महाराजगंज के डीएम की मनमानी के कारण हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को सुनाई खरी-खरी, पढ़िए… पूरा मामला

खुलासा/ मनीष पाण्डेय/ योगेन्द्र त्रिपाठी

याद करिए, प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ का पहला भाषण जब वह गोरखपुर में अपराधियों और भ्रष्टाचारियों पर गरज रहे थे. उन्होंने उस भाषण में कहा था कि जहां भ्रष्टाचार का लेशमात्र अंश भी नहीं होगा, उसका नाम उत्तर प्रदेश होगा. जहां अपराध और अपराधी की कोई जगह नहीं होगी, उसका नाम उत्तर प्रदेश होगा.

लेकिन अपनी याददास्त से कमजोर एक साल बाद योगी सरकार के अधिकारी शायद यह बात भूल गये हैं और उन्होंने एक नया नारा दिया है. ‘जो भ्रष्टाचार से लड़ेगा, उसे जिले क्या प्रदेश से बाहर का रास्ता नपा दिया जायेगा. उसका चैन सुकून छीन लिया जायेगा.’ और इसी नारे के साथ महाराजगंज जिले के अधिकारी आगे बढ़ रहे हैं.

असल में, अखिलेश शासन से ही महाराजगंज में तैनात जिलाधिकारी विरेन्द्र कुमार सिंह भ्रष्टाचारियों के बजाय भ्रष्टाचार उगाजर करने वाले पर कार्रवाई करते हैं. इसकी बानगी हमें आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल कुमार गुप्ता के मामले में देखने को मिल गयी. अनिल के एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट बेंच लखनऊ ने प्रदेश सरकार और महाराजगंज जिला प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है.

क्या है मामला…?

 

जिला सत्र न्यायालय के आदेश की कॉपी और साथ में हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी

महाराजगंज के आरटीआई कार्यकर्त्ता अनिल गुप्ता ने जिले में व्यप्त कई बड़े मामलों में अधिकारियों का भ्रष्टाचार उजागर किया था और वह लगातार इस काम को धार देते आ रहे हैं.

लेकिन जब अधिकारियों को अपने गर्दन फंसती नज़र आई तो उन्होंने आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गुप्ता को ही गुंडा एक्ट जैसे फर्जी मामलों में फंसाते हुए जिलाबदर कर दिया.

अब मामला हाईकोर्ट में है…

आरटीआई कार्यकर्त्ता अनिल गुप्ता ने अपने खिलाफ प्रशासन के इस फर्जी मामले को लेकर जब इलाहबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच पहुंचे.

न्यायधीश विक्रम नाथ और न्यायधीश अब्दुल मोईन की पीठ ने उसके जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा है कि प्रदेश के प्रमुख सचिव, मुख्य सचिव नियुक्ति सहित अन्य सम्बंधित अधिकारियों को इस मामले की फाइलों के साथ 20 मार्च 2018 को कोर्ट में उपस्थित हों.

इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जिला प्रशासन की कार्रवाई को सीरियस एलीगेशन करार दिया है और राज्य सरकार को इससे मसले से जुड़ी फाइलों के साथ तीन सप्ताह के भीतर कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है.

इसके साथ ही हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने इस मामले को अपने 10 सबसे प्रार्थमिकता वाले मामलों में जगह दी है.

क्या कहते हैं अनिल…?

न्यूज़टैंक्स.कॉम के साथ बातचीत करते हुए अनिल गुप्ता बताते हैं कि इस जिले के जिलाधिकारी विरेन्द्र कुमार सिंह लगभग 2 साल से अपने पद पर बने हुए हैं. हम आरटीआई एक्टिविस्टस् द्वारा जो भी मामला उठाया जाता है, उसे वह दबाने का प्रयास करते हैं.

अनिल आगे कहते हैं कि हमने इस जिले में भ्रष्टाचार के कई ऐसे मामले उजागर किये हैं, जिसमें करोड़ों की हेराफेरी हुई थी. इन मामलों पर जिला प्रशासन कार्रवाई करने के बजाय हम लोगों पर ही अपनी लाठी चलाती है.

वह कहते हैं कि जिलाधिकारी विरेन्द्र कुमार सिंह द्वारा उन पर फर्जी धाराएं लगाकर उन्हें जिले का नामी गुंडा घोषित कर दिया गया फिर उन्हें जिलाबदर कर दिया गया. अनिल कहते हैं इस दौरान जिला प्रशासन द्वारा उनकी दूकान भी बंद करवा दी गयी और अब उनके पास आय का कोई जरिया नहीं है.

अनिल आगे कहते हिन्दुस्तान अखबार के हवाले से एक रिपोर्ट दिखाते हुए कहते हैं कि मैंने लगभग आठ सालों से जो जिले के लिए काम किया है उसी का प्रतिफल मुझे मिल रहा है. मुझे कई ममलों में फंसाने के लिए डीएम साहब अपने पद का दुरूपयोग कर रहे हैं.

अनिल कहते हैं ये सारा मामला इसलिए फैला है क्योंकि मैंने डीएम साहब से अपने मानवीय मूल्यों को लेकर समझौता नहीं किया. इसके अलावा जब मैं डीएम साहब से मिलने गया तो उन्होंने मिलने से ही मना कर दिया और अपने रसूख का इस्तेमाल करके कई मामलों में मुझे फंसवा दिया.

नहीं फ़ोन उठाते हैं डीएम

जब हमने इस मामले में जिलाधिकारी से बात करनी चाही तो उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया और संस्थान द्वारा उन्हें मोबाइल मैसेज भी किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

(यह रिपोर्ट मनीष पाण्डेय, वरिष्ठ संवाददाता, समाचार प्लस के सहयोग से अनिल कुमार गुप्ता के द्वारा दिए गये साक्ष्यों और बातचीत के आधार पर लिखी गयी है)