देश में कार्यरत आइपीएस अधिकारियों पर लंबित आपराधिक मामलों का कहीं लेखाजोखा नहीं है. अब केंद्रीय सूचना आयोग ने गृह मंत्रालय को ऐसे आइपीएस अफसरों की सूची तैयार करने को कहा है. सूचना आयुक्त यशोवर्धन आजाद ने यह आदेश सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की याचिका पर दिया है, जिन्होंने देश भर में कार्यरत भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) के अफसरों पर लंबित मुकदमों की जानकारी मांगी है.
नहीं होती हमारे पास ऐसी कोई भी जानकारी
सूचना आयोग की पेशी में पेश हुए गृह मंत्रालय की पुलिस शाखा के प्रतिनिधि ने सुनवाई के दौरान कहा, आइपीएस अफसरों पर मुकदमे लंबित होने की जानकारी सरकार संकलित नहीं करती. इसलिए इस बारे में जानकारी दे पाना तत्काल संभव नहीं है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो भी ऐसी जानकारी नहीं रखता.
इस पर सूचना आयुक्त ने कहा, जानकारी की बाबत गृह मंत्रालय के पास भेजे गए आरटीआइ प्रार्थना पत्र पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया. इससे लापरवाही का पता चलता है. आइपीएस अधिकारियों की सेवा से संबंधित सारी जानकारियों के लिए गृह मंत्रालय जिम्मेदार है.
ये तो हैरान करने वाली बात : आयोग
सूचना आयोग ने कहा कि गृह मंत्रालय के पास अधिकारियों पर चलने वाले मुकदमों की जानकारी न होना हैरान करने वाला है. किसी भी अधिकारी पर लंबित आपराधिक मुकदमों और लापरवाही के चलते ही उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है.
सूचना आयोग ने कहा जब अधिकारी के खिलाफ मामलों की जानकारी ही गृह मंत्रालय के पास नहीं है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई का कदम भी संदिग्ध हो गया है.
पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था आवश्यक
सूचना आयुक्त ने कहा, अधिकारी पर चल रहे मामलों की जानकारी उसकी निजी पत्रवली में होनी ही चाहिए. अगर ऐसा नहीं है तो यह बहुत बड़ी गड़बड़ी है.
सूचना आयुक्त ने गृह मंत्रालय से आइपीएस अधिकारियों से संबंधित मुकदमों की जानकारी न होने की बात शपथ पत्र के जरिये कहने का निर्देश दिया.
उन्होंने कहा, शासन की प्रतिष्ठा के लिए पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था आवश्यक है. देश में इस समय करीब नौ हजार आइपीएस अधिकारी कार्यरत हैं. सूचना आयुक्त यशोवर्धन आजाद खुद भी पूर्व आइपीएस अधिकारी हैं.