अजब प्रेम की गजब कहानी: यकीन मानिए, शादाब की जुबानी ये दिल को छू जाएगी

एनटी न्यूज़ डेस्क / हरदोई/ आशीष सिंह

आपने शाहिद कपूर की मूवी ‘मिलेंगे-मिलेंगे’ तो देखी ही होगी. उसी मूवी का सॉंग ‘सब ख़त्म होके भी तेरे मेरे दरमियाँ, कुछ तो बाकी हैं.’ इस अजब प्रेम की गजब कहानी के लिए फिट बैठता नजर आ रहा हैं और इसी मूवी का शीर्षक भी इस लव स्टोरी के नायक की जिद्द बन गया. माने मिलेंगे तो मिलेंगे.

लव स्टोरी

आपने मोहब्बत की बहुत कहानियाँ सुनी होंगी लेकिन आज के दौर में जहाँ मोबाइल फ़ोन का प्रयोग बहुत ज्यादा हो रहा हैं, यह कहीं न कहीं प्रेम संबंधों पर भी प्रभाव डालता है.  इन्हीं चीज़ों के इर्द-गिर्द घूमती एक ऐसी प्रेम कहानी सामने आई जो हर दिल को छू सकती है.

हरदोई की हैं ये प्रेम कहानी…

हर किसी की लाइफ की कोई ना कोई प्रेम कहानी जरुर होती हैं. हर किसी को मोहब्बत करने का हक़ होता हैं. लेकिन यह मोहब्बत जीवन की किस राह पर हो जाये इसका कोई अंदाजा नहीं होता. हरदोई में इन दिनों मोहब्बत का एक ऐसा मामला सामने आया है. जो दिल को छू लेने वाला हैं. इस प्रेम कहानी की शुरुआत एक गलत कॉल से शुरू होती हैं.

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कहते हैं इश्क अँधा बना देता हैं लेकिन..

दरअसल गलती से युवक का कॉल एक दिन किसी युवती के नंबर पर लग जाता हैं .गलती से लगे इस कॉल से दोनों में कुछ दिन बाद अच्छी दोस्ती हो जाती हैं और बाद यह दोस्ती इश्क में तब्दील हो जाती हैं.

इस इश्क में लड़का इस तरह अँधा हो जाता हैं कि दिन रात उठते बैठते बस लड़की से बात करना उसका फितूर बन जाता हैं.

इस प्रेम कहानी की हकीकत यह हैं कि 02 साल तक  दोनों के बीच मोहब्बत की नई-नई इबारतें लिखी गयी. लेकिन 02 साल के बाद लड़की ने अपना नम्बर बदल दिया. तब से वह युवक दर-दर भटक रहा हैं.

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रूह को छू लेगी युवक की यह पहचान…

अब आपको उस युवक कि पहचान बताएँगे तो आपके दिल में उसके लिए दया का भाव जाग जाएगा, दरअसल यह कहानी हरदोई के शादाब हुसैन अंसारी वल्दियत मोहम्मद अली निवासी काजीटोला थाना मल्लावां की हैं.

शादाब आँखों से अंधा हैं. जब वह दो वर्ष का था तब तेज बुखार ने उसकी आँखों की रोशनी छीन  ली थी. अब उसे इश्क ने उसके दिमाग की रोशनी छीन उसे पागल सा कर दिया हैं. अपने इश्क को मुक़र्रर करने के लिए वह दर- दर भटक रहा हैं.

इश्क रुलाता हैं…

दिव्यांग नज़रों से न दिखने के बावजूद दर दर भटकने को मजबूर है , पहले तो वो 250 किलोमीटर दूर लड़की के शहर जा पहुंचा.

वहां की पुलिस से न्याय की गुहार लगाई लेकिन जब कोई नतीजा न निकला तो एसपी हरदोई की चौखट पर आकर आये दिन अपना सर पीटता और मोहब्बत से मिलाने  की दुहाई देता फिर रहा है.

फ़िलहाल पुलिस उसे झूठी तसल्ली दिए हुए है और दिव्यांग की काउंसलिंग कराने की बात कर रही है .

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पुलिस पर करता हैं  भरोसा…

यह पहली बार नहीं हैं जब शादाब पुलिस के पास न्याय की गुहार लगाने पहुंचा. आपको बता दें कि अपनी जिंदगी में अंधेपन कि वजह से इसे बहुत तकलीफ उठानी पड़ी हैं .

दरअसल 10 अक्टूबर 2011 को मोहल्ले के लोगों ने शिकायत की, कि शादाब लड़कियों से मोबाइल पर बात करता है. शादाब के मुताबिक शिकायत झूठी थी लेकिन उसका असर असली हुआ और उसका मोबाइल घरवालों ने छीन लिया.

मोबाइल ही एक सहारा था जिससे दिन रात गाने सुनकर दोस्तों को याद कर कर दिन गुज़रता था.

लिहाज़ा मोबाइल दिलाने के लिए शादाब ने  घरवालों के खिलाफ पुलिस में कम्प्लेन कर दी. इसके बाद उसका मोबाइल तो मिल गया लेकिन घर वालों ने उसे घर से बाहर निकाल दिया और बेदखल की कार्रवाई परिवारीजनों की तरफ से अमल में लाई गयी.

इधर शादाब को रहने और खाने के लाले थे तो वही झूठी शिकायत पर मिली सजा का मलाल भी. किसी तरह 04 साल लोगों के मान-मनौवल और ट्रेनों में ग़ज़ल कव्वाली कर बीत गए और फिर एक रोज़ ‘यूपी डायल 100’ ने  परिवार वालों पर  दबाव बना कर दोबारा उसे घर में जगह दिलवा दी.

जिंदगी बहुत रंग दिखाती हैं…

किस्सा यही खत्म हो जाता तो बेहतर था क्योंकि  जो आगे होने वाला था वो बेहद अनोखा और दिलचस्प था.

शादाब कहता है, बेख़ता मिली सजा का उसे मलाल था. लिहाज़ा अब वो गलती करना लाज़मी था, जिसकी सजा वो पा चुका था.

दोस्तों यारो से बिन आँखों के भी मोबाइल अच्छी तरह से चलाने का तरीका उसे आ गया था.

इश्क में ईमानदारी हैं…

एक रोज़ एक गलत कॉल महोबा में एक लड़की को जा लगी किसी तरह दोनों में दोस्ती हो गयी.

दोस्ती होने के बाद शादाब ने बड़ी ही ईमानदारी से अपने अंधेपन बेरोज़गारी और मजबूरियों की कहानी लड़की को बता  डाली.

शादाब की सच्चाई को देखते हुए इनकी दोस्ती परवान चढ़ी और दोस्ती मोहब्बत में तब्दील  हो गयी.

रात में 06 से 07 घंटे तक और दिन में 01 से 02 घंटे तक बात होना एक आम बात हो गया था. चूँकि एक ही नेटवर्क के दोनों सिम यूज़ करते थे, लिहाज़ा मनी प्रॉब्लम भी बड़ा इशू नहीं था.

मोहब्बत का सिलसिला बदस्तूर जारी रहता अगर लड़की अपना नम्बर न बदलती. जैसे ही लड़की ने अपना नम्बर बदला कुछ ही घंटों में शादाब का हाल बुरा हो गया.

इश्क में तय किया 250 किमी का सफ़र…

शादाब हरदोई जनपद से 250 किलोमीटर दूर लोगों की मदद से महोबा जा पहुंचा और वहां महोबा कोतवाली के इंस्पेक्टर से न्याय की गुहार लगाई. लेकिन इश्क़ के इस ड्रामे को इंस्पेक्टर साहब ने हँसते हुए टाल दिया.

हालंकि वहाँ तैनात कांस्टेबल ने लड़की का नम्बर न लगने पर सहेली को काल लगया और पूरा घटनाक्रम  की जानकारी दी.

इसके बाद  शादाब को उस लड़की  कॉल किया और वहां से चले जाने और भूल जाने की दरख्वास्त लड़की की तरफ से की गयी.

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ख़त्म नहीं हुई चाहत…

शादाब महोबा से  तो लौट आया लेकिन अब तक उसकी लड़की को पाने की चाहत खत्म न हुई है.

मोबाइल नम्बर के माध्यम से उसने आधार नम्बर भी निकलवा लिया और कई मर्तबा एसपी और एएसपी से न्याय की गुहार लगा चुका है.

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पुलिस कराएगी काउंसलिंग… 

एसपी विपिन मिश्रा ने पहले तो लड़की  को भूल जाने और ये सब गलत रास्ते होने की बात समझाई लेकिन इश्क़ के भूत के आगे उसके एक न समझ आई लिहाज़ा पुलिस विभाग के अफसरों का इस मामले को लेकर बुरा हाल है.

फिलहाल एएसपी कुंवर ज्ञाननंजय सिंह ने कहा इसकी  काउंसलिंग कराई जाएगी और इसे समझाया जायेगा कि किसी लड़की का पीछा करना कानून जुर्म है.

पुलिस इससे जिस भी रास्ते में ले या फिर पूरी वारदात कानून जुर्म हो लेकिन प्यार का ये अफसाना पूरे गुलिसतां में सुर्खियां ज़रूर बटोरे हुए है.

(इस लव स्टोरी का संपादन शिवम् बाजपेई ने किया हैं.)

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