एनटी न्यूज़ डेस्क/ स्वच्छ भारत
देश में कूड़े की समस्या बहुत ही विकराल रूप ले चुकी है. समस्या इतनी बढ़ चुकी है कि शहर दर शहर कूड़े के ढ़ेर पर बैठे पड़े हैं. लेकिन अब इस समस्या से निजात मिल सकती है. इसकी बानगी दिल्ली से सटे गाजियाबाद की खोड़ा नगरपालिका में देखने को मिली. खोड़ा नगर पालिका को द्वारा देश का ऐसा पहला कूड़ा निस्तारण प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जो बिना बिजली-ईंधन और बिना कोई प्रदूषण फैलाए अपना काम करेगा. जापानी नियोसोनिक तकनीक पर आधारित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए खोड़ा में कुल चार मैग्नेटिक डीकंपोजिंग यूनिट लगाई जाएंगी. इस तकनीक के कूड़े को खाद में तब्दील किया जाएगा.
कूड़े की समस्या से मिलेगा निजात
दिल्ली-एनसीआर में डंपिंग यार्ड के लिए जमीन की कमी के चलते कूड़े की समस्या विकराल हो चुकी है. गाजियाबाद में भी कूड़ा निस्तारण के लिए अभी तक डंपिंग यार्ड नहीं बना है.
खोड़ा नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार भड़ाना ने बताया कि खोड़ा में चार अलग-अलग स्थानों पर ये प्लांट लगाए जाएंगे.
खोड़ा में रोजाना करीब 30 टन कूड़ा निकलता है. इसका निस्तारण इन्हीं चार प्लांटों में किया जाएगा.
तीन किलो खाद में तब्दील हो जाता है एक टन कूड़ा
नियोसोनिक तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें पत्थर, कांच और लोहे को छोड़कर सब कुछ निस्तारित हो जाएगा. एक टन कूड़े के निस्तारण के बाद सिर्फ तीन किलो अवशेष रह जाएगा.
यह खाद के रूप में होगा, जिसका उपयोग हरियाली में किया जा सकेगा. नगरपालिका खाद को बेचने की योजना भी बना रही है.
आठ टन की क्षमता की मशीन की कीमत करीब पांच करोड़ रुपये आएगी. दस साल बाद मशीन के चुंबक बदले जाएंगे. उससे पहले इसके रखरखाव पर मामूली खर्च ही आएगा.
यह है तकनीक
नियोसोनिक तकनीक से चलने वाले मैग्नेटिक डीकंपोजर, जिससे कूड़ा खाद में तब्दील हो जाता है, को चलाने के लिए बिजली अथवा ईंधन की आवश्यकता नहीं है.
डीकंपोजर के अंदर दो बड़े चुंबक लगे हैं. इनसे बनने वाले चुंबकीय क्षेत्र से डीकंपोजर का तापमान 300 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है.
इस प्रक्रिया (पायरोलिसिस) में कूड़ा डीकंपोच्ड होने लगता है. इसका अधिकांश भाग मीथेन गैस में तब्दील हो जाता है जबकि शेष राख बचती है, जो खाद के रूप में होती है.