केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) आरक्षण से क्रीमी लेयर को बाहर करने की मांग का विरोध करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा,एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू नहीं होता. कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में फिर होगी.
समता आंदोलन समिति की याचिका है लंबित
सुप्रीम कोर्ट मे समता आंदोलन समिति की याचिका लंबित है जिसमें एससी-एसटी आरक्षण से क्रीमी लेयर को बाहर किए जाने की मांग की गई है.
याचिका में कहा गया है कि एससी-एसटी को मिलने वाले आरक्षण का ज्यादातर लाभ इस वर्ग के ऊपर उठ चुके लोग ही ले लेते हैं जिससे वास्तविक जरूरतमंद लाभ पाने से वंचित रह जाते हैं.
नहीं लागू होता क्रीमी लेयर का फॉमरूला
बुधवार को जब मामला मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया तो केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी पीएस नरसिम्हा ने कहा, एससी-एसटी कोटे में क्रीमी लेयर का फॉमरूला लागू नहीं होता क्योंकि एससी-एसटी तो पूरा वर्ग ही पिछड़ा है.
पीठ ने कहा, इसलिए सरकार एससी- एसटी को मिलने वाले लाभों में कोई कटौती नहीं करने जा रही है. इन दलीलों पर कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने को कहा है. इसके बाद याचिकाकर्ता सरकार के जवाबी हलफनामे का उत्तर दाखिल करेंगे.
क्रीमी लेयर के लोग हों बाहर
याचिका में एससी-एसटी आरक्षण से क्रीमी लेयर को बाहर करने की मांग करते हुए कहा गया है कि पूरे एससी- एसटी वर्ग को पिछड़ा मानना ठीक नहीं है वो भी लगातार 70 सालों से. इस वर्ग को मिलने वाले आरक्षण का लाभ कुछ लोग ही ले लेते हैं और बाकी के 95 फीसद लोग वैसे ही पिछड़े और वंचित रह जाते हैं.
कहा कि जैसे सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा साहनी मामले में दिए फैसले में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण से क्रीमी लेयर को बाहर करने की बात कही है ताकि वास्तविक जरूरतमंदों तक लाभ पहुंच सके, वैसा ही एससी- एसटी आरक्षण मामले में भी होना चाहिए.
याचिका में एम नागराज के फैसले का भी हवाला दिया गया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण देने से पहले उनके पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाने होंगे.