इस मज़बूरी ने बना दिया इस गाँव को ‘कब्रों वाला गाँव’

एनटी न्यूज़ डेस्क / आगरा / अंकित सेठी

अपने गाँव की मिट्टी की खुशबू हर किसी को अच्छे से मालूम होती है. हर एक जगह की अलग ही पहचान होती है. जैसे इटावा का नाम लो तो पूर्व सीएम अखिलेश यादव का नाम और गोरखपुर का नाम लो तो सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम याद आने लगता है. ऐसे ही आगरा का नाम लेते ही ताज महल याद आता है. अब आपको आगरा के एक गाँव के बारे में बताते है. जिसे कुछ लोग ‘भूतों वाला गाँव’ तो कुछ ‘कब्रों वाला गाँव’ नाम से जानते है.

कब्रों वाला गाँव

लोगों से ज्यादा कब्र…

ताज नगरी आगरा में एक गाँव ऐसा है, जिसे कब्र वाले गाँव के नाम से पहचाना जाता है. इसके पीछे की वजह यह है कि यहाँ हर घर में कब्र है. इस गाँव में जब भी कोई मरता है तो उसे घर में ही कब्र बनवा दफना दिया जाता है. इसके पीछे कोई परम्परा नहीं है बल्कि इस गाँव के लोगों की मजबूरी है. इनकी मजबूरी को बताने से पहले आपको बता दें कि यहाँ लोगों से ज्यादा कब्रे है.

यह है कब्रों वाला गाँव…

आम गाँव की तरह दिखने वाला यह गाँव आगरा से लगभग 25-30  किलोमीटर दूर आगरा-जयपुर मार्ग पर किरावली तहसील में है. इस गांव का नाम ‘छह पोखर गांव’ है, लेकिन इस गांव को ‘कब्रों वाले गांव’ के नाम से जाना जाता है.

यह है मजबूरी…

घर में कब्रें बनाना कोई परम्परा नही है इस गाँव की मज़बूरी है. आपको बता दें इस गाँव में लगभग 35 मुस्लिम परिवार रहते है. जिनकी आबादी करीब 200 के आस-पास है. इस गाँव में कब्रिस्तान ना होना ही इनकी सबसे बड़ी मज़बूरी है. जिसकी वजह से जब किसी का इंतकाल होता है, तो इस गाँव के लोग उसे अपने घर में कब्र बनवा कर दफना देते है.

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हैरान कर देने वाले दृश्य…

इस गाँव में हैरान कर देने वाले दृश्य देखने को मिलते है. घरों में बनी ये कब्रे कहीं कहीं चौखट में है तो कहीं घर के आंगन में. कुछ घरों में तो कब्रे चौका (रसोई घर) से सट कर बनी हुई है.

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भूमि है आवंटित…

इस गाँव में कब्रिस्तान के लिए सरकारी कागजों में जमीन आवंटित है. लेकिन धरातल पर तो यह कब्रिस्तान लोगों के घरों में दिखाई देता है. घर में कब्रिस्तान होने की वजह से बच्चे और महिलाएं गंदगी की वजह से बीमार रहती है.

अधिकारियों का मानना…

इस गाँव के मजबूर लोग कई बार धरना- प्रदर्शन कर चुके है. लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. सरकार से गुहार लगाते हुए ये ग्रामीण अपने रब से किसी की मौत ना हो ऐसी दुआ करते रहते हैं.

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वहीं अधिकारियों ने माना है कि गाँव में जहाँ तलाब है वहां कब्रिस्तान के लिए जमीन आवंटित है, लेकिन तालाब को भरने पर ज्यादा खर्चा आएगा. इसके लिए वह दूसरी जगह कब्रिस्तान आवंटित करने की बात कर रहे है. अब देखना यह है कि कितने दिन बाद इस गाँव को अपनी असली पहचान मिल पाएगी.

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