देश में इलेक्टिक वाहनों के प्रचलन को बढ़ावा देने का काम फिलहाल सरकार के स्तर पर ही होगा. पिछले साल सरकारी विभागों के लिए 10 हजार इलेक्टिक कारों की खरीद के बाद अब दस हजार और कारें खरीदने की तैयारी है. इसके लिए एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) आवश्यक निविदा जारी करने जा रही है.
Spoke about the critical need of energy efficiency in the present time and the nation's role in contributing towards a sustainable future through energy efficient appliances and now, e-vehicles, at the National Launch of Electric Mobility Programme, organised by @EESL_India. pic.twitter.com/ynogrWSQcY
— R. K. Singh (@RajKSinghIndia) March 7, 2018
ऊर्जा व रिन्यूएबल मंत्री आर. के सिंह ने बुधवार को राष्ट्रीय ई-मोबिलिटी कार्यक्रम का शुरुआत करते हुए कहा कि वर्ष 2030 तक सौ फीसद ई-मोबिलिटी हासिल करने के लिए चरणबद्ध तरीके से कदम बढ़ाए जा रहे हैं.
कुछ महीनों के भीतर सरकारी विभागों में 20 हजार इलेक्टिक कारें इस्तेमाल होने से देश भर में इनके प्रति आकर्षण बढ़ेगा. दस हजार नई कारों के लिए निविदा गुरुवार को जारी की जाएगी.
Committed to transforming mobility in India by fuelling the electric aspirations of the nation, Tata Motors is proud to flag-off our #TigorEVs during the unveiling of @EESL_India's National #eMobility Program pic.twitter.com/XjG4eo7xSc
— Tata Motors (@TataMotors) March 7, 2018
ऊर्जा मंत्री सिंह ने देश की दो ऑटोमोबाइल कंपनियों टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा की इलेक्टिक कारों को इस अवसर पर लांच किया.
उन्होंने बताया कि बिजली चालित कार को चलाने की लागत 85 पैसे प्रति किलोमीटर आती है जबकि एक सामान्य पेट्रोल से चलने वाली कार की लागत 6.5 रुपये प्रति लीटर आती है.
सरकार इलेक्टिक कारों को इसलिए भी बढ़ावा देना चाहती है कि इससे आयातित कच्चे तेल पर देश की निर्भरता कम होगी.
.@RajKSinghIndia flags off the national launch of Electric Mobility program. #DriveElectric @Maheshsbabu pic.twitter.com/CXq73MUXHi
— Mahindra Last Mile Mobility (@MahindraLMM) March 7, 2018
चार्जिग स्टेशनों की आवश्यकता
ऊर्जा मंत्री सिंह ने बताया कि सरकार के लिए अभी सबसे बड़ी चुनौती पूरे देश में इलेक्टिक कारों के लिए चार्जिग सुविधा लगाने की है.
इसके लिए सरकार एक समग्र नीति बना रही है, इसे अगले 20 दिनों के भीतर अंतिम रूप दिया जाएगा. देश की कार कंपनियां भी इस नीति का इंतजार कर रही हैं.
इससे बिजली से चलने वाली कारों के लिए चार्जिग स्टेशन लगाने का रोडमैप बन जाएगा.
कई सरकारी व निजी कंपनियां इस नये क्षेत्र में उतरने की तैयारी में हैं. सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां भी चार्जिग कारोबार में उतरने की सोच रही हैं.
इस बारे में सरकार व कंपनियों के बीच जो बातचीत हुई है. उसमें यह आश्वासन दिया गया है कि जो कंपनियां चार्जिग स्टेशन लगाएंगी, उन्हें बिजली किफायती दरों पर मिलेगी.
ईईएसएल सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो विभिन्न सरकारी विभागों के लिए थोक में बिजली से चलने वाली कारों की खरीद कर रही है. थोक में इन कारों की खरीद करने से इनकी लागत कम करने में मदद मिलती है.