एनटी न्यूज़ डेस्क/ उत्तर प्रदेश
महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) की तर्ज पर माफिया और संगठित अपराध से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, 2017 (यूपीकोका) विपक्ष के बहिर्गमन के बीच मंगलवार को विधानसभा में दोबारा पारित हो गया. राज्यपाल और केंद्र की अनुमति मिलते ही यह कानून प्रभावी हो जाएगा. इसके तहत सात साल से लेकर उम्रकैद व मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है. आरोपितों पर 15 से लेकर 25 लाख रुपये तक का जुर्माना भी होगा.
योगी ने बताई यूपीकोका की विशेषता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को सदन में यूपीकोका की विशेषता बताते हुए यह प्रस्ताव रखा. योगी ने बताया कि यह विधेयक 21 दिसंबर, 2017 को विधानसभा में पारित होने के बाद विधान परिषद में भेजा गया था.
प्रवर समिति को सौंपा गया, लेकिन एक भी संशोधन नहीं हुआ और 13 मार्च को विधान परिषद की बैठक में यह अस्वीकार हो गया. जैसा कि पहले इस सदन द्वारा मूलत: पारित किया गया था, वैसे पुन: पारित किया जाए.
योगी के इस प्रस्ताव का विपक्ष ने विरोध किया और इसे लोकतंत्र और जनप्रतिनिधियों, संविधान, पत्रकारिता और मानवाधिकारों का विरोधी बताते हुए प्रवर समिति को सौंपे जाने की मांग की.
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित का कहना था कि चूंकि यह विधेयक एक बार विधानसभा से पारित है और इसमें कोई संशोधन नहीं किया गया, इसलिए इस पर चर्चा की जरूरत नहीं है.
सपा, बसपा और कांग्रेस के सदस्यों के विरोध स्वरूप सदन से बहिर्गमन के बीच सत्तापक्ष ने ध्वनिमत से इस विधेयक को पारित कर दिया.
यह समाज के अंतिम व्यक्ति को देगा सुरक्षा की गारंटी
योगी आदित्यनाथ ने कहा, यूपीकोका समाज के अंतिम व्यक्ति की सुरक्षा की गारंटी देने वाला है. मुकदमा पंजीकरण से लेकर आरोप पत्र दाखिल करने के लिए उच्चाधिकारियों के अनुमोदन की व्यवस्था है. उन्होंने कहा,यह संविधान सम्मत है और जनहित में लाया गया है.
उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, लोकतंत्र की सर्वाधिक धज्जी उड़ाने वाले लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं. योगी ने उत्तर प्रदेश पुलिस की सराहना करते हुए एटीएस, एसटीएफ के गुडवर्क भी गिनाए. दावा किया कि अपराध में गिरावट आयी है.
सीएम योगी ने समाजवादी पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा कि अब तो समाजवाद शब्द से अफसोस होता है. जर्मनी का समाजवाद नाजीवाद, इटली का समाजवाद फासीवाद और यूपी का समाजवाद परिवारवाद में बदल गया है. अपराध का राजनीतिकरण और राजनीति का अपराधीकरण किसने किया, यह पूरी दुनिया जानती है.