सारे नुस्खे रहे एनपीए की वसूली में नाकाम, अब क्या करेगी ‘सरकार’

एनटी न्यूज़ डेस्क/ काम की बात

अर्थव्यवस्था के लिए नासूर बने फंसे कर्ज यानी एनपीए की वसूली के लिए इंसॉल्वेंसी एडं बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) को लेकर भले ही बड़ी उम्मीदें हों लेकिन हकीकत यह है कि एनपीए ऐसा मर्ज है, जिसके इलाज के लिए अब तक किए गए नुस्खे नाकाम रहे हैं. हाल के वर्षो में एनपीए की वसूली के आंकड़े इसकी हकीकत बयां करते हैं. आईबीसी की शुरुआत भी कुछ खास उत्साहजनक नहीं है.

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फिर भी नहीं वसूला जा सका एनपीए

रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षो में लोक अदालतों, डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन टिब्यूनल (डीआरटी) और सरफेसी कानून का इस्तेमाल कर एनपीए की वसूलने की कोशिशें परवान नहीं चढ़ पाईं हैं.

वर्ष 2012-13 में लोक अदालतों, डीआरटी और सरफेसी कानून के तंत्र के जरिये 10.44 लाख मामले सुलझाने काप्रयास हुआ जिनमें 1057 करोड़ रुपये राशि फंसे कर्ज की थी.

इसमें से मात्र 233 करोड़ रुपये की फंसे कर्ज की राशि ही वसूल हो सकी. खास बात यह है कि बीते वर्षों में वसूली के इस आंकड़े में लगातार गिरावट हुई.

मात्र 10 प्रतिशत ही हुई वसूली

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वर्ष 2016-17 में डीआरटी, लोक अदालतों और सरफेसी कानून के जरिये 22.61 लाख मामलों को सुलझाने का प्रयास हुआ जिनमें 2860 करोड़ रुपये कर्ज फंसा था. इसमें से मात्र 10 प्रतिशत फंसे कर्ज की वसूली ही हो पायी.

एनपीए वसूली का यह रिकॉर्ड अब तक के उपायों की नाकामी दर्शाता है. 1यही वजह है कि सरकार को दिवालियेपन पर कानून बनाना पड़ा.

आईबीसी के जरिये फंसे कर्ज की वसूली को लेकर बहुत उम्मीदें हैं. आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में भी कहा गया है कि आइबीसी में हर उपाय के लिए समय सीमा निर्धारित है. इसलिए यह प्रभावी साबित होगा.

दिवालियेपन पर नया कानून भी नहीं आया काम

हालांकि शुरुआती संकेत मिल रहे हैं कि फंसे कर्ज की वसूली में दिवालियेपन पर नया कानून भी बहुत उत्साहजनक परिणाम नहीं दे पाया है.

दरअसल पहले चरण में फंसे कर्ज वाली जिन 12 कंपनियों की परिसंपत्तियां बेचकर कर्ज वसूली की प्रक्रिया शुरू की गयी है, वे मामले कई तरह के झमेले में फंस गए हैं.

बैंकों के अधिकारी अब यह बात स्वीकार करने लगे हैं कि दिवालियेपन पर कानून से भी कुल फंसे कर्ज का एक चौथाई से अधिक वसूली होने के आसार नहीं है.

नहीं मिलता है परिसंम्पतियों का खरीददार

यह बात अलग है कि कुछ महीने पहले तक इन्हें 50 प्रतिशत तक एनपीए के वसूली की उम्मीद थी. एस्सार जैसे बड़े बकाएदार की परिसंपत्तियों की खरीद के लिए मुश्किल से दो कंपनियां सामने आई हैं.

बिजली क्षेत्र की जिन कंपनियों का कर्ज फंसा है, उनके लिए कोई खरीददार सामने नहीं आया है. यही हाल अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के मामले में भी रहा है.

एनपीए का जंजाल

  • बैंकों में फंसे कर्जे को लेकर उभरीं नई चिंताएं
  • हाल के वर्षों में बैंकों की एनपीए वसली में आई कमी
  • नए दिवालिया कानून से वसूली के भी शुरुआती नतीजे उत्साहजनक नहीं
  • 90 दिन तक मूलधन व ब्याज की वसूली न होने पर कर्ज हो जाता है एनपीए
  • आरबीआई के नए नियम से दो लाख करोड़ के नए एनपीए की आशंका
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