सरकार से 1.4 करोड़ की जालसाजी कर पैसा हड़पने के मामले में तीस्ता पर मुकद्दमा दर्ज

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर गुजरात पुलिस ने 1.4 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है. एनजीओ सबरंग के लिए गलत ढंग से सरकारी सहायता हासिल करने के आरोप में कार्रवाई हुई है. उनके एनजीओ के अन्य ट्रस्टियों को भी इस मामले में नामजद किया गया है.

सामाजिक कार्यकर्ता, तीस्ता सीतलवाड़, गुजरात पुलिस, धोखाधड़ी, एनजीओ, सबरंग, सरकारी सहायता

तीस्ता के सहयोगी ने दर्ज करवाई एफआईआर

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजदीप जाला ने बताया कि तीस्ता के सहयोगी रहे रईस खान पठान की शिकायत पर पुलिस ने शुक्रवार रात को केस दर्ज किया. तीस्ता ने अपने एनजीओ सबरंग के लिए 2010 से 2013 के दौरान एचआरडी मंत्रालय से सहायता हासिल की थी.

उन्होंने तीस्ता पर आरोप लगाया है कि कुछ सरकारी अफसरों के साथ मिलीभगत कर गलत दस्तावेज पेश कर जालसाजी की गई. सबरंग के जरिये आपत्ति जनक सामग्री भी वितरित कराई गई. इसका मकसद सांप्रदायिक तनाव बढ़ाना था. तीस्ता व उनके साथियों ने धर्म को राजनीति से जोड़ने की हरकत की. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

उनका कहना है कि डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन, लिटरेसी के उप सचिव को शिकायत भेजकर बिंदुवार जवाब मांगे गए हैं. तीस्ता को सरकार ने 1.4 करोड़ रुपये शैक्षणिक क्षेत्र में काम करने के लिए दिए थे. तीस्ता ने 2008 से 2014 के दौरान खोज प्रोजेक्ट पर काम किया था. इसे गुजरात व महाराष्ट्र के कुछ शहरों में चलाया गया.

क्या कहना है शिकायतकर्ता पठान का

शिकायतकर्ता पठान का कहना है कि 1.4 करोड़ में से बड़ा हिस्सा तीस्ता के एक अन्य एनजीओ सिटीजंस जस्टिस एंड पीस को स्थानांतरित कर दिया गया.

वह कहते हैं कि अनुदान के तौर पर दिए पैसे से ऑफिस स्टाफ की तनख्वाह, दंगा पीड़ितों के यात्रा भत्ते, वकील की फीस के भुगतान के साथ ऐसे प्रोजेक्टों पर भी खर्च किया गया, जो राज्य सरकार के खिलाफ अभियान चलाने से जुड़े थे. तत्कालीन यूपीए सरकार की शह पर तीस्ता को आर्थिक मदद मिल रही थी.

सरकार बदलने पर कार्रवाई

एचआरडी मंत्रालय हरकत में तभी आया जब दिल्ली में सरकार बदली. 2014 के बाद पैनल गठित कर तीस्ता की गतिविधियों की पड़ताल कराई गई. पैनल में सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिजीत भट्टाचार्य, गुजरात सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति एसए बारी व एचआरडी मंत्रालय के अधिकारी गया प्रसाद शामिल थे.

इन लोगों की रिपोर्ट थी कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत दी गई सरकारी मदद गलत थी. कुछ अधिकारियों ने तीस्ता की मदद की. मंत्रालय ने 2016 में ला अफसर से इस पर रायशुमारी की थी. उन्होंने भी तीस्ता पर कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की थी.

Advertisements