एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति
त्रिपुरा में वामपंथ का किला ध्वस्त करने की खुशी के खुमार में भाजपा कुछ ऐसी डूबी कि उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा की अपनी सीटें ही गंवा बैठी. बुआ और भतीजे (मायावती और अखिलेश यादव) ने हाथ मिलाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से रिक्त हुई गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीट पर भाजपा को चारों खाने चित कर दिया.
बसपा ने दोनों सीटों पर सपा प्रत्याशियों को समर्थन दिया था. उप्र में 1993 में सपा-बसपा ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा और सरकार बनाई थी. 25 साल बाद 2018 में दोनों दल एकजुट हुए हैं, हालांकि अभी औपचारिक गठबंधन नहीं हुआ है. उधर, बिहार की अररिया संसदीय सीट से लालू प्रसाद की पार्टी राजद ने फिर जीत हासिल कर जदयू नेता व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चौंका दिया है. अब लोकसभा में भाजपा की 272 और समाजवादी पार्टी की सात सीटें हो गईं हैं.
हार-जीत के मायने
भाजपा : उत्तर-पूर्व में मजबूत हो रही है, पर उत्तर-पश्चिम व मध्य भागों में 2019 के लिए व्यापक बदलाव व नई रणनीति बनानी पड़ेगी.
सपा-बसपा : उप्र में अन्य सभी विपक्षी दलों से विधिवत गठबंधन कर 2019 के आम चुनाव में फिजां बदल सकती हैं.
कांग्रेस : विपक्षी एकता में जुटी कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से फिर गठजोड़ कर महागठबंधन को आकार दे सकती है.
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बिहार में अररिया लोकसभा की सीट जीतने में लालू का राजद फिर सफल
27 साल पुराना गढ़ ढहा
गोरखपुर संसदीय सीट पर 1991 से लगातार भाजपा की जीत के रिकॉर्ड को सपा ने ध्वस्त कर दिया. उपचुनाव में यहां भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ल को सपा के प्रवीण निषाद ने 21961 मतों से हराया.
गोरखपुर में 1989, 1991 और 1996 में महंत अवेद्यनाथ और 1998 से 2014 तक योगी आदित्यनाथ को कोई चुनौती नहीं मिली.
पिछले लोकसभा चुनाव में योगी तीन लाख 12 हजार मतों से जीते थे लेकिन, योगी के मुख्यमंत्री बनने के करीब एक वर्ष बाद उनकी ही छोड़ी सीट पर आए चुनाव परिणाम ने तस्वीर बदलकर रख दी.
दरअसल, सरकार के एक वर्ष के कामकाज का मूल्यांकन उनके ही मतदाताओं ने किया है. वरना पहले के चुनावों में सबकी एकजुटता के बावजूद योगी की जीत का अंतर सपा-बसपा और कांग्रेस के मतों से ज्यादा होता था.
केशव भी नहीं बचा सके अपनी छोड़ी सीट
साल 2014 की मोदी लहर में केशव प्रसाद मौर्य ने फूलपुर में तीन लाख से अधिक मतों से जीत हासिल कर पहली बार भाजपा का खाता खोला था.
उपचुनाव में भाजपा के कौशलेंद्र पटेल को सपा के नागेंद्र पटेल ने 59613 मतों से हराया. केशव के फेल होने की कई वजहों में कौशलेंद्र की महिला विरोधी छवि भी रही.
कौशलेंद्र के खिलाफ पहली पत्नी ने ही विरोध का बिगुल बजा दिया था.
अररिया फिर राजद के हाथ
बिहार में अररिया लोकसभा सीट पर राजद के सरफराज आलम ने भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को 61787 वोट से हराया. यह सीट सरफराज के पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री मो. तस्लीमुद्दीन के निधन से रिक्त हुई थी.
सरफराज पहले जदयू में थे, लेकिन गठबंधन में यह सीट भाजपा के हिस्से में जाने के बाद उन्होंने चुनाव से ठीक पहले राजद का दामन थाम लिया था.
विस उपचुनाव में उलटफेर नहीं
बिहार में जहानाबाद विधानसभा की सीट पर जदयू अभिराम शर्मा राजद के कृष्ण कुमार उर्फ सुदय यादव से 35,371 वोट से हार गए. भभुआ में भाजपा की रिंकी पांडेय, कांग्रेस के शंभू पटेल को 14,866 वोट से शिकस्त देने में सफल रहीं.
पढ़िए… किसने क्या कहा…?
बेमेल गठबंधन का असर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि सपा-बसपा के बेमेल गठबंधन को समझने में विफल रहे. अति आत्मविश्वास भी था. राजनीतिक सौदेबाजी शुरू हो गई. वोटिंग कम होने का भी असर पड़ा. उपचुनावों में स्थानीय मुद्दे भी हावी होते हैं.
भाजपा के बुरे दिन आए
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सपा की जीत के लिए मायावती जी को धन्यवाद. उत्तर प्रदेश के चुनाव का हमेशा राजनीतिक संदेश मिलता है. अच्छे दिन तो आए नहीं, जनता मिलकर भाजपा के बुरे दिन लाई है.
वोटर भाजपा से नाराज
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि भाजपा का प्रदर्शन चौंकाने वाला है. इससे साबित होता है कि वोटर भाजपा से बहुत खफा हैं.
अंत की शुरुआत, बड़ी जीत
प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा के खिलाफ जीतने वाले दलों को बधाई देते हुए कहा कि मायावती, अखिलेश और लालू यादव को बधाई. भाजपा के अंत की शुरुआत हो गई है.