एनटी न्यूज़ डेस्क / श्रावस्ती / अभिषेक सोनी
हाल ही में पीएम नरेन्द्र मोदी कर्नाटक पहुंचे. जहाँ उन्होंने कहा कि 28 अप्रैल की तारीख देश के इतिहास में दर्ज हो गई है क्योंकि अब पूरे देश के सभी गांवों में बिजली पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि जिन 18000 गांवों में बिजली नहीं थी, अब वहां पर बिजली पहुंच गई है. लेकिन यूपी के श्रावस्ती का यह हाल इतिहास के उन पन्नों को फाड़ रहा है. यह हम नहीं ग्राउंड रिपोर्ट बता रही है…
आजादी से अब तक नहीं है बिजली….
आजादी के 70 वर्ष बाद भी श्रावस्ती जिले के जमुनहा तहसील क्षेत्र में दर्जनों ऐसे गांव आज भी हैं जो अंधेरे में डूबे हुए हैं, यहां के लोग अंधेरे में रहने के आदी हो चुके हैं. इनको अब यह उम्मीद ही नहीं दिख रही कि भविष्य में इनके जीवन काल में इस गांव में बल्ब का उजियाला उजागर होगा.
घनी आबादी वाला क्षेत्र…
आपको बता दें श्रावस्ती जिले के जमुनहा तहसील का मल्हीपुर बाजार मुख्य क्षेत्र है, मल्हीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बगल में ही स्थित ऐंठा गांव हजारों की आबादी वाला गांव है. यहां के लोग आजादी के 70 वर्ष बाद आज भी अंधेरे में रहने को मजबूर हैं.
बच्चे ढिबरी, लालटेन और जुगाडू लाइट के सहारे अपने भविष्य का सपना सच करते हुए पढ़ाई करते हैं। यहां के काफी बुजुर्ग ऐसे हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी के 70 साल बिता दिए हैं. परंतु आज तक गांव में उन्होंने बिजली नहीं देखा है. इनको अब यकीन भी नही है कि उनके जीवनकाल में बिजली की लाइन इनके गांव में आएगी, और न ही यह आज के आधुनिक युग के संसाधनों का प्रयोग कर पाएंगे.
बच्चों का रोना, काश…
कुछ बच्चों से जब मीडिया ने बात की तो उन्होंने साफ बताया कि काश हमारे भी गांव में बिजली होती तो पढ़ाई में काफी सहूलियत होती साथ ही हमारे परीक्षा में भी अच्छे नंबर आते. हम भी देश विदेश में अपना नाम रोशन कर पाते. कुछ बुजुर्ग लोगों ने बताया कि गांव में जो बहुएं आई हैं उनको गिफ्ट में मिला इलेक्ट्रिक सामान आज भी घर के कोने में पड़ा शोभा बढ़ा रहा है. उनको यूज़ करने के लिए हमारे पास बिजली का साधन नहीं है. अब तो गांव में नौजवानों के ऐसे रिश्ते भी आने लगे हैं जो आते ही पूछते हैं कि गांव में लाइट है या नहीं.
जब उनको नहीं का जवाब मिलता है तो बिना रिश्ते की बात किए ही वह वापस लौट जाते हैं. ऐसे में यहां के ग्रामीण ना तो बिजली का उजाला देख पाते हैं और ना ही टीवी रेडियो. इस समय पड़ रही भयंकर गर्मी में यह लोग सिर्फ हाथ के पंखे पर ही आधारित होकर रह गए हैं. इनके लिए बिजली का पंखा एक दिवास्वप्न बनकर रह गया है.
आज के आधुनिक युग में हर घर में TV, फ्रिज, AC, वाशिंग मशीन, प्रेस मशीन, कूलर आदि संभावित हो गए परंतु इन गांव वालों के लिए यह सारी चीजें अभी भी सपना ही बनी हुई है.
ऐसा नहीं है कि यह गांव बाजार से काफी दूर हो इस गांव की दूरी मुख्य बाजार से मात्र 200- 300 मीटर ही है परन्तु इनको बिजली की सप्लाई नहीं मिल पाई.
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अभी तक सिर्फ कागजी कार्रवाई…
इस बारे में अधिशासी अभियंता राम शंकर मौर्य से जब मीडिया ने बात की तो उन्होंने बताया की गांव का सर्वे कर लिया गया है उसकी रिपोर्ट भी भेज दी गई है, पैसा आते ही गांव में लाइन बिछा दी जाएगी. लोगों को विधुत सप्लाई से लाभ मिलने लगेगा.
जब अधिकारी से यह पूछा गया कि कब तक यह सारी व्यवस्था हो जाएगी तो उन्होंने निश्चित समय सीमा बताने में असमर्थता जाहिर की. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या लोगों को सिर्फ ख्याली पुलाव ही खिलाया जा रहा है, या हकीकत में भी ऐसा होता है.
गांव वालों ने तहसील दिवस से लेकर जिलाधिकारी, प्रदेश के मुखिया योगी तक गुहार लगाई है परंतु आज तक इनकी फरियाद पर ना तो अधिकारियों ने ध्यान दिया है, और ना ही जनप्रतिनिधियों ने.
अब देखना यह है अब की भविष्य में इन गांव वालों को बिजली की लाइन मिल पाती है या नहीं. कुछ ग्रामीणों ने यहां तक कह डाला अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो आने वाले 2019 लोकसभा चुनाव का हम लोग बहिष्कार भी करेंगे.
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