सरकार ने प्रस्तावित नई रक्षा खरीद नीति के मसौदे में लड़ाकू विमानों से लेकर अत्याधुनिक मिसाइल निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है. रक्षा खरीद नीति के इस मसौदे में तमाम अत्याधुनिक हथियार और उपकरण बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा 2025 तक देश में ही यात्री विमान बनाने का खाका पेश किया गया है. इसके लिए रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 49 फीसद से बढ़ाकर 74 फीसद तक करने का इरादा है.
नई रक्षा खरीद नीति पर माँगा सुझाव
रक्षा मंत्रलय ने रक्षा खरीद नीति 2018 का मसौदा को जारी कर इस पर सुझाव मांगा है. प्रस्तावित नई रक्षा खरीद नीति का मकसद सेना के लिए जरूरी हथियारों से लेकर साजो-सामान की आपूर्ति में आत्म निर्भरता की ओर बढ़ना है.
भारतीय सेनाएं अपनी मौजूदा हथियारों की जरूरत के लिए मुख्य रूप से विदेशी खरीद पर निर्भर हैं. नई नीति में इस खरीद का स्वरूप बदला है. इसके तहत सबकुछ बना-बनाया आयात करने के बजाय विदेशी कंपनियों को देशी कंपनियों की साङोदारी में रक्षा उपकरणों का निर्माण भारत में करने के लिए कहा जाएगा.
रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ प्रोत्साहित कर 2025 तक रक्षा कारोबार को सालाना 1,70,000 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य है. मसौदे के मुताबिक, 70 हजार करोड़ के अतिरिक्त निवेश से रक्षा क्षेत्र में 2025 तक 20 से 30 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
इससे हो सकेगा दूसरे देशों को निर्यात
रक्षा क्षेत्र में प्रस्तावित नीति के सहारे हथियारों के निर्माण में अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ इनका दूसरे देशों को निर्यात करने की भी योजना है. 2025 तक भारत का रक्षा निर्यात 35,000 करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य प्रस्तावित है.
रक्षा क्षेत्र खरीद नीति के इस मसौदे में देश में नागरिक विमान का निर्माण करने की भी योजना बनाई गई है. भारत में अभी सभी बड़े यात्री विमान विदेशी कंपनियों से खरीदे जाते हैं.
प्रस्तावित नीति में 80 से 100 सीटों वाले यात्री विमान का देश में ही निर्माण अगले सात साल में शुरू करने की बात कही गई है.
इन चुनिंदा क्षेत्रों पर फोकस
रक्षा खरीद नीति का मसौदा तैयार, 2025 तक देश में ही यात्री विमान बनाने का लक्ष्य.
रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को 49 फीसद से बढ़ाकर 74 फीसद तक किया जाएगा.
अगले सात वर्षो में रक्षा क्षेत्र में 20 से 30 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे.
रक्षा खरीद नीति के मसौदे के अनुसार हथियारों और उपकरणों के क्षेत्र में सक्षम होने की ओर बढ़ने के लिए कुछ चुनिंदा क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा.
इनमें लड़ाकू विमान, मध्यम श्रेणी के हेलीकॉप्टर, युद्धपोत, ऑटोमेटिक हथियार प्रणाली, सर्विलांस सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर से लेकर मिसाइल सिस्टम आदि प्रमुख हैं.
सरकार का इरादा अगले सात वर्षो में लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, छोटे श्रेणी के हथियार और युद्धपोत में देश को आत्मनिर्भर बनाने का है.
गन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और लैंड कांबेट वाहन की जरूरतों को भी देश में ही पूरी तरह इन सात वर्षो में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.