Saturday , 20 April 2024

“बाबा को पहली चिट्ठी” 

“बाबा को पहली चिट्ठी”
बाबा,
अगर मां मेरी धरती है
तो आप मेरे आसमां हैं

हमेशा ऊंचा देखना बताया
तारों जैसा चमकना बताया,
आंखो में मैं आप की ध्रुव हूं,
और आप की चांद भी,
बाबा ,
अगर मां मेरी धरती है
तो आप मेरे आसमां हैं

आप मेरी दुनियां हैं बाबा
मैं कुछ भी,उल्टा सीधा
अच्छा,बुरा कर गुजरती
पता था ,मेरे बाबा हैं ना
वो,बेबाकी, लड़ाका
तुनक मिजाज, जुझारू
सब आप से ही था
सिर्फ एक ही विश्वास
मेरे बाबा जैसा कोई बाबा नहीं,
है ना बाबा ?
बाबा आज मेरे शब्द जवाब दे रहे
बस भाव आंसू बन निकल रहे,
क्या लिखूं, क्या ना लिखूं
क्यूं , तजा(तजना) बाबा
कैसी ये रस्में हैं,कैसे ये रिवाज हैं,
क्यूं ये विवाह और क्यू ये विदाई है,
हां बाबा ?
अगर मां मेरी धरती है
तो आप मेरे आसमां हैं।

अब कहां ढूंढू,
मेरी धरती,मेरा आसमां
कौन मुझे सानिध्य देगा,
मेरे सपनों को पंख देगा
गलतियों में मेरे साथ होगा
मेरे पागलपन में साथ होगा
मेरी बकबक में साथ होगा
बताओ ना बाबा ?
कैसी ये रस्में हैं, कैसे ये रिवाज हैं,
क्यूं ये विवाह है, क्यूं ये विदाई है,
बाबा,
अगर मां मेरी धरती हैं
तो ,आप मेरे आसमां हैं ।।

मोनिका