विपक्ष कर रहा है मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र पर महाभियोग की तैयारी

एनटी न्यूज़ डेस्क/ महाभियोग

केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देने के साथ-साथ विपक्ष ने देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र के खिलाफ महाभियोग लाने की भी तैयारी कर ली है. माना जा रहा है कि कांग्रेस, राकांपा, वामदल के कुछ नेताओं ने महाभियोग के प्रस्ताव के मसौदे पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. राकांपा के सांसद माजिद मेमन ने इसकी पुष्टि की.

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करीब 50 सांसदों ने किया है हस्ताक्षर

मंगलवार देर रात तक जरूरी 50 सांसदों के हस्ताक्षर लेकर एक-दो दिनों में ही राज्यसभा में नोटिस दिया जा सकता है. हालांकि विपक्ष के एक गुट का मानना है कि ऐसा प्रस्ताव लाने से पहले विस्तार से चर्चा कर लेनी चाहिए.

कांग्रेस में भी कानून के जानकार कुछ नेताओं का मानना है कि ऐसे प्रस्ताव से न्यायपालिका को गलत संदेश जा सकता है. इसे न्यायपालिका में राजनीतिक हस्तक्षेप तक माना जा सकता है.

ऐसे में अगर विपक्ष आगे बढ़ता है तो दीपक मिश्र पहले मुख्य न्यायाधीश होंगे जिनके खिलाफ ऐसा प्रस्ताव आएगा.

पहले भी आ चुके हैं महाभियोग प्रस्ताव

इससे पहले दो न्यायाधीशों के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव आ चुके हैं.

2011 में सबसे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज सौमित्र सेन और इसके बाद सिक्किम हाईकोर्ट पूर्व मुख्य न्यायाधीश पीडी दिनाकरन के खिलाफ ऐसा प्रस्ताव आया था.

चार जजों ने उठाया था कार्यशैली पर सवाल

यूं तो जस्टिस दीपक मिश्र के खिलाफ महाभियोग की बात वामदल की ओर से तब उठाई गई थी जब जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के चार जजों-जस्टिस जे.चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी. लोकुर और कुरियन जोसेफ- ने उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे, लेकिन पिछले दो-तीन दिनों में संसद के अंदर विपक्ष ने इसे धार दी है.

कांग्रेस की ओर से इसकी शुरुआत की गई ताकि दूसरे दल भी समर्थन करें. वकील प्रशांत भूषण ने इसका ड्राफ्ट तैयार किया.

खबरों के अनुसार, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, राकांपा के शरद पवार, वंदना चव्हाण, प्रफुल्ल पटेल समेत कई नेताओं ने हस्ताक्षर कर दिए हैं.

तृणमूल कांग्रेस की ओर से भी समर्थन का आश्वासन मिल चुका है. लेकिन उनके हस्ताक्षर हुए या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हुई. मंगलवार को ममता बनर्जी ने कई क्षेत्रीय दलों के नेताओं से मुलाकात की थी. बताते हैं कि उसमें भी इस पर चर्चा हुई.

कथित मसौदे में आरोप

कथित ड्राफ्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्र पर पांच आरोप लगाए गए हैं. इनमें प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट जैसे मुद्दे शामिल हैं. विपक्षी सदस्यों के बीच बांटे गए महाभियोग के लिए कथित मसौदे में दीपक मिश्र पर प्रशासनिक अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप है.

यह भी आरोप है कि उन्होंने वांछित फैसले के लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील कुछ मामलों की सुनवाई खास जजों को सौंपी है.

मुख्य न्यायाधीश की अगुआई वाली पीठ अयोध्या विवाद जैसे अहम मामलों की सुनवाई कर रही है. जस्टिस लोया का मामला उनकी ही पीठ सुन रही है. दीपक मिश्र अक्टूबर में रिटायर कर रहे हैं.

ऐसे चलता है महाभियोग

महाभियोग प्रस्ताव के लिए लोकसभा में 100 और राज्यसभा में कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं. प्रस्ताव पारित होने के बाद पीठासीन अधिकारी की ओर से तीन जजों की समिति का गठन किया जाता है.

इसमें सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और किसी एक कानूनविद को शामिल किया जाता है. समिति आरोपों की जांच करती है और आरोप साबित होने पर सदन में प्रस्ताव पारित होने के बाद राष्ट्रपति उन्हें पद से हटा देते हैं.