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यह खिलाड़ी हुआ 37 वर्ष का, लेकिन मैदान पर है आज भी सबसे युवा

एनटी न्यूज़ / खेल डेस्क / श्रवण शर्मा

7 जुलाई को अपना 37वां जन्मदिन मना रहे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान व वर्तमान विकेट कीपर महेंद्र सिंह धोनी शुक्रवार को एक खास क्लब में शामिल हो गए। वह 500 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले तीसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए। धोनी ने 90 टेस्ट, 318 वनडे और 92 टी-20 इंटरनैशनल मैच खेले हैं।

ये रिकॉर्ड दर्ज कराए हैं धोनी ने

धोनी ने टेस्ट क्रिकेट में 4876 रन बनाए हैं वहीं वनडे इंटरनैशनल में उनके नाम 51.37 के औसत से 9967 रन हैं। वहीं टी-20 इंटरनैशनल मैचों में उनके नाम 1455 रन हैं। धोनी के नाम टेस्ट क्रिकेट में 256 कैच और 58 स्टंप्स दर्ज हैं तो एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनके नाम 297 कैच और 107 स्टंप्स हैं। वहीं टी-20 में अभी तक उनके नाम 49 कैच और 33 स्टंप्स हैं।

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बचपन

महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को हुआ था. महेंद्र सिंह धोनी भारत के पूर्वी हिस्से झारखंड के रांची जिले में पैदा हुए थे। इनके पिताजी पानसिंह मूलतः उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रहने वाले थे। नौकरी के सिलसिले में पत्नी देवकी के साथ फिर रांची आ बसे।

धोनी की बचपन की तस्वीर

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पहले थे फुटबाल टीम के गोलकीपर, फिर…

उन्होंने शुरू की पढ़ाई जवाहर विद्या मंदिर से शुरू की थी जहां पर वह खेलों में फुटबॉल और बैडमिंटन को लेकर काफी उत्साहित थे। शुरू में धोनी अपनी फुटबाल टीम के गोलकीपर थे और अपने कोच की सलाह पर वे क्रिकेट में आ गए। अपनी शानदार विकेटकीपिंग के जरिये उन्हें एक लोकल क्रिकेट क्लब में खेलने का मौका मिला जहाँ वह 1995 से लेकर 1998 तक खेलते रहे.

एक मैच के दौरान धोनी गेंद को बचाते हुए

वीनू मांकड़ अंडर-16 चैंपियनशिप में उन्होंने शानदार खेल दिखाया। उनकी बैटिंग और विकेटकीपिंग दिन-ब-दिन बेहतर होते जा रहे थे. जल्द ही वे बिहार रणजी टीम का हिस्सा बन गए।

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स्पोर्ट कोटे से मिल गई थी सरकारी नौकरी

आपको बता दें क्रिकेटर होने के बाद उन्हें स्पोर्ट कोटे के तहत भारतीय रेलवे में नौकरी मिल गयी। लेकिन शायद धोनी की किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जब धोनी टीसी की नौकरी कर रहे थे, उस समय भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान सौरव गांगुली थे। जबकि उनके साथ घरेलू क्रिकेट खेलने वाले युवराज सिंह राष्ट्रिय टीम में चयनित हो चुके थे।

सांकेतिक छायाचित्र

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…फिर माही को क्रिकेट ने खींच लिया अपनी तरफ

अब महेंद्र सिंह धोनी की क्रिकेट के प्रति लालसा और बढ़ गई। पूरे दिन टेनिस बॉल से प्रैक्टिस करते उनका दिन निकल जाता था, इसलिए लोग इन्हें क्रिकेट क्रेजी के उपनाम से बुलाते थे। धोनी ने रेलवे की सरकारी नौकरी छोड़ दी और अपना ध्यान सिर्फ क्रिकेट पर केंद्रित कर दिया।

एक मैच के दौरान धोनी

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क्रिकेट सिर्फ अमीरों का खेल नहीं

सदैव से लोगों की यह सोच रही है कि क्रिकेट अमीरों का खेल है, इसमें केवल पैसे वाले व शहरों के युवक खेल सकते हैं. लेकिन माही ने अपनी मेहनत व लगन से बता दिया कि यदि मेहनत की जाय तो बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। छोटे शहर से आए माही द्वारा इस खेल में नए कीर्तिमान गढ़े जाने से बड़ा परिवर्तन आया है, जिससे अब छोटे गांवों और कस्बों से भी क्रिकेटर निकलकर आ रहे हैं। अब न केवल क्रिकेट में, बल्कि प्रत्येक खेल में बड़े-छोटे शहरों का अंतर काफी कम हो गया है। इसका बड़ा श्रेय एम एस धोनी को दिया जा सकता है।

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वह साल जब धोनी को शामिल किया गया टीम इंडिया में

जिसके बाद दिसम्बर 2004 में धोनी की किस्मत ने करवट ली और तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली की सिफ़ारिश के बाद उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया गया। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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शुरुआती मैचों में ख़ास नहीं कर पाए धोनी

जिम्बॉब्वे के दौर पर उनकी कामयाबी को देखते हुए तत्कालीन क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली ने उन्हें टीम में लेने की सलाह दी। साल 2004 में धोनी को पहली बार भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिली। हालांकि वह अपने पहले मैच में कोई ख़ास प्रभाव नहीं डाल सके और शून्य के स्कोर पर रन आउट हो गए। इसके बाद धोनी को कई अहम मुकाबलों में मौका दिया गया लेकिन उनका बल्ला हमेशा कुछ शांत सा रहा।

संभावित छायाचित्र

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पाकिस्तान की बखिया उधेड़ते ही बन गए स्टार

2005 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेलते हुए धोनी ने 123 गेंदों पर 148 रनों की ऐसी तूफानी पारी खेली कि सभी इस खिलाड़ी के मुरीद बन गए।  इसके कुछ ही दिनों बाद श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेलते हुए धोनी ने ऐसा करिश्मा किया कि विश्व के सभी विस्फोटक बल्लेबाजों को अपनी गद्दी हिलती नजर आई। धोनी ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ इस मैच में नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए 183 रनों की मैराथन पारी खेली जो किसी भी विकेटकीपर बल्लेबाज का अब तक का सर्वाधिक निजी स्कोर है

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इस मैच के बाद से धोनी को ‘सिक्सर किंग’ के नाम से जाना जाने लगा। लोग उनसे हर मैच में छक्का लगाने की उम्मीद करने लगे। मैच को छक्का मार कर जीतना धोनी का स्टाइल बन गया। देखते ही देखते रांची का यह सितारा वनडे क्रिकेट का नंबर एक खिलाड़ी बन गया।

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दो विश्वकप खिताब दिलवा चुके हैं भारत को

साल 2011  में धोनी ने एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप के फाइनल मुकाबले में भी अपनी सूझबूझ भरी पारी से भारत को विश्व कप दिलाने में अहम भूमिका निभाई और भारत के एकमात्र ऐसे कप्तान बने जिसने भारत को दो बार अपनी कप्तानी में विजेता बनाया। धोनी ने आईपीएल  में भी चेन्नई सुपरकिंग्स को जीत दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई। अपने फैसलों की वजह से मैदान पर वह सबसे चहेते क्रिकेटर बन चुके हैं।

विश्व कप 2011 की ट्रॉफी के साथ

 

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पद्मभूषण महेंद्र सिंह धोनी

क्रिकेट में उनकी सेवाओं को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें  राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार सम्मानित कर चुकी है. इस वर्ष 2 अप्रैल को भारत की तरफ से बेहतर खेल के लिए महेंद्र सिंह धोनी को पद्मभूषण सम्मान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा दिया गया है. पुरस्कार प्राप्त करने के लिए माही लेफ्टिनेंट कर्नल की वेष-भूषा में प्रस्तुत हुए थे.

राष्ट्रपति से पद्मभूषण प्राप्त करते हुए

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संपादनः योगेश मिश्र