एनटी न्यूज़ डेस्क/ बलिया / अरविन्द कश्यप
छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों की ओर से सेना के जवानों पर किये गये आत्मघाती हमले में सुरक्षाबलों के 9 जवान शहीद हो गये. इन जवानों में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले जांबाज मनोज कुमार भी शहीद हो गये .
आत्मघाती हमले में शहीद जवान मनोज कुमार जिले के थाना क्षेत्र के उसरौली गाँव के रहने वाले थे .
मनोज कुमार सिंह 212 बटालियन सीआरपीएफ छत्तीसगढ़ मे तैनात थे और नक्सलियों की खोज में वो अपने बटालियन के साथ सुकमा के जंगलो मे काबिंग पर थे. तभी नक्सलियों की ओर से लगाये गये आईईडी ब्लास्ट की चपेट मे आने से 9 अन्य जवानों के साथ मनोज भी शहीद हो गये. इधर गाँव के लाल के शहीद होने की सूचना जैसे ही मनोज के परिजनों के साथ ग्रामीणो को मिली तो पूरे गाँव मे करुण विलाप से कोहराम मच गया.
पूरे गाँव में मचा कोहराम…
मनोज के शहीद होने की खबर मिलते ही मनोज की पत्नी और पिता का रो-रोकर बुरा हाल है. सदमे के चलते घर के सदस्य कुछ भी बोलने की स्थिति मे नहीं है. वही नक्सलियों की ओर से की गयी इस कायराना हरकत को लेकर शहीद मनोज कुमार सिंह के गाँव के दर्जनो लोगों ने भारत माता की जय तथा नक्सलियों के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाये .
यह होली आखिरी थी…
छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में शहीद मनोज कुमार सिंह यूपी के बलिया के चितबड़ागांव थाना क्षेत्र के उसरौली गांव में होली की छुट्टी मनाने आये थे, लेकिन शायद उनको ये मालूम नही था कि इस बार की होली उनके लिए आखिरी होली है. और वो नक्सली हमले में शहीद हो गए.
शहीद का परिवार…
शहीद मनोज कुमार सिंह के पिता नरेंद्र नारायण सिंह भी सीआरपीएफ की नौकरी से सन 2007 में रिटायर हो गए थे. शहीद ने अपने पीछे पत्नी सुमन और दो लड़के प्रिंस सिंह 7 वर्ष, और प्रतीक सिंह 5 वर्ष को छोड़ गए है.
ए जाते हुए लम्हों, जरा ठहरों…
शहीद की पत्नी सुमन ने बताया कि मेरे पति अभी होली में आये थे वापस जाने से पहले वो कह रहे थे कि हम फिर मई में 20 दिन की छुट्टी आएंगे. वो बताये थे की हमको जंगल मे ड्यूटी करना पड़ता है वहां टावर और सुविधा नही है.
मेरे पति से अंतिम बार फोन पर कल शाम 3 बजे बात हुई तो वो बोले कि हमको हेडक्वाटर जाना है इसलिए पैसा निकाल लिए है. अपने बच्चों के बारे में वो बोलते थे कि अपने बच्चों को इस लाइन में नही जाने देंगे क्योकि फौज में जिंदगी का कोई ठिकाना नही है.
पिता के आंसू…
शहीद मनोज कुमार सिंह के पिताने बताया कि वह सीआरपीएफ की नौकरी से उसी जगह से रिटायर हुआ जहाँ मेरा बेटा नौकरी कर रहा था. आज दोपहर 3 बजे फ़ोन आया तब मेरी एक पतोहू (बहु) आने वाली थी और बड़ी बहु पूड़ी बना रही थी, तभी फ़ोन आया कि मेरा बेटा मनोज घायल हो गया है.
इस बार मेरा बेटा मनोज होली में आया था तो मैं उससे कहा कि एक कमरा और बनवा दो बहुत कंजस्टेड हो रहा है तो वो अभी एक नया कमरा बनवा कर गया है.
मेरा बेटा छत्तीसगढ़ से पहले 3 साल तक लखनऊ हेड क्वाटर में नौकरी किया उसके बाद उसका ट्रांसफर छत्तीसगढ़ में हो गया.
अपने बेटे के शहीद होने के गम मे डूबे पिता ने सीने पर पत्थर रखकर रोते हुये बताया कि मुझे बेटे के शहादत का फक्र तो है कि मेरा बेटा देश की सेवा करते-करते शहीद हो गया. भगवान् को मुझे उठाना चाहिए था लेकिन उठा मेरे बेटे को लिया.
गाँव की आँखों का तारा…
गाँव वालो की माने तो शहीद मनोज सीधा-साधा,मृदुभाषी व मिलनसार किस्म का लड़का था. तथा ग्रामीणो ने ये भी बताया कि वो अपने दोस्तो के बीच मे हमेशा चर्चा करता रहता था कि नक्सलियों के साथ अब हर हाल मे एक निर्णायक युद्ध होने चाहिये, तथा इसके लिये मोदी जी को पहल करनी चाहिये.
सीएम योगी ने दी श्रृद्धांजलि…
मैं शहीद जवानों की वीरता और साहस को नमन एवं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ तथा शोक संतप्त परिवार को आघात सहने की शक्ति प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) 13 March 2018