एनटी न्यूज़ डेस्क / विश्व विरासत दिवस / शिवम् बाजपेई
18 अप्रैल का दिन वह दिन है जब विश्व ‘विरासत’ को याद करता है, जी हाँ विश्व विरासत दिवस. इस दिन की शुरुआत 1982 को ट्यूनीशिया में इंटरनेशनल काउसिंसल ऑफ मान्युमेंट्स एंड साइट्स ने की. इसके बाद इसे सराहा गया और सन् 1983 को संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने इसे मान्यता भी दी दी. तब से ‘विश्व हेरिटेज डे’ मानाने की परम्परा चालू हो गई. इस दिन विश्व के सभी मुल्क अपनी विरासत की बात करते है. तो चलिए आज हम भी अपनी अनमोल विरासत को याद कर लें…
1. आगरा का ताजमहल
सात अजूबों में शामिल ताजमहल हमारी विरासत की अनमोल मिशाल है. आपको बता दें कि इस दिन की शुरुआत से ही इसे विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया था. ताज महल की गिनती सात अजूबों के साथ विश्व के 10 प्रमुख विरासत स्थलों में भी की जाती हैं.
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में यमुना तट पर बना ताजमहल मुगह बादशाह शाहजहां द्वारा 17 हेक्टेयर जमीन पर बनवाया गया. ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था और यह 1648 में बनकर पूरा हुआ. इसे 22000 लोगों ने मिलकर बनाया था.
2. अजंता और एलोरा की गुफाएं
विश्व हेरिटेज दिवस (1983) की शुरुआत से ही अजंता और एलोरा की गुफाओं को यूनेस्को की सूची में जगह मिली. ये महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के पास स्थित हैं. यहां की सुंदर चित्रकारी व मूर्तियाँ कलाप्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं हैं.
अजंता में 29 और एलोरा में 34 गुफाएं हैं जो हमेशा से ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती रही हैं. इन गुफाओं की खोज आर्मी ऑफिसर जॉन स्मिथ व उनके दल द्वारा सन् 1819 में की गई थी, वे यहां शिकार करने आए थे तभी उन्हें 29 गुफाओं की एक श्रृंखला नजर आई और इस तरह ये गुफाएं प्रसिद्ध हो गई.
3.कोणार्क का सूर्य मंदिर
ओडिशा के कोणार्क का सूर्य मंदिर भारत के विश्व विरासत स्थलों की सूची में तीसरे नंबर पर आता है. कोणार्क का सूर्य मंदिर पुरी के उत्तर पूर्वी किनारे पर समुद्र तट पास स्थित है.1984 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया.
इसे लाल बलुआ पत्थर एवं काले ग्रेनाइट पत्थर से गंग वंश के राजा नृसिंहदेव द्वारा बनवाया गया था. मंदिर को एक बारह जोड़ी चक्रों वाले, सात घोड़ों से खींचे जाते सूर्य देव के रथ के रूप में बनाया है.
4.खजुराहो का स्मारक समूह
मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित चंदेला वंश द्वारा बनवाए गए खजुराहो के स्मारक समूह हमारी प्रमुख धरोहरों में एक है. एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार खजुराहो में कुल 85 मन्दिर है जो 12वीं शताब्दी में बनाए गए थे.
वर्तमान में इनमें से, केवल 25 मन्दिर ही बचे हैं. यहां के मन्दिर जो नगारा वास्तुकला से स्थापित किये गए जिसमें ज्यादातर मूर्तियां कामुक कला को दर्शाती हैं. 1986 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल की सूची में स्थान दिया.
5.फतेहपुर सीकरी, आगरा
1986 में यूनेस्को ने फतेहपुर सीकरी को इस सूची में शामिल किया. आगरा से 22 किलोमीटर दक्षिण में स्थित इस छोटे से नगर को अकबर ने बसाया था.
फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा, सलीम चिश्ती की दरगाह, जोधाबाई का महल जैसे स्मारक हैं जो अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला के लिए मशहूर हैँ.
6.चोला मंदिर
चोल शासकों द्वारा दक्षिणी भारत में बनवाया गया महान चोला मंदिर 1987 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया. मंदिर को 11वीं सदी की शुरुआत में बनाया गया था.
इसे तमिल भाषा में बृहदीश्वर के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर संस्कृत व तमिल पुरालेखों का उत्कृष्ट उदाहरण है. इस मंदिर के निर्माण कला की एक विशेषता यह है कि इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती.
7.दिल्ली की क़ुतुब मीनार
राजधानी दिल्ली गये हो और क़ुतुब मीनार के दीदार से चूक जाए तो यह विरासत की बेज्जती है. भारत की दूसरी सबसे ऊंची मीनार का खिताब हासिल करने वाली क़ुतुब मीनार की वास्तु कला अद्भुत है जिसके कारण 1993 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल की सूची में जगह मिली. इस मीनार का निर्माण गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था.
8.महाबोधि मंदिर
बिहार के बोध गया में बना महाबोधि मंदिर 2002 में इस सूची में शामिल किया गया. स्तूप की तरह बने इस मंदिर में गौतम बुद्ध की एक बहुत बड़ी मूर्ति स्थापित है.
ऐसा कहा जाता है कि यह मूर्ति उसी जगह पर है जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. कहा यह भी जाता है कि तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में इसी स्थान पर सम्राट अशोक ने हीरों से बना राजसिहांसन लगवाया था और इसे पृथ्वी का नाभि केंद्र कहा था.
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