‘कुपोषण’ की लड़ाई में यूपी का यह हाल, अंधी माँ ने सीएमओ से लगाई गुहार

एनटी न्यूज़ डेस्क / औरैया / अक्षय कुमार

कुपोषण को मिटाने के लिए प्रतिवर्ष कई योजनाओं के माध्यम से सरकार करोड़ो रूपया खर्च करती है साथ ही अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को एक एक गांव गोद लेकर कुपोषण को जड़ से मिटाने का दम भरती है।लेकिन कुपोषण मिटाने की सरकार की योजनाएं कैसे दम तोड़ रही है इसकी एक बानगी औरैया जनपद के जिला अस्पताल में देखने को मिली। जहाँ पर एक अंधी माँ कुपोषण का शिकार हुए अपने सात महीने के बच्चे को लेकर दर दर भटक रही है, लेकिन उस बच्चे का इलाज करने वाला कोई नही। लगातार दर दर भटकने के बाद औरैया के मुख्य चिकत्साअधिकारी के आवास पर रास्ता रोककर बैठ गयी। ये खबर जब मीडिया में आयी तो डॉक्टरों ने आनन फानन में कुपोषित बच्चे का इलाज शुरू कराया।

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कुपोषित बच्चे के पिता संतोष कुमार औरैया के नवादा गांव में मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते है। जब उनका पुत्र बीमार हुआ तो अपनी अंधी पत्नी के साथ औरैया में किराए का मकान लेकर बच्चे का इलाज कराने के लिए रहने लगे। जब बच्चे के इलाज में उनकी जमा सारी पूजी खत्म हो गयी तब उन्होंने सरकारी अस्पताल की शरण ली। लेकिन उन्हें यह नही पता था कि औरैया के सरकारी अस्पताल में बच्चे का इलाज सही से नही हो पायेगा।

कुपोषण

माँ की ममता की मिशाल देखनी है तो औरेया के जिला अस्पताल में देखिए!जहाँ पर एक अंधी माँ अपने कुपोषित बच्चे के इलाज के लिए औरैया के सरकारी अस्पताल में भटक रही है। ईश्वर का इंसाफ देखिये कि कुपोषित बच्चे की माँ जन्म से अंधी है और जो बच्चा गोद मे लिए है वह अभी कुछ दिन पहले ही कुपोषण का शिकार हुआ है।

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ऊपर वाले ने माँ को इस रंग बिरंगी दुनिया को देखने के लिए रोशनी नही दी। सरकारी सिस्टम से हार कर लाचार माँ अपनी जिगर के टुकड़े को स्वस्थ करने के लिए आज थक हार कर सीएमओ आवास के सामने परिवार सहित रास्ता रोककर बैठ गयी और मुख्य चिकित्साअधिकारी से इलाज की गुहार लगाई।

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कुपोषित बच्चे की अंधी माँ लक्ष्मी देवी कई महीनों से जिला अस्पताल में इलाज के लिए चक्कर काट रही है। लेकिन धरती के भगवान को एक माँ की लाचारी पर कतई तरस नही आ रहा है, एक माह से अंधी माँ अपने बच्चे के इलाज के लिए ममता भारी निगाहों से सरकारी अस्पताल के चक्कर लगा रही है और डॉक्टर खाना पूर्ति का कोरम पूरा कर उसे रिफर का इलाज दे रहे है।

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अब इस लाचार माँ के पास इतना रुपया नही कि वह बच्चे का इलाज किसी प्राइवेट अस्पताल में करा सके। वैसे तो सरकार कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए रुपया पानी की तरह बहा रही है लेकिन उस बहती पानी की एक भी बूंद इस कुपोषित बच्चे को नही मिल पा रही है। बच्चे का इलाज न हो पाने से एक बात तो साफ है कि सरकार की उन योजनाओं को कुपोषित बच्चे की माँ की ममता जरूर बदुआएँ दे रही है…

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