लोकसभा चुनाव को लक्ष्य कर होगा योगी मंत्रिमंडल में बदलाव, जानिए संभावित चेहरे कौन हैं ?

एनटी न्यूज़ डेस्क/ राजनीति

राज्यसभा चुनाव के बाद अब योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गई. योगी सरकार में खराब परफार्मेस वाले मंत्रियों को हटाने के साथ ही चुनाव में जीत का समीकरण बनाने वाले नेताओं को उपकृत करने की भी पहल हो सकती है. यूं तो मंत्रिमंडल में फेरबदल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की हरी झंडी के बाद ही होगा, लेकिन अपने-अपने लिए प्रयास शुरू हो गए हैं. इतना जरूर तय है कि अब मंत्रिमंडल का फेरबदल लोकसभा चुनाव पर केंद्रित रहेगा.

भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा, राजग गठबंधन, विपक्ष, योगी मंत्रिमंडल, योगी सरकार, भाजपा सरकार

अब मंत्रिमंडल में फेरबदल बिलकुल तय

केंद्र सरकार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी विभागों के गठन की प्रक्रिया लंबित है. नीति आयोग के निर्देश पर 87 विभागों को समेटकर 37 विभाग किये जाने की योजना है. योगी सरकार के एक वर्ष पूरे हो गए हैं.

बदलते राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच कुछ नए चेहरों के शामिल किये जाने के संकेत मिलने लगे हैं. देर-सवेर जब भी बदलाव होगा तो उसका पूरा स्वरूप 2019 के लोकसभा चुनाव पर केंद्रित रहेगा.

करीब तीन माह पहले जब नीति आयोग के निर्देशों के मुताबिक विभागों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हुई तभी कयास लगने लगे कि मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा, क्योंकि कई मंत्रियों का विभाग एक-दूसरे में मर्ज होना है.

पर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने इन अटकलों पर विराम लगाते हुए सिरे से खारिज किया. उनका दो टूक कहना था कि अभी तक सरकार के एक वर्ष भी पूरे नहीं हुए, ऐसे में मंत्रिमंडल में फेरबदल की कोई गुंजायश नहीं.

अब जबकि योगी सरकार के एक वर्ष पूरे हो गये और कार्य संस्कृति में बदलाव पर जोर है तो कुछ लोगों को महत्व मिलने की उम्मीद जगी है.

सुधांशु, नरेश और आशीष की चर्चा

सपा सांसद नरेश अग्रवाल का कार्यकाल दो अप्रैल को पूरा हो रहा है. वह इस समय भाजपा में हैं और उनके विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल के भाजपा खेमे में आने से विपक्षी गठजोड़ को झटका लगा. ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा नरेश को इसका रिटर्न गिफ्ट देगी.

संभव है कि नरेश अग्रवाल को एमएलसी बनाकर सरकार में मंत्री पद की शपथ दिलाई जाए. इसके अलावा सुधांशु त्रिवेदी का नाम भी मंत्री पद की दौड़ में तेजी से उभरा है. केंद्र की कार्यसंस्कृति को विकसित करने की गरज से भी सुधांशु को विधान परिषद में भेजकर मंत्री बनाये जाने की चर्चा चल पड़ी है.

उधर, अपना दल (एस) ने भी पूरी ईमानदारी से अपना गठबंधन धर्म निभाया. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है जिस तरह अपना दल (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने विधायकों को नियंत्रित करने में सक्रियता दिखाई उसका इनाम उन्हें एमएलसी बनाकर मंत्रिमंडल में शामिल कर दिया जा सकता है.

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के दो विधायकों की भूमिका पर भले सवाल उठे हों, लेकिन पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण ओहदा मिल सकता है.

पांच मई को विधान परिषद की 13 सीटें होंगी रिक्त

विधान परिषद में पांच मई को अखिलेश यादव, उमर अली खान, नरेश चंद्र उत्तम, मधु गुप्ता, महेंद्र सिंह, चौधरी मुश्ताक, राजेंद्र चौधरी, राम सकल गुर्जर, विजय यादव, विजय प्रताप, सुनील कुमार चित्ताैड़ और मोहसिन रजा और अंबिका चौधरी (चौधरी बसपा में जाने के बाद इस्तीफा दे चुके), का कार्यकाल समाप्त हो रहा है.

इन 13 सीटों पर इस अवधि से पहले यानि निकट भविष्य में ही चुनाव होने हैं. छह वर्ष पूर्व इनमें आठ सीटें सपा, तीन बसपा और एक भाजपा तथा एक रालोद ने जीती थी.

अब इन सीटों पर सर्वाधिक दबदबा भाजपा का होना है. विधानसभा में भाजपा के पास विधायकों की संख्या अधिक है इसलिए अब उसका दबदबा रहेगा.

भाजपा में दावेदारों की बड़ी कतार

विधान परिषद की 13 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में संख्या बल की वजह से भाजपा और सहयोगी दलों को 11 सीटें मिलेंगी.

इन सीटों के लिए सर्वाधिक बड़ी दावेदारी एमएलसी पद से इस्तीफा देने वाले यशवंत सिंह, सरोजिनी अग्रवाल, बुक्कल नवाब और जयवीर सिंह की है.

इनके अलावा भाजपा संगठन से अशोक कटारिया, विजय बहादुर पाठक, जेपीएस राठौर, सलिल विश्नोई, विद्यासागर सोनकर, हरिश्चंद्र श्रीवास्तव समेत कई नाम प्रमुख हैं.

उधर, योगी सरकार में शामिल मंत्री महेंद्र सिंह और मोहसिन रजा का भी कार्यकाल पूरा हो रहा है. कई और भी प्रमुख दावेदार विधान परिषद में जाने के लिए हैं.

पाला बदलने वाले विधायक संकट में

राज्यसभा चुनाव में पाला बदलने वाले विधायकों के नाम सार्वजनिक होते ही उनकी पार्टी ने कार्रवाई शुरू कर दी है. तात्कालिक तौर पर दल से निलंबन और बर्खास्तगी की गई है जबकि निकट भविष्य में उनकी सदस्यता पर भी संकट खड़ा हो सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ लोगों की विधायकी भी खतरे में है.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कई विधायकों की भूमिका उजागर कर दी. उनके द्वारा रालोद विधायक सहेंद्र चौधरी की भूमिका संदिग्ध बताते ही रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह ने छपरौली के अपने विधायक सहेंद्र सिंह को पार्टी के निर्देशों के विरूद्ध कार्य करने के आरोप में निष्कासित कर दिया है.

मायावती ने खुद अपने विधायक अनिल सिंह को निलंबित कर दिया है. समाजवादी पार्टी ने भी नितिन अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है.

इस दौरान सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने अपनी पार्टी के विधायक कैलाश सोनकर और त्रिवेणी राम से स्पष्टीकरण मांगा है.

राजभर ने कहा कि उन्होंने मीडिया में आ रही खबरों का संज्ञान लेकर स्पष्टीकरण मांगा है. उन्हें अपने विधायकों पर भरोसा है.

उधर, निषाद दल के अध्यक्ष संजय सिंह ने विधायक विजय मिश्र को पार्टी से बर्खास्त कर दिया है. माना जा रहा है कि ये दल विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए भी वैधानिक पहल कर सकते हैं.