एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति
चुनावी समर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अश्वमेध के घोड़े को रोकना फिलहाल किसी के लिए संभव नहीं दिख रहा है. वामदलों के गढ़ त्रिपुरा में जीत और क्षेत्रीय दलों की सनक पर चलने वाले नागालैंड में राजग सरकार गठन के संकेत ने इस बात को फिर से साबित कर दिया है. वाम दल पहली सीधी लड़ाई में ही चित हो गए हैं. वहीं, मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा ने कांग्रेस को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि वह जनता की अपेक्षाओं को समझने में क्यों नाकाम हो रही है?
भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं नतीजे
शनिवार को पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के नतीजे घोषित हुए. त्रिपुरा ने चौंकाते हुए अपनी बागडोर भाजपा को सौंप दी है. 60 विस सीटों वाले त्रिपुरा में भाजपा को दो तिहाई सीटें मिली हैं.
नागालैंड में यूं तो पहले भी राजग की सरकार थी, लेकिन इस बार भाजपा ने वहां अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. 10 साल से मेघालय में काबिज कांग्रेस अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है.
इस लिहाज से पूर्वोत्तर के सात राज्यों में से अब पांच में भाजपा या राजग की सरकार होगी. राष्ट्रीय स्तर पर अब 20 राज्यों में भाजपा अपने दम पर या सहयोगी दलों के साथ सत्ता में होगी. इस तरह देश की लगभग 68 फीसद आबादी राजग शासन में होगी.
प. बंगाल चुनाव पर पड़ेगा असर
त्रिपुरा की बड़ी आबादी बंगाली है और इससे इन्कार करना मुश्किल होगा कि इसका सीधा असर पश्चिम बंगाल में दिख सकता है.
त्रिपुरा में भाजपा की पहली पकड़ तब बनी थी जब तृणमूल के सात विधायक भाजपा के पाले में आ गए थे.
केरल की लड़ाई होगी आसान
त्रिपुरा फतह से भाजपा के लिए केरल की लड़ाई भी मनोवैज्ञानिक रूप से आसान होगी. बंगाल और केरल के चुनाव 2021 में हैं. कर्नाटक का चुनाव डेढ़ महीने बाद है.
वहां भाजपा और कांग्रेस की सीधी लड़ाई है. उसके बाद अधिकतर राज्यों में भाजपा को क्षेत्रीय दलों से लड़ना है. ऐसे में इस नतीजे ने भाजपा को बल दिया है.
गलती नहीं दोहराना चाहती कांग्रेस
एक के बाद एक राज्य खोती जा रही कांग्रेस के लिए पूर्वोत्तर से भी बुरी खबर है. त्रिपुरा और नगालैंड में जहां इसका खाता भी नहीं खुला, वहीं मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा होने से वह मुश्किल में है.
वहां पर अब तक कांग्रेस की सरकार थी. गोवा और मणिपुर जैसा हाल मेघालय में न हो, इसके लिए कांग्रेस का हाईकमान सक्रिय हो गया है. 1राज्य में 21 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है.
खबरों के अनुसार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और कमलनाथ शिलांग के लिए रवाना हो चुके हैं. वे राज्य के निर्दलीय विधायकों से बात कर पार्टी की सरकार बनाने का प्रयास करेंगे.
इससे पहले मणिपुर और गोवा में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस सरकार बनाने में नाकाम रही थी. उन दोनों राज्यों में भाजपा ने निर्दलीय विधायकों और छोटी पार्टियों के समर्थन से अपनी सरकार बना ली थी. कांग्रेस अब पुरानी गलती नहीं दोहराना चाहती है.