
4 ) नाविक के तरफ से कहीं न कहीं लापरवाही हुई. हम सूत्रों के हवालों या बहानो से नहीं बल्कि ठोस दस्तावेजों के आधार पर यह जानकारी दे रहे हैं । हम बिंदुवार तथ्य प्रस्तुत करके आपको सच से रूबरू करवा रहे हैं. जिनसे यह साबित होगा की कदम-कदम पर लापरवाही बरती गई.

 

सबसे पहले

1 ) संबंधित आरपीएसल RPSL (Recruitment and Placement Services License) के बारे में जान लें , इस RPSL का नाम है अल्माइटी मैरीटाइम सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड , और इसका आरपीएसएल ( RPSL ) संख्या है MUM 439 , इसका लाइसेंस गत वर्ष 24 /02 /2020 को सस्पेंडेड ( स्थगित ) कर दिया गया डीजी शिपिंग (Directorate General of Shipping) द्वारा , जबकि एक नाविक अंकित सोनी जो AB के पद पर जहाज़ मे नियुक्त हुआ उसके फॉर्म 1 के तहत उसका ई माइग्रेशन 24/02/ 20 को हुआ ? अब सवाल यह  उठता है कि , ये कैसे संभव है जब कंपनी का लाइसेंस ही उसी दिन स्थगित हुआ और उसी दिन कंपनी ने नाविक का ई माइग्रेशन कर दिया ?

डीजी शिपिंग के द्वारा 24-02-2020 को यह rpsl सस्पेंड किया गया।

 

 24-02-2020 को ई माइग्रेशन हुआ

02 ) यही नहीं उक्त नाविक अंकित सोनी का भारतीय सीडीसी ( चलंत उन्मोचन प्रमाणपत्र ) , जिसका क्रमांक MUM 254301 है तथा पासपोर्ट क्रमांक M 7959523 है , उसका जहाज़ पर उपलब्ध ( आईएमओ चालक दल सूची ) जिसे IMO CREW LIST कहते है , उस सूची में उसका पनामा सीडीसी दिखाया गया है जो PO 213954 है ? भारतीय सीडीसी क्रमांक क्यों नहीं दिखाया गया सूची में ?

3 ) फिर इसी नाविक अंकित सोनी का जहाज़ पर काम करने का अनुबंध जिसे ( सीफेरर एंप्लायमेंट एग्रीमेंट ) SEAFARER EMPLOYMENT AGREEMENT या ( सीफेरर कॉन्ट्रैक्ट ) SEAFARER CONTRACT कहते है , वो भी फर्जी , मिथ्या तथा भ्रामक है , जो तय मानदेय के मानक के अनुसार नहीं है , वो उसी नाविक को दिया गया।

4 ) फिर इसके बाद इसी नाविक के फार्म 1 में जिसे ई माइग्रेशन फॉर्म भी कहते हैं , उस फॉर्म 1 में जहाज़ का नाम एमवी ट्रांसको ( MV TRANSCO ) दिखाया गया , और इसी जहाज़ के मालिक का नाम दिखाया गया BAHREGN MARINE SERVICES COMPANY , जबकि जहाज़ का असली नाम है एमवी स्टार 96 ( MV STAR 96 ) और जहाज़ का मालिक का असली नाम है ट्रंग वियट ट्रेड एंड सर्विसेज कंपनी ( TRUNG VIET TRADE & SERVICES COMPANY )
अब एक आईएमओ क्रमांक वाले जहाज़ का 2 नाम और 2 मालिक कैसे हो सकता है ?

5 ) फ़िर इसके बाद उक्त आरपीएसएल ( RPSL ) द्वारा एक अन्य भारतीय नाविक कृष्णा गौरव , जिसका पद भी AB है , इस नाविक का पासपोर्ट क्रमांक N 9852355 तथा भारतीय सीडीसी क्रमांक है MUM 272258 , उसका इमिग्रेशन पत्र ( ये पत्र हवाई अड्डे पर काम आता है ) कंपनी द्वारा निर्गत कर दिया गया , पर ना उस नाविक का आईएमओ नाविक सूची में कोई नाम है ना उसका कुछ ब्योरा ?

6 ) अधिक पड़ताल करने पर ये भी मालूम चला कि उक्त जहाज़ पर कोई वैध पी एंड आई ( P&I Protection and indemnity insuranc ) इंसुरेंस नहीं था , ना जहाज़ पर एमएलसी 2006 ( MLC 2006 ) का कोई प्रावधान था ।
ना कोई वित्तीय अनुबंध पी एंड आई द्वारा पाया गया , मतलब जहाज़ पर कुछ भी नियम संगत नहीं था । इसके बाद जहाज़ का मालिक और उसके कंपनी का सही पता भ्रम पैदा करने वाले हैं।

7 ) अब बिना किसी वैध दस्तावेज के कैसे एक आरपीएसल ( RPSL ) कंपनी ने किसी जहाज़ मालिक या कंपनी के साथ करार कर लिया और कैसे वो भारतीय नाविकों को ऐसे संदिग्ध जहाज़ पर नौकरी के लिए भेज सकता है ?

8 ) कैसे डीजी शिपिंग ( DG SHIPPING ) और शिपिंग मास्टर ऐसे RPSL कंपनीज को लाइसेंस निर्गत कर सकता है ?

9 ) कैसे डीजी शिपिंग द्वारा उपलब्ध ई गवर्नेंस में धोखाधड़ी होता है , यह स्पष्ट दिखता है और इसके लिए ज़िम्मेदार लोग और तंत्र मौन धारण कर लेते है ।

10 कैसे भारतीय नविको को नौकरी के नाम पर ठगा जाता है और कैसे कई फर्जी निजी दलाल किसी RPSL कंपनी के लिए काम करते है ।

11 ) ये सारे घोटाले आरपीएसल रूल्स 2016 ( RPSL RULES 2016 ) तथा मर्चेंट शिपिंग एक्ट 1958 ( MERCHANT SHIPPING ACT 1958 ) के नियमों के ठेंगा दिखाकर अपना काम करते है और नाविकों से लाखो रुपए ऐंठते है महज घटिया और संदिग्ध हालात के जहाजों पर नौकरी देने के लिए ।

12 ) क्या इसमें भारतीय शिपिंग मंत्रालय और डीजी शिपिंग के अधिकारियों की मिलीभगत नहीं ?

.अब नाविकों का हम ब्योरा देते है , ऐसे अनेक अनेक भारतीय नाविक है जो तुरंत नौकरी पाने के लिए गलत रास्ते , फर्जी दस्तावेजों , गलत समुंद्री अनुभव प्रमाण , निम्नस्तरीय सक्षमता प्रमाण पत्र ( COC ) , दलालों को भगवान मानकर अपना और अपने परिवार को अंधेरे में रखते हैं , बिना कोई जहाज़ का ब्योरा जांच पड़ताल किए जहाज़ पर जाना , अवैध व्यापार करने वाले जहाज़ , तेल चोरी करने वाले जहाज़ , तस्करी करने वाले जहाज़ आदी पर जाना पसंद करते है । इन सबका बस एक कारण है , अंधा पैसा कमाना और पकड़े जाने पर रोना धोना और सरकार पर दबाव बनाकर खुद को बेगुनाह साबित करना । इन नाविकों के परिवार के पास ना कोई विशेष जानकारी उपलब्ध होता है ना इनको ऐसे हालात में कोई सहायता करने वाला , ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद है. जिनमे ऐसे नाविक कई साल विदेशी कारावास में अपना जीवन बर्बाद किए हैं। और कई नाविकों का तो किसी को कुछ पता ही नहीं चला । ये नाविक और इनके परिवार वाले भारतीय दूतावास , भारतीय वाणिज्य दूतावास , इनके अधिकारी के आगे मजबूर होते है ताकि इनके अपने नाविक स्वदेश वापसी कर सके । पर ऐसे मामले बहुत पेचीदा होते है और इनका निदान होना किसी देश के साथ भारत देश के कूटनीतिक रिश्तों पर निर्भर करता है । साथ मे अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून तथा किसी देश के अपने समुद्री कानून पर निर्भर करता है।

क्रू लिस्ट

तस्करी के आरोप में पांच भारतीय नाविक अधिकारी चाइना के कब्जे में हैं

अब बात उक्त जहाज़ एमवी स्टार 96 की। ये जहाज़ के बारे में जब हमने पड़ताल किया तब मालूम चला कि ये जहाज़ और इसका मालिक और इस जहाज़ के कंपनी द्वारा चीन देश में अवैध रूप से मांस पदार्थो का तस्करी किया जा रहा था । चीन अपने देश में ऐसे तस्करी करने वाले जहाज़ जो प्रशीतित
( रेफ्रिजरेटेड) मांस उत्पाद और अन्य मांस उत्पाद के तस्करी के लिए बहुत कड़े दंड संहिता लागू कर रखा है और यदि कोई नाविक और जहाज़ ऐसी हालत में चीन के तट रक्षक बल द्वारा पकड़े जाते है तब कई कई साल के कारावास का विधान लागू है ।

इस जहाज़ को जब पकड़ा गया तब अन्य नाविकों को पूछताछ करके छोड़ दिया गया , जबकि इसी जहाज़ के कप्तान (मुराद खान, राजस्थान ) , चीफ अफसर (पंकज पाठक, उत्तराखंड ) , सेकंड अफसर , थर्ड अफसर और चीफ इंजीनियर इन 5 लोगो को अभी तक हिरासत में रखा है । ऐसा इसलिए कि चीनी तट रक्षक बल के अधिकारियों द्वारा इनलोगो पर तस्करी करने का आरोप लगाया गया है , जो अभी मामला विचाराधीन है. हालांकि भारतीय दूतावास के संपर्क में इन नाविक लोगो के पीड़ित परिवार के लोग है तथा इनकी रिहाई के लिए ये लोग गुहार लगा रहे हैं ।
अब देखना ये है कि क्या सच सामने आता है और इन नाविकों का रिहाई निकट भविष्य में किब तक सम्भव है.

हमने जब इन नाविकों के परिवार से संपर्क किया तब इनके परिवार के द्वारा ना हमे इन नाविकों का कोई दस्तावेज , ना कोई सक्षमता प्रमाण पत्र की प्रति , ना कोई किसी प्रकार के नौकरी का अनुबंध , ना कोई फार्म 1 , ना कोई विशेष जानकारी उपलब्ध कराई गई. ऐसे में गलत RPSL कंपनी का गलत और गैरकानूनी काम , फर्जीवाड़ा , नाविकों की लापरवाही ,शिपिंग मंत्रालय में व्याप्त कुव्यवस्था , भारतीय दूतावास और सरकार की इस उदासीनता , बिना बंदरगाह के अनुमति के जहाज़ को गंतव्य पर लेके जाना और तस्करी मे शामिल होना , RPSL कंपनी और निम्नस्तर के जहाज़ मालिको के बीच अवैध तथा फर्जी करार , RPSL कंपनी और ऐसे फर्जी जहाज़ के मालिको का नाविकों के प्रति कोई जिम्मेदारी न होना, संबधित डीजी शिपिंग के अधिकारियों का संदिग्ध मिलीभगत RPSL कंपनी के साथ ये सब मामले सामने आए है। जिसके कारण आये दिन इस तरह की घटनाएं होती हैं.

मुराद खान- कैप्टन

पंकज पाठक- चीफ अफसर

सोलंकी मितेश कुमार मनसुख- सेकेंड अफसर

शांताकुमार किशोर कुमार- थर्ड अफसर

शैलेश कुमार- चीफ इंजीनियर

पिता ने एजेंट पर लगाया आरोप

न्यूज़ टैंक्स से बात करते हुए चीफ अफसर पंकज के पिता ने बतया कि , मेरा बेटा एजेंट ऋषभ सिंह भदोरिया जोकि दिल्ली का रहने वाला है इसने स्टाफ को भेजा है जिसमें पांच ऑफिसर और 16 क्रू मेंबर है जोकि 25 फरवरी को दिल्ली से वियतनाम की कंपनी स्टार 96 शिप मैं गए थे जो माल लोड होकर 28 जुलाई को चाइना गया था जिसे चाइना के कोस्ट गार्ड ने अरेस्ट कर लिया।तब से बात नहीं हुई 4 दिसंबर को चाइना एंबेसी ने बेटे से बात करवाई उस समय से अभी तक कोई कांटेक्ट नहीं हो पाया।

चीफ अफसर पंकज अपने पिता के साथ

एजेंट ऋषभ सिंह भदोरिया हमें धोखा देता गया कि आज आ जाएंगे कल आ जाएंगे अब हम लोग काफी परेशान हैं कांटेक्ट हुए आठ 9 महीने हो गए मेरा बेटा उस कंपनी में चीफ अफसर के पद पर नियुक्त है। वहीँ कैप्टन मुराद खान के परिजनों ने भी सरकार से जल्द स्वदेश वापसी की मांग की है.

 

कैप्टन मुराद खान

वहीं इस पूरे मामले पर जब डीजी शिपिंग अमिताभ कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हम इस मामले की जानकारी करवाते हैं।

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