स्मृति शेषः मथुरा से शुरू हुई थी ‘अटल’ राजनीति की पारी

                                 एनटी न्यूज़ / स्मृति शेष / मथुरा

कान्हा की नगरी से शुरू हुई थी अटल जी की राजनीतिक पारी

1957 में मथुरा लोकसभा सीट से पहला चुनाव लड़ा था अटलबिहारी वाजपेयी ने

राजनीति में सक्रिय रहते हुए साल में एक बार मथुरा ज़रूर आते थे

मथुरा की कचौड़ी, जलेबी और भांग वाली ढंडाई के शौकीन थे

कई करीबी मित्र हैं मथुरा में

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का मथुरा से गहरा लगाव था. राजनीतिक रूप से ही मथुरा से गहरा लगाव ही नहीं रखते थे बल्कि मथुरा की कचौड़ी और जलेबी भी उन्हें पसंद थी. भांगवाली ठंडाई के शौकीन अटल जी राजनीकि जीवन में सक्रिय रहते हुए वर्ष में कम से कम एक बार मथुरा जरूर आते थे. यही वजह है कि मथुरा में उनके चाहने वालों की तादात किसी दूसरे शहर से ज्यादा है. उनके करीबी मित्रों की संख्या भी मथुरा में अच्छी खासी है.

एक यादगार तस्वीर

बांके बिहारी माहेश्वरी का संस्मरण

मथुरा भाजपा के पितामह और अटलजी के अजीज मित्र बांकेबिहारी माहेश्वरी ने उनसे जुड़े कई संस्मरण सुनाते हुए कहा कि सन् 1957 में दीनदयाल जी का आदेश आया कि उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ना है. बांके बिहारी माहेश्वरी ने बताया कि उन्होंने चुनाव लड़ने में असमर्थता जताते हुए अटल जी को मथुरा से चुनाव लड़ने का सुझाव रखा. इसके बाद दीनदयाल जी ने चुनाव की तैयारी में जुट जाने को कहा.

पहला चुनाव लड़ा मथुरा से

अटल जी ने मथुरा से अपना पहला चुनाव लड़ा. राजा महेंद्र प्रताप और कांग्रेस से डिगम्बर सिंह भी चुनाव लड़ रहे थे. चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें लगा कि कांग्रेस जीत रही है.  इसके बाद उन्होंने चुनावी सभा में घोषणा कर दी कि कांग्रेस को हराओ. इस का नतीजा यह रहा कि अटल जी की जमानत जब्त हो गई और राजा महेंद्र प्रताप चुनाव जीत गये और कांग्रेस भी चुनाव हार गई.

मथुरा के अलावा अटल बिहारी दो और जगह से चुनाव लड़ रहे थे. इसके बाद भी उन्होंने सात दिन का समय मथुरा के चुनाव को दिया. उनके चुनाव प्रचार के लिए दीनदयाल उपाध्याय और नाना देशमुख ने भी एक दिन का समय दिया था. इस दौरान उनकी 14-14 सभाएं की.

कभी अपने पद का प्रयोग परिवार के लिए नहीं किया

पूर्व ऊर्जा मंत्री रविकांत गर्ग ने बताया कि अटलजी को पहले ही महसूस हो जाता था. जीआईसी में सभा हुई सभा के स्वरूप को देख कर उन्होंने तेजवीर सिंह को बता दिया कि और मेहनत करने की जरूरत है. हालांकि सभा अच्छी हुई थी. कोसीकलां रेलवे स्टेशन पर कोसी स्टेशन पर उनके नाती के साथ जो दुर्घटना हुई, उस समय अटल जी प्रधानमंत्री थे. कार्यकर्ताओं को अवगत कराया था.

कार्यकर्ताओं के माध्यम से ही जो कुछ हुआ वह किया गया. खुद पद का कोई प्रभाव नहीं दिखाया. उन्होंने कभी अपने और अपने परिवार के लिए पद का उपयोग भी नहीं किया दुरुपयोग तो दूर की बात है.

रिपोर्टः बादल शर्मा

संपादनः योगेश मिश्र

ये भी पढ़ें-

नहीं रहे अटल जी, भारतीय राजनीति के एक युग का अंत

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए, आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए: अटल की कालजयी रचनाएँ व भाषण

अटल बिहारी वाजपेयी की हालत नाजुक, दुआओं व मुलाक़ात की लगी कतार

Advertisements