एनवी न्यूज़डेस्क/श्रवण शर्मा/लखनऊ
उन्नाव: सोहरामऊ गांव में कोविड19 के चलते जहां, विद्यालय सभी जगह बंद चल रहे हैं , इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए प्राथमिक विद्यालय सोहरामऊ अंग्रेजी माध्यम के कुछ बच्चों ने जो वहां से पढ़कर विगत वर्ष उत्तीर्ण हुये हैं, ने अपने समूह के माध्यम से एक नया नवाचार प्रारंभ किया है।
सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए
“माडल स्कूल पुरातन छात्र समिति ” के अंतर्गत उनको उनकी प्रधान शिक्षिका द्वारा दी गई जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए गांव में ही हर शाम कुछ बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है। यह नन्हे बच्चे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए और सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए कभी अपने घर के बाहर या कभी अपने घर के चबूतरे पर दूर-दूर बच्चों को बिठाते हुए भाषाई ज्ञान, सामान्य गणित, सामान्य हिंदी तथा पुस्तक पढ़ना और कैसे अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जाए जैसी चीजें अपने से छोटे बच्चों को समझा रहे हैं ।
प्रधान शिक्षिका स्नेहिल पांडे की पहल
प्रधान शिक्षिका स्नेहिल पांडे पहले उनको स्मार्टफोन के माध्यम से कुछ वीडियो या वीडियो कॉल या ऑडियो के माध्यम से उनको कुछ सूचनाएं देती हैं । पहले बड़े बच्चों को प्रशिक्षित करती हैं, जिसके बाद वह बच्चे अगले शाम के सत्र में अपने बराबर के बच्चों से वह बातें शेयर करते हैं इस पूरे ग्रुप को नाम दिया गया है “पुरातन छात्र सहायता समूह”.. विद्यालय के पुराने पढ़े हुए छात्र भी इसमें सहयोग कर रहे हैं। छात्रा शताक्षी रावत कक्षा 8 ,लालपुर से कहती है,कि अपने दायित्व को समझते हुए कि अभी कुछ दिनों तक विद्यालय नहीं खुलेंगे, तो छोटे बच्चों और भाई बहनों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए पिछले 2 हफ्तों से मैम के कहने से मैं यह कार्य कर रही हूँ। और आगे भी जारी रखूंगी।
विद्यालय के प्रति जिम्मेदारी का निर्वहन
शिक्षित करनेवाले छात्रों में नंदिनी शर्मा ,कक्षा 7, शताक्षी रावत 8, अमन खान ,8 रंजीत, संजय ,6 राहुल ,अर्जुन कक्षा 5, अनामिका कक्षा 5 आदि छात्र सम्मिलित हैं। ग्राम लालपुर ,ग्राम सरौती, ग्राम चुन्नी खेड़ा आदि में इस तरह की कक्षाएं संचालित हो रही हैं। जिसमें एक चटाई पर या एक तखत पर बच्चे दूर-दूर बैठ जाते हैं , मास्क लगाकर और सैनिटाइजर के प्रयोग के बाद लगभग 30 से 35 मिनट की कक्षाएं अपने से बड़े बच्चों से ले रहे हैं। वैश्विक महामारी के इस दौर में ठंडी बयार लाती शिक्षा की इस ज्योत को जलाने वाले नन्हे बच्चे निश्चित रूप से सराहनीय कार्य कर रहे हैं । और अपने प्राथमिक विद्यालय के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।
नवाचार के लिए एक नया कलेवर
कोरोना को भगाने के लिए सामाजिक दूरी तो जरूरी है ही, लेकिन नन्हें बच्चों को व्यस्त रखने के लिए शिक्षा से दूरी नहीं होनी चाहिए । इस बात को भलीभांति समझते हुए ही यह बीड़ा उठाया गया है और छात्रों का कहना है कि जब तक विद्यालय नहीं खुलेंगे तब तक वह इस प्रकार से अपने आसपास के छोटे क्लास के बच्चों को पढ़ाते रहेंगे । यह मुहिम प्राथमिक विद्यालय सोहरामऊ नवाबगंज के नवाचार के लिए एक नया कलेवर लेकर आई है। जिन बच्चों के पास स्मार्टफोन हैं उनसे वार्तालाप करके सभी शिक्षक इसमें सहयोग करते रहते हैं।