एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर और फूलपुर संसदीय उप-चुनाव में सपा-बसपा की बढ़ती नजदीकी के सवाल पर रहीम का दोहा ‘कह रहीम कैसे निभे केर-बेर को संग’ सुनाकर तंज किया. पूछा गया कि इनमें केर और बेर कौन है तो उन्होंने तपाक से कहा कि ‘पार्को में महापुरुषों की मूर्तियां और स्मारक ध्वस्त करने की बात कौन कर रहा था. इसी से आप समझ सकते हैं.’
विकास ही एक मात्र जीत का मन्त्र
त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में भाजपा गठबंधन की जीत से उत्साहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
उन्होंने जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कुशल प्रबंधन को दिया.
वामपंथ के गढ़ को ध्वस्त कर पूर्वोत्तर को केसरिया मय करने के लिए ‘सबका साथ-सबका विकास’ के मंत्र और सुशासन के साथ कार्यकर्ताओं की मेहनत का चमत्कार बताया.
राहुल गाँधी पर कसा तंज
कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व के सवाल पर योगी ने छूटते ही कहा कि ‘गुजरात चुनाव के पहले राहुल गांधी की ताजपोशी पर ही हमने कहा था कि यह भाजपा के लिए अनुकूल होगा. राहुल के उपाध्यक्ष रहते कांग्रेस दस राज्यों में चुनाव हारी और अध्यक्ष बनने के बाद पांच राज्यों में चुनाव हार गई. उनका यह रिकार्ड आगे और मजबूत होगा.’
गोरखपुर में श्री श्री रविशंकर से हुई मुलाकात के संदर्भ में पूछने पर योगी ने कहा कि ‘रविशंकर जी हमारे पुराने परिचित हैं. इस मुलाकात को राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए. यह एक शिष्टाचार भेंट थी. बहुत से स्वयंसेवी संगठन विकास में रुचि रखते हैं.’
भारत के अधिकांश हिस्से हमारे दल का शासन
योगी ने खुशी जताई कि कच्छ से कोहिमा और कश्मीर से कन्याकुमारी तक उनके दल का शासन है. आगे उड़ीसा, केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में भाजपा की जीत का दावा किया.
योगी ने कहा, पूर्वोत्तर के चुनाव में भाजपा के बहुमत ने वामपंथ के झूठे दावों की पोल खोल दी है. उन्होंने कहा कि पार्टी ने मुझे जैसे सामान्य कार्यकर्ता को देश के सबसे बड़े प्रदेश की जिम्मेदारी दी और जहां भी मुझे भेजा जाता है वहां जाता हूं.
भाजपा कार्यकर्ताओं के असंतोष पर योगी ने कहा कि भाजपा का कार्यकर्ता खरा सोना है. वह सपा-बसपा के कार्यकर्ताओं की तरह नहीं है, जो थाना और तहसील में जाकर दबाव बनाये.
अगर भाजपा का कार्यकर्ता असंतुष्ट होता तो निकाय और उप चुनाव में जीत नहीं होती.