एनटी न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश में हर रोज 92 बच्चों की मौत कुपोषण के कारण हो रही है। 2016 में प्रतिदिन के हिसाब से ये आंकड़ा 74 था, जो अब बढ़कर 92 हो गया है। ये आंकड़ा खुद मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार की ओर से दिया गया है।
कुपोषण से प्रतिदिन 92 मौतों का आंकड़ा साल 2018 का है। ये जानकारी खुद विधानसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस ने एक प्रश्न के जवाब में दी है।
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 14 सितंबर 2016 को प्रदेश में कुपोषण की स्थिति जानने के लिए श्वेत पत्र तैयार करने के लिए कमेटी गठित करने की घोषणा की थी। लेकिन इस समिति ने अब तक जांच के बिंदुओं का निर्धारण तक नहीं किया। सरकार का एक ही जवाब- कार्यवाही जारी है।
दो साल में 3300 करोड़ रुपये खर्च
कुपोषण पर सरकार बीते दो सालों में ही 3300 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। यह राशि 2016-17 और 2017-18 में आईसीडीएस, पोषण आहार और अटल बिहारी वाजपेयी आरोग्य एवं पोषण योजना पर खर्च की गई। इसके बाद भी कुपोषण से होने वाली मौतों में कमी नहीं आ पा रही।
दस सालों में सिर्फ बच्चों का कुपोषण मिटाने के लिए पोषक तत्व युक्त भोजन टॉनिक्स और न्यूट्रीशियन की खरीदी पर 4800 करोड़ खर्च हुए।
इसमें साल दर साल टॉनिक की खरीदी में मनमाफिक खर्च किया गया। इसमें जो टॉनिक 2007-08 में प्रति यूनिट 16,124 रुपए था वह 2008-09 में 22457 रुपए प्रति यूनिट खरीदा गया। 2015-16 में इसकी कीमत प्रति यूनिट 40559 रुपए हो गई। न्यूट्रीशियन 2009-10 में 34243 रुपए प्रति यूनिट था जो वर्ष 2015-16 में 40859 रुपए प्रति यूनिट हो गया।
बढ़ता रहा बच्चों की मौत का आंकड़ा
1 जनवरी 2016 से एक जनवरी 2017- 396 दिन 5 वर्ष तक के मृत बच्चों की संख्या 28948 रही, जबकि 6 से 12 वर्ष के 462 बच्चों की मौत हुई। कुल 29,410 बच्चों की मृत्यु हुई। 396 दिन में औसतन प्रतिदिन 74 बच्चों की मौत हुई।
अक्टूबर 2017 से जनवरी 2018- 123 दिन : 0 से 1 वर्ष तक के मृत बच्चों की संख्या 9124 थी। वहीं, 1 से 5 वर्ष के 2215 बच्चों की मौत हो गई। कुल 11339 बच्चों की मृत्यु हुई। यानी 123 दिन में औसतन प्रतिदिन 92 बच्चों की मृत्यु हुई।
इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद नहीं घटा कुपोषण
1 जनवरी 2017 : 70,60,320 बच्चों में से 56,13,327 बच्चे सामान्य वजन के थे। 12 लाख 84 हजार 36 कम वजन और 1 लाख 62 हजार 957 बच्चे अतिकुपोषित थे। कुल 14 लाख 46 हजार 993 बच्चे कुपोषित थे।
फरवरी 2017 : 71,35036 में से 14 लाख 17 हजार 867 कुपोषित।
दिसंबर 2017 : 69,84, 872 बच्चों का वजन लिया गया। यानी 2 लाख कम का वजन लिया गया। इसके बाद भी 14 लाख के ऊपर कुपोषित मिले।
अप्रैल 2017 से सितंबर 2017 -यानी 183 दिन
1 वर्ष के 13843 बच्चों की मृत्यु हुई। वहीं 1 से 5 वर्ष के 3055 बच्चों की मौत हुई। इस तरह कुल 16898 बच्चों की मृत्यु हुई। 183 दिन में औसतन प्रतिदिन 92 बच्चों की मृत्यु हुई।
प्रदेश के इन जिलों में सबसे अधिक कम वजन वाले बच्चे
जिला कम वजन अति कम वजन
भोपाल 24852 1979
धार 65496 4729
बड़वानी 56724 3754
सतना 42406 5522
शिवपुरी 41271 3978
इंदौर 17744 1620
मुरैना 34764 2097
श्योपुर 20041 3817
रतलाम 27519 4280
क्या कहते हैं स्वास्थ्य मंत्री
एमपी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह का कहना है कि अतिकुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ रही है या घट रही है। इस बारे में महिला एवं बाल विकास विभाग काम करता है। जो कम वजन और अति कम वजन के बच्चे अस्पताल आते हैं, उनका इलाज किया जाता है।