शुक्र के बादलों पर हो सकते हैं एलियन, वैज्ञानिक लगा रहे हैं पता

लंबे समय से दूसरे ग्रहों पर जीवन की मौजूदगी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। खगोलविद लगातार इस बात को जानने में प्रयासरत रहते हैं कि दूसरे ग्रहों पर जीवन है या नहीं। इसी कड़ी में उन्हें एक अहम बात पता लगी है। खगोलविदों का मानना है कि पृथ्वी के पड़ोसी ग्रह शुक्र पर एलियन हो सकते हैं।

दूसरे ग्रहों पर जीवन की मौजूदगी

मंगल से वर्षो पहले शुक्र का वातावरण था रहने योग्य

कुछ अध्ययनों में सामने आया है कि हमारे सौरमंडल के इस सबसे चमकीले ग्रह पर करीब दो अरब साल पहले पानी तरल रूप में मौजूद था। इसका मतलब है कि मंगल ग्रह से वर्षो पहले शुक्र का वातावरण रहने योग्य था।

इसी को आधार बनाकर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि शुक्र पर सूक्ष्म जीवों की पूरी प्रजाति विकसित हो चुकी होगी। इस अध्ययन से वैज्ञानिक उत्साहित हैं और उम्मीद जगी है कि शुक्र पर जीवन संभव हो सकता है।

इसके साथ ही इस अध्ययन ने दूसरे ग्रहों पर मानव बस्ती बसाने का सपना देखने वालों को भी उत्साहित कर दिया है।

अम्लीय वातावरण में संभव हो सकता है जीवन

कैलिफोर्निया स्टेट पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राकेश मोगुल कहते हैं, पृथ्वी पर विपरीत परिस्थितियों में भी सूक्ष्म जीव पनप रहे हैं। पुराने शोधों में भी सामने आया है कि अम्लीय वातावरण में जीवन संभव हो सकता है।

इनमें विकसित हुए सूक्ष्म जीव कार्बन डाईऑक्साइड ग्रहण कर सल्फ्यूरिक एसिड (एच2एसओ4) उत्पन्न करते हैं। ठीक उसी तरह शुक्र के बादलों और अम्लीय वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड के साथ सल्फ्यूरिक एसिड पानी की बूंद के रूप में मौजूद है।

यहाँ का तापमान 450 डिग्री सेल्सियस से ऊपर

साल 1962 और 1978 के बीच शुक्र के अध्ययन के लिए लांच हुए विभिन्न अभियानों में सामने आया कि ग्रह की सतह का तापमान 450 डिग्री सेल्सियस से ऊपर है। ऐसी स्थिति में जीवन का विकास असंभव है। लेकिन इसके वायुमंडल के बीच वाले हिस्से यानी 40 से 60 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच में सूक्ष्म जीव उत्पन्न हो सकते हैं।

साथ ही शुक्र के बादलों पर सल्फ्यूरिक एसिड और प्रकाश सोखने वाले कणों से बने काले धब्बे भी मिले हैं। प्रकाश सोखने वाले बैक्टीरिया धरती पर भी पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है, ये सूक्ष्म जीव शैवाल की तरह के भी हो सकते हैं।

इनके बारे में अधिक जानने के लिए बादलों के नमूनों की जरूरत होगी। शुक्र से जुड़ी इस रोचक जानकारी ने अंतरिक्ष में जीवन की संभावना का नया अध्याय खोल दिया है।

मंगल अभियान के लिए रॉकेट में किए सुधार

मंगल पर मानव अभियान के लिए रॉकेट और अंतरिक्ष यान बनाने वाली निजी कंपनी स्पेसएक्स ने अपने बिग फाल्कन रॉकेट (बीएफआर) के डिजाइन में बदलाव किए हैं। स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने न्यू स्पेस जर्नल में प्रकाशित एक लेख में इन बदलावों की जानकारी दी।

जर्नल में मस्क के हवाले से लिखा गया है कि रॉकेट में ईंधन के रूप में इस्तेमाल होने वाले क्रायोजेनिक लिक्विड ऑक्सीजन के संग्रह के लिए कार्बन फाइबर का विशाल टैंक तैयार किया गया है।

इसके साथ ही रॉकेट की भार उठाने की क्षमता भी बढ़ाई गई है। मस्क ने इस लेख में लाल ग्रह से जुड़े अपने लक्ष्यों को भी उजागर किया है।

अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्कॉट हबर्ड ने कहा, ‘एलन मस्क और उनकी कंपनी ने अंतरिक्ष यात्र को किफायती बनाया है। उनके बेहतरीन डिजाइन के साथ हम मंगल पर मानव अभियान के साथ वहां से नमूने जुटाने जैसे वैज्ञानिकों लक्ष्यों को निकट भविष्य में पूरा कर सकेंगे।’