भारत ने दिया पकिस्तान को एक और बड़ा झटका, अब आतंकी फंडिंग पर लगेगी रोक

एनटी न्यूज़ डेस्क/ भारत-पकिस्तान

हाफिज सईद और उसके संगठनों को आतंकी सूची में डालने के बावजूद पाकिस्तान का बचना आसान नहीं होगा. अमेरिका और ब्रिटेन ने आतंकी फंडिंग के लिए पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) में निगरानी सूची में डालने का प्रस्ताव पेश किया है. यही नहीं, फ्रांस और जर्मनी इसके समर्थन में उतर आया है. निगरानी सूची में आने के बाद पाकिस्तान के लिए दूसरे देशों से कर्ज लेने या व्यापार करने में मुश्किल आएगी.

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स @newstanks

पकिस्तान को बताया दोषी

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित आतंकी संगठनों व व्यक्तियों के वित्तीय लेन-देन पर रोक नहीं लगाने का दोषी बताया था.

पाकिस्तान में डर साफ देखा जा सकता है. हाफिज सईद और उसके संगठनों को आतंकी सूची में डालने के उसके फैसले को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है.

लेकिन इस बार पाकिस्तान के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स से बचना आसान नहीं होगा. पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी फंडिंग को लेकर पुख्ता सुबूत हैं.

ऐसे कसा पाकिस्तान पर शिकंजा

पिछले साल स्पेन में 18 से 23 जून के बीच हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की सालाना बैठक में पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को मिल रही फंडिंग पर रिपोर्ट पेश की गई थी. इसमें उसको आतंकी फंडिंग का दोषी ठहराया गया था.

इसके बाद उसके खिलाफ कार्रवाई का मामला इंटरनेशनल कोआपरेशन रिव्यू ग्रुप (आइसीआरजी) को सौंप दिया गया.

बाद में आइसीआरजी ने एशिया पैसिफिक ग्रुप (एजीपी) को एक महीने के भीतर पाकिस्तान द्वारा आतंकी फंडिंग रोकने के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट देने को कहा.

एजीपी के रिपोर्ट नहीं देने की स्थिति में आइसीआरजी ने पाकिस्तान को सीधे उसे रिपोर्ट देने को कहा कि उसने आतंकी फंडिंग रोकने के लिए क्या उपाय किया है.

लेकिन पाकिस्तान ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया. इसे देखते हुए अमेरिका और ब्रिटेन ने उसे निगरानी सूची में डालने का प्रस्ताव पेश कर दिया है.

इस पर 18 से 23 फरवरी के बीच फ्रांस में होने वाली एफएटीएफ की बैठक में विचार किया जाएगा. फ्रांस और जर्मनी के समर्थन में आने के बाद इस प्रस्ताव का पास होना सुनिश्चित माना जा रहा है.

पाकिस्तान के लिए कर्ज लेना भी हो जाएगा मुश्किल

वैसे तो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स को किसी भी देश के साथ आर्थिक लेन-देन प्रतिबंधित करने का अधिकार नहीं है.

लेकिन एक बार निगरानी सूची या प्रतिबंधित सूची में आने के बाद आर्थिक मुश्किलों से गुजर रहे पाकिस्तान के लिए दुनिया में कहीं भी कर्जा लेना कठिन हो जाएगा. कर्ज मिलेगा भी तो काफी मंहगा मिलेगा.

बहुराष्ट्रीय कंपनियां पाकिस्तान में या वहां की कंपनियों से कारोबार करने से हिचकेंगी. यही नहीं, आतंकवाद को लेकर संवेदनशील देश इसके आधार पर पाकिस्तान के साथ आर्थिक लेन-देन रोक भी सकते हैं.

भारत ने 2016 में उठाया था मुद्दा

पाकिस्तान लंबे समय तक दुनिया को दिखाने की कोशिश करता रहा है कि वह खुद आतंकवाद से पीड़ित है और उसे खत्म करने के लिए सारे प्रयास कर रहा है. लेकिन भारत ने अक्टूबर 2016 में एफएटीएफ में पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को हो रही भारी फंडिंग का मुद्दा उठाया था.

भारत का कहना था कि संयुक्त राष्ट्र संघ से अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों की सूची में डाले गए लश्कर, जमात और जैश के आतंकी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं. उनको आतंकी हमलों के लिए फंड मिल रहा है.

इसके लिए भारत ने कई दस्तावेज भी प्रस्तुत किए थे. भारत के आरोपों पर एफएटीएफ ने इसकी जांच का फैसला किया. लेकिन एशिया पैसिफिक ग्रुप को पाकिस्तान प्रभावित करने में सफल रहा और रिपोर्ट तैयार नहीं होने दी.

भारत ने फरवरी 2017 में एफएटीएफ में फिर यह मुद्दा उठाया. पाकिस्तान इस मुद्दे को तकनीकी पहलुओं में उलझाने का प्रयास कर रहा था. लेकिन, अमेरिका और यूरोपीय देशों के भारत को मिले समर्थन से पाकिस्तान की मंशा सफल नहीं हो सकी.

यह है इस मामले में ख़ास

अमेरिका, ब्रिटेन ने पेश किया निगरानी सूची में डालने का प्रस्ताव

पाक के लिए दूसरे देशों से कर्ज लेने या व्यापार में मुश्किल आएगी

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