एनटी न्यूज़ डेस्क/ योगी सरकार
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने मदरसों का सारा विवरण एक जगह दर्ज करने के लिए वेबपोर्टल बनाया तो असली और फर्जी मदरसों का भेद उजागर होने लगा. कागजों में चल रहे फर्जी मदरसे हर साल उत्तर प्रदेश सरकार को 100 करोड़ रुपये की चपत लगा रहे थे. मदरसों के पंजीकरण के लिए बनाए गए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के वेबपोर्टल से यह जानकारी सामने आई है. ये वे मदरसे हैं जो सरकार से हर साल करोड़ों रुपये अनुदान लेकर सरकारी खजाने को चपत लगा रहे थे. सबसे अधिक फर्जीवाड़ा मदरसा आधुनिकीकरण व मिनी आइटीआइ योजना में सामने आया है.
योगी सरकार ने माँगा था ब्यौरा
दरअसल, प्रदेश सरकार ने मदरसों का सारा विवरण एक जगह दर्ज करने के लिए एक वेबपोर्टल बनाया है. इसमें मदरसों की मान्यता से लेकर उनके यहां शिक्षकों तक का ब्योरा सहित हर एक सूचना वेबपोर्टल पर दर्ज करनी थी.
योगी सरकार ने साफ कर दिया था कि इस बार की मदरसा शिक्षा परिषद के परीक्षा फार्म भी उन्हीं के भरे जाएंगे जो इस वेबपोर्टल पर पंजीकरण कराएंगे.
इसके बावजूद प्रदेश के करीब दो हजार से अधिक मदरसे ऐसे हैं जिन्होंने अपना पंजीकरण वेबपोर्टल पर नहीं कराया. स्थिति यह है कि प्रदेश में मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त 19213 मदरसे हैं.
इनमें से करीब 17 हजार के आस-पास मदरसों ने ही अपना पंजीकरण कराया है. जांच में पता चला कि इससे वह मदरसे हट गए जो केवल कागजों में चल रहे थे.
आधुनिकीकरण योजना वाले मदरसे किसी काम के नहीं थे
वेबपोर्टल पर पंजीकरण न कराने वाले मदरसों में ज्यादातर मदरसे आधुनिकीकरण योजना के मदरसे शामिल हैं. यह कागजों में संचालित हो रहे थे.
इनमें हिंदी, अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे आधुनिक विषय पढ़ाने के लिए शिक्षकों को सरकार मानदेय देती है. प्रदेश में 8171 मदरसे इस योजना के तहत सरकार से मानदेय पा रहे हैं.
इसमें स्नातक के साथ बीएड डिग्री वाले शिक्षकों को आठ हजार रुपये और परास्नातक के साथ बीएड करने वाले शिक्षकों को 15 हजार रुपये मानदेय मिलता है.
पंजीकरण न कराने वाले दो हजार मदरसों में ज्यादातर यही मदरसे हैं.
मिनी आइटीआइ वाले 20 मदरसों ने नहीं कराया पंजीकरण
मिनी आइटीआइ चलाने वाले 20 मदरसों ने भी अपना पंजीकरण नहीं कराया. इस योजना में 140 मदरसे शामिल थे, लेकिन इनमें से 120 ने ही अपना पंजीकरण कराया है.
ऐसे में कागजों में चल रहे फर्जी मदरसों ने पंजीकरण न कराकर इस योजना से किनारा कर लिया है.
एक ही शिक्षक के नाम कई-कई जगह दर्ज
वेबपोर्टल से उन शिक्षकों की भी पोल खुल गई जिनका नाम कई-कई मदरसों में दर्ज थे. सरकार ने मदरसों के साथ ही शिक्षकों का विवरण भी वेबपोर्टल पर दर्ज कराया है.
ऐसे में उन मदरसों ने इस पोर्टल में पंजीकरण नहीं कराया जिनमें शिक्षक तक अपने नहीं थे.
इधर-उधर से शिक्षक लेकर ये मदरसे फर्जी तरीके से संचालित हो रहे थे, लेकिन सरकार की सख्ती के बाद अब उनका फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है.
मोनिका एस. गर्ग क्या कहती हैं…?
इस मुद्दे पर प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण की प्रमुख सचिव मोनिका एस. गर्ग कहती हैं कि सरकार ने मदरसा शिक्षा में पारदर्शिता लाने के लिए वेबपोर्टल पर सभी मदरसों का विवरण दर्ज कराने के निर्देश दिए थे.
वह आगे कहती हैं कि इसमें उन मदरसों ने अपना पंजीकरण नहीं कराया जो अस्तित्व में ही नहीं थे. इससे सरकार के करीब 100 करोड़ रुपये की बचत हुई है. इसकी विस्तृत जांच कराई जा रही है.