हरदोई का नीरव मोदी, शासन और प्रशासन जुटे बचाने में, बैंक हुआ परेशान

एनटी न्यूज़ डेस्क / हरदोई / आशीष सिंह

बैंक से लोन लेने और फिर न जमा करने या फिर देश से ही विदेश चले जाने के तमाम मामले इन दिनों चर्चा में है और जिसको लेकर सरकार की काफी किरकिरी भी हुई है, फिर चाहे वो विजय माल्या हो या फिर नीरव मोदी सारे ही उस ही फेहरिस्त में शामिल है.

हरदोई का नीरव मोदी…

हरदोई में भी एक छोटे नीरव मोदी का बड़ा सम्राज्य नज़र आया जो की  बीजेपी के पूर्व सांसद का  भतीजा है और कई सालो से बैंक का करोडो रुपया लोन पर लेकर दाबे बैठा है.  बैंक ने डिफाल्टर घोषित कर जब कोर्ट की शरण ली तो हाईकोर्ट ने इस नीरव मोदी की संपत्ति पर  कब्जा करने का अधिकार बैंक को दे दिया. बैंक कर्मियों को कब्ज़ा दिलाने के वक़्त प्रशासन मौके पर ज़रूर पहुंचा लेकिन राजनैतिक रसूख के आगे वो  टिक न पाया.

नीरव मोदी

पहचान जान लीजिये अब…

दरअसल कोतवाली शहर इलाके के  एक प्रमुख व्यवसायी रामगुलाम पाठक व उसके बेटे उदित मोहन पाठक नें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से ढाई करोड़ रुपये का लोन ले रखा था. उदित मोहन पाठक बीजेपी के पूर्व सांसद सुरेंद्र पाल पाठक के भतीजे है.  लोन की किश्त समय से न जमा होने पर कई सालों मे धीरे-धीरे बढ़कर करीब 3 करोड़ 50 लाख से ऊपर हो गया.

लेकिन उन्होनें बैंक के लोन को चुकाने का प्रयास ही नही किया. जिसके चलते मई 2016 में खाता एनपीए मे चला गया. बैंक लोन चुकाने के लिये कई बार बैंक ने उदित पाठक को नोटिस भेजा, लेकिन उन्होंने किसी नोटिस का कोई जबाब नहीं दिया. बैंक लोन चुकता नही होते देख बैंक ने कोर्ट की शरण ली. कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए रामगुलाम पाठक व उदित पाठक की संपत्ति कुर्क करने के निर्देश दिए.

रसूखदारों के आगे पुलिस झुकी…

हाईकोर्ट से सम्पत्ति की कुर्की  के आदेश मिलने के बाद सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया के चीफ मैनेजर ने एसपी हरदोई से भारी पुलिस फ़ोर्स की मांग की और उसके लिए 91 हज़ार भी चुकाए. क्योंकि मैनेजर को अच्छे से पता था की राजनैतिक रसूख रखने वाले इस शख्स की सम्पत्ति पर कब्ज़ा करना इतना आसान नहीं है और हुआ भी कुछ ऐसा ही…

चीफ मैंनेजर अपने बैंक स्टाफ के साथ कोतवाली शहर पहुंचे जहाँ से उन्हें संपत्ति दर्ज करने के लिए प्रशासन की तरफ से डेढ़ कम्पनी पीएसी, 2 सीओ, एक एसडीएम सहित भारी पुलिस बल मिला. लेकिन प्रशासन इससे पहले की उदित की संपत्ति खाली करा कर बैंक को कब्ज़ा दिलवाती तब तलक सियासतदानों ने प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया. लिहाज़ा प्रशासन मौके पर तो पहुंचा लेकिन कोई कार्रवाई नही कर सका.

बैंक प्रबंधन की तमाम दरख्वास्तों को दरकिनार कर  सीओ और एसडीएम गाड़ी से नीचे ही नही उतरे. हालांकि मामला जब मीडिया के संज्ञान में आया तब प्रशासन ने बैंक को कर्ज़दार की संपत्ति पर देर शाम कब्ज़ा कराया. वकीलों की टीम ने पुलिस प्रशासन के साथ दोनों के लखनऊ रोड स्थित एक गोदाम व सर्कुलर रोड सीएसएन कॉलेज के सामने स्थित न्यू पाठक कृषि सेवा केंद्र के साथ उनके आवास को भी सीज कर दिया.

रुतबा कायम…

दरअसल बैंक के डिफाल्टर उदित के खिलाफ 6 मार्च 2018 को चीफ जस्टिस विवेक चैधरी और दिलीप बी घोसले की बेंच ने कुर्की का आदेश दिया था। इसके बाद यह कार्यवाही की गई है , लेकिन तस्वीरो में आप साफ देख सकते है कि इस कर्जदार का रौब क्या है…

बीजेपी के सांसद और विधायक के साथ रहने वाला शख्स जो कि डीएम का भी बेहद करीबी माना जाता है. तस्वीरे देख के साफ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आखिर किस वजह से हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद प्रशासनिक अमले को इतनी लचर व्यवस्था का प्रदर्शन करना पड़ा.

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