नामचीन स्कूलों में बच्चे को दाखिला दिलाने की चाहत में अभिभावक कानून का उल्लंघन करने से भी नहीं ङिाझक रहे हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें पांच वर्ष पहले करोड़पति व्यापारी ने फर्जी दस्तावेजों की मदद से ईडब्ल्यूएस कोटे में बेटे का दाखिला चाणक्यपुरी स्थित संस्कृति स्कूल में कराया था.
जब वह शैक्षणिक सत्र 2018-19 में नर्सरी में छोटे बेटे को दाखिला दिलाने के लिए उसी स्कूल में पहुंचा तो दस्तावेज में अंतर देखकर स्कूल कर्मी स्तब्ध रह गए. उन्होंने तुरंत फर्जीवाड़े की जानकारी पुलिस को दी. चाणक्यपुरी थाना पुलिस ने आरोपित व्यापारी गौरव गोयल पर धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है.
फर्जी आय प्रमाण पत्र से चल रहा है गोरखधंधा
नई दिल्ली जिला के पुलिस उपायुक्त मधुर वर्मा ने बताया कि फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाने में व्यापारी की मदद करने वाले के बारे में पता लगाया जा रहा है.
पहचान होते ही उसे भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा. दरअसल, वर्ष 2013 में गौरव गोयल ने अपने बड़े बेटे का दाखिला चाणक्यपुरी स्थित संस्कृति स्कूल में कम आय वर्ग के लोगों के लिए ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत आरक्षित सीट पर करवाया था.
उसने दाखिला फॉर्म पर चाणक्यपुरी स्थित संजय कैंप झुग्गी का पता देने के साथ-साथ कम आय का प्रमाण पत्र भी स्कूल में जमा कराया था. आय प्रमाण पत्र में आरोपित ने अपनी सालाना आय 67 हजार रुपये बताई थी.
करोड़पति निकला वह आदमी
इस सत्र में वह उसी स्कूल में नर्सरी में छोटे बेटे का दाखिला दिलाने के लिए पहुंचा. उसने दाखिला फॉर्म पर सफदरजंग एंक्लेव का पता दिया था.
इसे देखकर स्कूल प्रशासन चौंक गया कि कम आय से बड़े बेटे का दाखिला दिलाने वाला शख्स पांच साल में पॉश कॉलोनी में कैसे रहने लगा. जांच में पता चला कि गौरव गोयल ने फर्जी दस्तावेज की मदद से ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत बड़े बेटे को दाखिला दिलाया था.
स्कूल फॉर्म में उसने खुद को जिस एमआरआइ सेंटर का कर्मी बताया था असल में वह उस सेंटर का मालिक है. इसके अलावा वह दाल का कारोबार करने के साथ-साथ अन्य काम भी करता है.
गत आठ वर्षो में वह 24 देशों की यात्रा भी कर चुका है. मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है.
सटीक जांच हो तो कई फर्जी अभिभावक आ सकते हैं सामने
चाणक्यपुरी स्थित संस्कृति स्कूल में निम्न आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के एक फर्जी अभिभावक का मामला सामने आने के बाद से ईडब्ल्यूएस दाखिला प्रक्रिया फिर कठघरे में आ खड़ी हुई हैं.
नर्सरी दाखिला से जुड़े जानकारों का कहना है कि अगर सटीक जांच हो तो प्रत्येक सत्र में कई फर्जी ईडब्ल्यूएस अभिभावक सामने आ सकते हैं और इसके लिए नर्सरी दाखिला की प्रत्येक साल कठिन होती दौड़ भी जिम्मेदार है.
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों की 25 फीसद सीटें निम्न आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) व वंचित वर्ग (डीजी) कोटे के बच्चों के लिए आरक्षित हैं.
ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत जहां एक लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले बच्चों को दाखिला दिया जाता है तो डीजी कोटे से एससी/एसटी व ओबीसी वर्ग के बच्चों को दाखिला दिया जाता है.
संस्कृति स्कूल में सामने आए फर्जी ईडब्ल्यूएस अभिभावक के मामले को माउंट आबू पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य ज्योति अरोड़ा बेहद ही गंभीर बताती हैं. उनका कहना है कि शिक्षा निदेशालय द्वारा भेजी गई सूची के आधार पर स्कूल ईडब्ल्यूएस कोटे के बच्चों को दाखिला देते हैं.
निदेशालय पूरी जांच के बाद ही यह सूची स्कूलों को भेजता है. इसके बावजूद ऐसे मामले सामने आना गंभीर है. ईडब्ल्यूएस लाभार्थियों की स्कूल स्तर पर भी जांच की जानी चाहिए.
वहीं, इसपर दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्षा अपराजिता गौतम का कहना है कि वर्तमान में जरूरतमंद लोगों को ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ नहीं के बराबर मिल रहा है.