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बुंदेलखंड का जालौन जनपद अपनी अनूठी परंपराओं के लिए एक अलग पहचान रखता है, इसी क्रम में जालौन के कोंच नगर में विश्व प्रसिद्ध 165 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक रामलीला का धार्मिक अनुष्ठानों के साथ आज शुभारंभ हुआ.
आखिर क्यों विशेष है यहां की रामलीला…
आपको बताते चलें यह रामलीला बनारस और अयोध्या की रामलीला में भी अपना एक अलग स्थान रखती है. यह रामलीला लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुकी है.
इस रामलीला की यह भी विशेषता है यहां कुछ लीलाएं मंच पर न होकर मैदानों में भी आयोजित की जाती हैं जिसको देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
कैसे सृजन हुआ कोंच में, इस रामलीला का…
रामलीला में अपनी परिवार की परंपरा निभा रहे अतुल कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि हमारे पूर्वजों द्वारा इस रामलीला को समीपवर्ती गांव से लगभग 165 वर्ष पूर्व कोंच में लाया गया था और रामलीला में होने वाले सारे धार्मिक अनुष्ठान हमारे परिवार के द्वारा निभाए जाते हैं जो आज भी हम बखूबी निभा रहे हैं और सारे अनुष्ठान धार्मिक विधि-विधान के अनुसार संपन्न किए जाते हैं.
कोई भी पात्र नहीं लेता पारिश्रमिक
इस रामलीला की एक और बड़ी बात है कि यहां पर अभिनय करने वाले कोई भी पात्र बाहर से नहीं आते हैं न ही कोई पारिश्रमिक लेते हैं. सभी पात्रों का अभिनय पुरुषों द्वारा ही निभाया जाता है. यह परंपरा लगातार 165 वर्षों से निरंतर जारी है.
रिपोर्टः जितेंद्र सोनी
डेस्कः योगेश मिश्र
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