बलिया : जीत के जश्न में चूर सपाई भूल गये, ‘शहीद मनोज’ के परिवार का गम

एनटी न्यूज़ डेस्क / बलिया / अरविन्द कश्यप 

जश्न मानना एक हद तक ठीक रहता है. जश्न का भी अपना एक सम्मान होता हैं,इस सम्मान का उद्देश्य किसी की संवेदना को आहात करना नहीं होता. लेकिन राजनीति गलियारे में इन बातों का कोई मतलब नही रहता. मामला बलिया का है जहाँ जीत की ख़ुशी में लिप्त सापाई देश के लिए शहीद हुए जवान की मौत को नजरंदाज कर बैठे.

शहीद मनोज कुमार सिंह

दी गयी श्रृद्धांजलि…

छत्तीसगढ़ के सुकमा मे नक्सलियों के द्वारा सेना के जवानों पर आत्मघाती हुआ. जिसमें 9 जवान शहीद हो गये थे. इन शहीदों में एक जवान बलिया का था.

बलिया के चितबड़ागाँव थाना क्षेत्र के उसरौली गाँव के मनोज कुमार सिंह 212 बटालियन, सीआरपीएफ छत्तीसगढ़ मे तैनात था. मनोज नक्सलियों की खोज मे अपनी बटालियन के साथ सुकमा के जंगलो मे काबिंग पर था.

तभी नक्सलियों द्वारा लगाये गये आईईडी ब्लास्ट कि चपेट मे आने से 9 अन्य जवानों के साथ मनोज भी शहीद हो गए.

बलिया पहुंचा शव…

देश के लिए शहीद हुए मनोज कुमार सिंह का पार्थिव शरीर जैसे ही बलिया पुलिस परेड ग्राउंड में पंहुचा, लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. सभी की आँखे नाम थी, सभी बलिया के इस लाल को देखने के लिए व्याकुल थे. मौके पर प्रदेश सरकार के मंत्री उपेन्द्र तिवारी मौजूद रहे. लोगों ने शहीद मनोज के लिए जमकर नारे लगाये. ‘जब तक सूरज-चाँद रहेगा, मनोज तेरा नाम रहेगा’ भारत माता की जय से पूरा पुलिस परेड ग्राउंड गूंज उठा.

परिवार का रो -रो कर बुरा हाल –

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महज 500 मीटर की दूरी पर ये मना रहे थे जश्न…

देश के लिए मर मिटे मनोज कुमार सिंह के लिए हर किसी का सिर फ़क्र से ऊँचा उठा हुआ था. तो कहीं न कहीं जिले के लाल की कमी भी खल रही थी.

लेकिन बलिया पुलिस परेड ग्राउंड से महज 500 मीटर दूरी स्थित समाजवादी पार्टी कार्यालय पर फूलपुर और गोरखपुर में मिली जीत का जश्न मनाया जा रहा था.

सपा के नेताओ द्वारा मनाए जा रहे जीत के जश्न में पटाखे फोड़े जा रहे थे, गुलाल लगाया जा रहा था. जो बेहद शर्मनाक था. जीत के जश्न में डूबे ये सपाई समाजवाद का अर्थ भूल चुके थे. भूल गये थे कि उनके जिले का एक लाल शहीद हुआ है.

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