बिहार में ‘अंधेरगर्दी’, आरटीआई मांगाने वालों को फर्जी मुकदमों में जा रहा है ढकेला

बिहार में सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) की खूब धज्जियां उड़ रही हैं. सूचना मांगने वालों पर अफसरों के स्तर से फर्जी मुकदमे दर्ज कराए जा रहे हैं. ऐसे मुकदमों से जुड़े 600 आवेदन राज्य सूचना आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग एवं डीजीपी के दफ्तर में सुनवाई के लिए लंबित हैं. इसमें रंगदारी मांगने, एससी-एसटी उत्पीड़न करने एवं अपहरण का प्रयास जैसे केस शामिल हैं. अफसरों के कारनामे से पूरा सिस्टम कठघरे में है.

सूचना का अधिकार कानून, आरटीआई, फर्जी मुकदमे, आरटीआई कार्यकर्त्ता, बिहार

राज्य सूचना आयोग ने आरटीआई कार्यकर्ताओं पर दर्ज हो रहे फर्जी मुकदमों को गंभीरता से लिया है. आयोग ने इस मामले में गृह सचिव एवं डीजीपी को पत्र लिखा है और फर्जी मुकदमों की जांच करने, झूठे मुकदमे वापस लेने एवं दोषी अधिकारियों पर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है.

खुद आयोग ने सूचना नहीं देने वाले 143 अफसरों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उन पर आर्थिक दंड लगाया है.

सूचना मांगने पर रंगदारी का मुकदमा

बक्सर निवासी शिव प्रकाश ने आरटीआई के जरिये जिला पुलिस में व्याप्त वित्तीय अनियमितता की जानकारी मांगी थी.

संबंधित लोक सूचना अधिकारी ने सूचना तो नहीं दी, उलटे जिलाधिकारी कार्यालय में उन्हें बुला कर अपमानित किया.

साथ ही बक्सर के राजपुर थाने में रंगदारी मांगने का केस दर्ज करा दिया. जब फर्जी मुकदमे की शिकायत लेकर वह जिले के एसपी व डीएम के पास पहुंचे तो वहां भी अमर्यादित व्यवहार किया गया.

उन्होंने इंसाफ के लिए सूचना आयोग में अर्जी दी है. साथ ही मानवाधिकार आयोग एवं डीजीपी को आवेदन देकर झूठे मुकदमे वापस लेने की गुहार लगाई है.

फर्जी भू-हदबंदी की जानकारी मांगने पर केस

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खगड़िया के शिव बालक सिंह ने आरटीआई के तहत ब्लाक कार्यालय से फर्जी तरीके से कराए गए भू-हदबंदी के बारे में सूचना मांगी थी. कई बार ब्लॉक विकास अधिकारी से मिले, मगर कार्रवाई नहीं हुई.

हां, संबंधित अफसर ने एससी-एसटी उत्पीड़न एक्ट के तहत केस जरूर दर्ज करा दिया. उन्होंने भी राज्य सूचना आयोग में अर्जी देकर न्याय दिलाने की मांग की है.

आरा के सीताराम सिंह, नवादा के गोपाल मांझी, पूर्णिया के कपिल शर्मा, सीतामढ़ी के जितेंद्र, समस्तीपुर के प्रभाकर झा को भी ऐसे फर्जी मुकदमे ङोलने पड़ रहे हैं.

मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने आरटीआई कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमों से जुड़े आवेदनों का संज्ञान लिया है.

आयोग ने संबंधित फर्जी मुकदमों की शिकायतों की जांच करने, दोषी अफसरों पर कार्रवाई, निदरेषों की रिहाई तथा झूठे मुकदमों को वापस लेने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है.

पीड़ित पक्ष ने कहा

शिव प्रकाश ने बताया कि बक्सर के पुलिस महकमे में व्याप्त वित्तीय अनियमितता की सूचना मांगी थी.

अधिकारियों ने ने मुझे जिलाधिकारी के दफ्तर में बुलाया और सादे कागज पर हस्ताक्षर करने को कहा. इन्कार किया तो अपमानित करने के बाद मेरे ऊपर रंगदारी का केस दर्ज करा दिया.

डरा रहे हैं प्रशासनिक अफसर

आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी में अफसरों के कई कारनामे सामने आए हैं. सूचना आयोग ने जानकारी नहीं देने वाले अफसरों से जुड़े मामलों की सुनवाई में पाया है कि ज्यादातर आवेदनों में लोक सूचना से जुड़े अफसर दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं, बल्कि आवेदकों को डराते-धमकाते हैं.

झूठे मुकदमे करा दिए जाते हैं ताकि डर से कोई सूचना नहीं मांगने आए. ऐसे चार दर्जन से ज्यादा मामलों को आयोग ने पकड़ा है.

(दैनिक जागरण से साभार)

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