एनटी न्यूज़ डेस्क/ योगेन्द्र त्रिपाठी/ त्वरित टिप्पणी
तक़रीबन 25 करोड़ जनता की भारी-भरकम उम्मीदों पर सवार तीन सौ पच्चीस सीटों के साथ भाजपा गठबंधन उत्तर प्रदेश की सत्ता पर मय कुर्सी बैठी है. इस सरकार की अगवाई कर रहे हैं, कभी भाजपा के फायर ब्रांड नेता रहे योगी आदित्यनाथ. जिन्हें उनकी राजनीति के लिए कम वाचालता के लिए ज्यादा जाना जाता था. खैर, ये बातें भूली-बिसरी यादों की तरह बिसार दी गयी हैं. अब उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के साथ योगी राज कायम है. इस डबल इंजन वाली सरकार (केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा सरकार) ने एक साल में क्या दिया और क्या देने वाली है इस पर सभी बात कर रहे हैं लेकिन मामला थोडा सा दूसरा है. पढ़िए… मेरा योगी सरकार के प्रति नज़रिया…
मठ से शास्त्री भवन तक
अब योगी आदित्यनाथ देश के सबसे अधिक जनसँख्या घनत्व वाले प्रदेश के सर्वेसर्वा हैं. मठ में अपने गुरु अवैद्य नाथ से राजनीति का ककहरा सीखकर गोरखपुर की लोकसभा सीट पर चुनाव लड़कर जीतने वाले आदित्यनाथ आज उत्तर प्रदेश की पूरी दुनिया में अगवाई कर रहे हैं.
आज यानी 19 मार्च 2018 को भाजपा गठबंधन वाली सरकार अपने एक साल पूरी कर चुकी है. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने जब तय किया था कि योगी आदित्यनाथ इस प्रदेश के मुखिया होंगे तो लोगों ने उनसे सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक नई उम्मीद के साथ उनकी तरफ ताकना शुरू किया था.
‘सब कुछ चलता है’ अब और नहीं
योगी सरकार की शुरुआत भी कुछ ऐसे ही रही. शपथ लेते ही मीडिया को दिये अपने पहले संबोधन में योगी ने साफ कर दिया था कि अब ‘सब कुछ चलता है’ वाला मुहावरा नहीं चलेगा. उन्होंने अपने संबोधन में प्रदेश की नई नवेली सरकार को नई मंशाओं के साथ सामान रूप से सभी के लिए लागू करने की कोशिश भी की और कुछ हद सफल भी हुए.
इस दौरान खुद मुख्यमंत्री के व्यक्तित्व में मूल-चूल बदलाव देखने को मिला. पूरे साल में उन्होंने अपने आदतानुसार कोई ऐसा बयान नहीं दिया, जो किसी विशेष समाज या जाति के लोगों को आहत करता हो. उन्होंने अपनी छवि एक फायर ब्रांड नेता से विकासवादी नेता की तरफ मोड़ दिया. जिसका जनता में यह सन्देश गया कि योगी आदित्यनाथ देश के कुछ सबसे बेहतर मुख्यमंत्रियों में से एक हैं.
दूसरी तरफ सरकार की कार्यशैली ने यह बताने की कोशिश की कि हम ऊपर से नीचे तक किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार और नाकारापन कतई नहीं बर्दास्त करेंगे. इसको असर में लाने के लिए योगी सरकार ने अपने नौकरशाही की चूलों को खूब कसा. इसमें कई को समय से पहले ही रिटायर किया गया. सरकार ने साफ़ सन्देश दिया कि जो भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया, वह नापेगा. लेकिन एक साल पूरा होते-होते ऐसे कई मामले सामने आये जो सरकार की इस मंशा में पलीता लगाते नज़र आये.
गड्ढा मुक्त सड़कें, अवरोध मुक्त विकास
अब एक भाषण का जिक्र करना बहुत जरुरी है. सरकार गठन को करीब 4 दिन हुए थे कि मुख्यमंत्री योगी अपने गृह जिले गोरखपुर के दौरे पर गये. वहां उन्होंने बोलते हुए कहा कि जहाँ कानून का राज होगा, उसका नाम उत्तर प्रदेश होगा. जहाँ पर बहन-बेटियां बिना किसी डर के समाज में पूरी आजादी से घूम सकेंगी उसका नाम उत्तर प्रदेश होगा. जहाँ की सड़कें गड्ढा युक्त नहीं गड्ढा मुक्त होंगी उसका नाम उत्तर प्रदेश होगा. जहाँ के अपराधियों में पुलिस प्रशासन का खौफ होगा, उसक नाम उत्तर प्रदेश होगा.
इस दौरान जापानी इंफेलेसाटिस के पीड़ित योगी के गृह जिले में स्थित बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में 60 बच्चों की असमय मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. योगी प्रशासन पर कई गंभीर सवाल खड़े किये गये. जनता ने जवाब माँगा तो इस सरकार के मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों ने गलत बयानबाजी कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहा. लेकिन इस बात से सरकार ने सबक लिया और अस्पतालों में ऑक्सीजन और दवाइयों जैसे मूल चीजों से जुडी समस्या का तत्काल निस्तारण करने के साथ ही इस महामारी से लड़ने के लिए एक विस्तृत टीकाकरण अभियान चलाया.
योगी के इस भाषण के कई मायने निकाले गये. भाजपा की इस सरकार में अपनी नीतियों को अक्षरशः लागू करने की कोशिश की गयी. दावा किया गया कि सरकार ने अपने प्रयास से प्रदेश भर की करीब एक लाख दस हजार किलोमीटर सड़कों को गड्ढा मुक्त किया. सरकार ने अपराधियों के खिलाफ कड़ी नीतियां अपनाते हुए, साल भर 1400 से ज्यादा इनकाउंटर कर डाले. खैर, इस पर सवाल भी उठे लेकिन उसके बाद ही योगी ने एक बहुत बड़ा इवेंट करके पूरे देश की जनता का ध्यान प्रदेश की तरफ केन्द्रित कर दिया.
…फिर देश का सबसे बड़ा ‘निवेशी’ इवेंट
योगी सरकार ने मुलायम सिंह सरकार के बाद पहली बार बहुत ही बड़े स्तर पर इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया. इस मीट की साज-सज्जा पर अरबों रूपये खर्चके सरकार ने इसे विशालतम बनाने की कोशिश की.
सरकार के लोगों ने दावा किया कि इस इन्वेस्टर्स मीट से प्रदेश में सालाना बजट के बराबर निवेश आया है. वह करीब चार लाख सत्तर हजार करोड़ है. प्रदेश की जनता को इस इन्वेस्टर्स मीट के जरिये यह सन्देश देने की कोशिश की गयी कि हम आने वाले दिनों में करीब दो लाख से ज्यादा लोगों को इसके जरिए परोक्ष-अपरोक्ष रूप से रोजगार मुहैया करवा रहे हैं.
…और फिर सालाना परीक्षा
इसके ठीक बाद प्रदेश की भाजपा इकाई की जमीनी परीक्षा होनी थी. मौका था उपचुनाव का. तीन मुख्यमंत्रियों और तीन दर्जन मंत्रियों वाली उत्तर प्रदेश सरकार की यह परीक्षा गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में होनी थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर और पंडित नेहरु की पारंपरिक सीट फूलपुर (इससे पहली बार भाजपा नेता और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने जीती थी) जिसमें भाजपा मोदी लहर में पहली बार जीती थी, इन दोनों को बचाने में नाकामयाब रही.
इस उपचुनाव के नतीजों ने जहाँ पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया, वहीं सामजवादी पार्टी ने इन सीटों पर फ़तेह हासिल कर यह बता दिया कि देश में विपक्ष अभी भी जिंदा है और उसे कम नहीं आंका जाना चाहिए.
केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से कई दफे विधायक बने और उन्होंने भाजपा का गफलत के दौर में साथ दिया लेकिन जब यह सीट भाजपा करीब 30 हजार मतों से हारी तो सारा ठीकरा उन्हीं के सिर फोड़ा गया. इसके इतर भाजपा इनकम्बैसी के कारण मुख्यमंत्री के गढ़ को भी करीब 50 हजार मतों गंवा डाली.
गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव को योगी सरकार के लिए फ़ैल रही, असहजता के रूप में देखा गया. जिसका नतीजा ये हुआ कि भाजपा के बड़े बड़े नेताओं को सामने आकर अतिआत्मविश्वास और कार्यकर्ताओं में नाराजगी की बात खुले मंचों पर स्वीकारनी पड़ी.
अब ‘एक साल – नई मिसाल’
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खैर, किसी पांच वर्षीय सरकार के कामकाज को आंकने के लिए एक साल का समय बहुत कम है लेकिन इस एक साल में हम सभी को सरकार की मंशा जरुर पता हो जाती है. योगी सरकार ने लगातार विकास की बात की है. जनता को नौकरशाही और सरकार के बीच फैले अविश्वास को कम करने में सफलता हासिल की है. खासकर प्रदेश के मुखिया ने साफ़ तौर पर यह सन्देश दिया है कि सरकारें अगर चाहें तो बदलाव संभव है. लेकिन अभी आपको इस बदलाव रुपी शब्द के लिए थोड़ा इन्तजार करना होगा. आपको यह समझना होगा कि सरकार पांच साल के लिए है न कि इस साल के लिए.
एक साल नई मिसाल। pic.twitter.com/HYpi9pXjTe
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आज से पूरे एक महीने सरकार ‘एक साल – नई मिसाल’ की टैग लाइन के साथ प्रदेशभर में लोक कल्याण उत्सव मना रही है. जहाँ योगी सरकार प्रदेश स्तर से बूथ स्तर तक लोगों को यह बताने की कोशिश करेगी कि उसने इस एक साल ने बीच क्या क्या नया किया. आप भी इस उत्सव का आनंद लीजिए और सरकार के दावों को जमीन पर उतरने का इंतजार कीजिए.
(यह लेखक का अपना नजरिया है)